Sunday, 19 February 2017

Sukshm Sutra Part 39



⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱
सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺

 🔮 भाग 3⃣9⃣

💡 इच्छा दो प्रकार की होती है-
प्राप्त वस्तु को भोगने की इच्छा और
सुनी सुनाई अप्राप्त वास्तु को
प्राप्त करने की इच्छा .
साधक को दोनों का परित्याग कर
भजन करना चाहिए अन्यथा 
मन इच्छाओं में ही रमता रहेगा
भजन नही हो पायेगा

💡 बुद्धिमान और ज्ञानवान मनुष्य
का भक्त होना कठिन है.
भक्ति के लिए तो सब कुछ का
त्याग करना आवश्यक है.
अपनी बुद्धि भी- अपना ज्ञान भी
क्रुश्नार्प्न करना पड़ेगा तभी
वह भक्त बन पायेगा.
अन्यथा इस अहंकार से ही वह
अधर में लटका रह जाएगा.

💡 जो संसाधन हमे प्राप्त है
उनसे ही अपना वर्तमान
श्रेष्ठतम बनाने का प्रयास करना है.
भविष्य के लिए अपना वर्तमान
बिगाड़ना कोई बुद्धिमानी नही है.
हर अवस्था में यदि इस मूल मन्त्र
को अपना ले तो संतोष-सुख
अवश्य प्राप्त होगा.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

No comments:

Post a Comment