✔ *नियम भंग नही होगा* ✔
▶ हम जैसे प्रतिदिन श्री तुलसी जी की परिक्रमा करते हैं और तुलसी जी को सुबह शाम दीपक अर्पण करते हैं ।
▶ कदाचित हमें अपना नगर छोड़कर बाहर जाना पड़ा और हम यह कहते हैं कि हमारी यह परिक्रमा और दीपक का नियम टूट जाएगा ।
▶ इस विषय में शास्त्र का आदेश है कि आपके घर की तुलसी और दासाभास के घर की तुलसी एक ही बात है ।
▶ आप यदि अपना घर छोड़ कर दासाभास के घर आए हैं तो यहाँ घर में विराजमान तुलसी की परिक्रमा करें और दीपक जलाए तो आप का नियम भंग नहीं होगा ।
▶ ऐसे ही आपके ठाकुर आपके घर में विराजमान हैं आप उनके सामने बैठकर जो भी पूजा अर्चना करती हैं ।
▶ आप वहां से मेरे घर आ गए तो मेरे ठाकुर के घर में बैठकर पूजा अर्चना कर सकती हैं । आप का नियम भंग नहीं होगा ।
▶ हां यह आवश्यक है कि आपके घर में जो ठाकुर हैं उनकी सेवा पूजा की व्यवस्था करके आएं ऐसा ना हो कि आपके ठाकुर तो ताले में 4 दिन बंद रहे । और आप मेरे ठाकुर की सेवा पूजा करते रहें तो यह सेवा अपराध माना जाएगा ।
▶ ऐसे ही अन्य नियम जो भी है वह देश बदलने पर दूसरे स्थान पर उनको यदि किया जाए तो नियम भंग नहीं माना जाता है ।
▶ लाला बाबू के चरित्र में ऐसी ही कथा आती है । ल्ाला बाबू एक सिद्ध संत हुए हैं । उन्होंने मंदिर बनवाया । श्री विग्रह प्रतिष्ठित करवाया ।
▶ श्रीविग्रह के बाकायदा हृदय पर हाथ रख के स्पंदन को महसूस किया ।
नाक के सामने रुई रखकर और मस्तक पर मक्खन रखकर जब उन्हें यह पक्का हो गया के मेरे ठाकुर विग्रह में विराजमान हो गए तभी उन्होंने सेवा पूजा प्रारंभ की ।
▶ आज भी वह मंदिर धाम में है । प्रभु ने एक बार उनको आदेश दिया कि आप जाओ और ब्रज के मंदिर तीर्थ स्थानों के लीलास्थलियोन के दर्शन कर आओ ।
▶ लाला बाबू ने कहा । प्रभु आप तो यहां विराजते हो । मेरे जागृत ठाकुर तो आप ही हो । आप जागृत भी हो । मैं आपको छोड़कर कैसे जाऊं ?
▶ तो स्वयं ठाकुर ने कहा जैसे मैं यहां जागृत हूं ऐसे हो जो जो व्रज की स्थलियां हैं । वह मेरे से कम जागृत नहीं है ।
▶ आप इन लीला स्थलियों का सेवन करो । मैं अपनी व्यवस्था अपने आप करूंगा । आपके जो नियम हैं । वह आप कहीं भी किसी भी स्थान पर कर सकते हैं । आप के नियम भंग नहीं होंगे ।
▶ तब लाला बाबू अपने मंदिर को छोड़ के 84 कोस ब्रज में भ्रमण करते रहे । लीला स्थलियों के दर्शन करते रहे ।
▶ इस विषय में स्थान परिवर्तन या देश परिवर्तन से जहां भी आप हैं अपने नियम को वहां एक तरफ बैठ कर पूरा कर सकते हैं ।
▶ क्योंकि कृष्ण विभु हैं । वह सर्वत्र व्याप्त है । और आपके जो ठाकुर है दासाभास ने अनेक बार निवेदन किया है कि उसको हृदय में बैठाने का प्रयास करें ।
▶ जब आप आंख बंद करें तो आपके सेवित श्री विग्रह आपको दीखने चाहिए , आप कहीं भी रहे आंख बंद करके आप अपने श्रीविग्रह से लाड़ लड़ा सकते हैं ।
▶ अवश्य अपने श्रीविग्रह को हृदय में धारण करने का प्रयास करेंगे तो वह सदा हमारे साथ रहेंगे ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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