दूकान और शादी
कोई भी यदि दूकान चलाता है तो, उसका एक मात्र उद्देश्य धन प्राप्त करना है
धन से या तो यश प्राप्त करता है या दान देता है
और सर्वाधिक लोग सुख सुविधा बच्चो की पढ़ाई शादी के लिए इसे उपयोग करते है, ठीक भी है
लेकिन शायद कुछ लोग केवल दूकान चलाने के लिए दूकान चलाते हैं
उन्हें ये ज्ञान व् ध्यान नहीं की जिसके लिए ये दूकान चलाई गयी थी
वह शादी आज मेरे घर में हो रही है, आज दूकान छोड़ दूँ
जीवन भर चलाने वाली दूकान का फल आज प्राप्त करने का अवसर आ गया है
और वे आज भी दूकान बंद नहीं करते और दुकान और शादी के बीच में आत्मा की तरह भटकते रहते है
आर्थिक परिस्थिति ठीक न हो तो बात समझ में आती है
लेकिन बात अर्थ की नहीं है, सोच की है, विजन की है, विचार की है
जैसे भजन के लिए मिले शरीर से भजन छोड़कर दुसरे काम करते रहते हैं,
उसी प्रकार शादी जैसे कामो के लिए खोली गयी दूकान में लगे रहते है और शादी छोड़ देते हैं
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