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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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🔮 भाग 4️⃣2️⃣
💡 मृत्यु के बाद किसी से
बिछुड़ना
ईश्वर का विधान है परन्तु
जीते जी अपनों से बिछुड़ना
आपका अपना संविधान है
💡 जिनकी श्रीधाम वृन्दावन में निष्ठा नहीं है
उन्हें यंहा गर्मी-सर्दी का आभास होता है|
गंदगी और जाम दीखता है|
खुली नालियाँ दिखती है और बदबू आती है|
परन्तु जो सच्चे साधक हैं उन्हें इन बातों से
क्या लेना-देना? वे तो सर्वत्र अपने प्यारे के
नुपुर की रुनझुन सुनते हैं|
मन्दिरों में उनके दर्शन करते हैं| ब्रजरज में लोटपोट होते है और उसी में मर मिटते हैं|
💡 अपना घर-बार छोड़ के
बाबाजी बन जाना और
आश्रम बनाकर अनेक
शिष्यों का पालन पोषण कर
उनके दुःख-सुख में
सहभागी होकर व्यवहार
निर्वाह करना न तो त्याग है
न घ भक्ति का अंग.
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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