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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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🔮 भाग 3⃣8⃣
💡 निंद्रा का त्याग और जागना दोनों
एक ही क्षण होता है.
ऐसे ही सांसारिक विषयों का त्याग
और भगवान् की ओर सन्मुखता
एक ही क्षण में होगी. इसलिए
ये सोचना मुर्खता है कि अभी संसार से
मन हटा रहे है फिर भगवान् में लगायेंगे.
💡 कड़वा किन्तु सत्य
जीवन भर प्रवचन सुनते रहना
मोटे मोटे ग्रंथो का स्वाध्याय करना
गुरुचरणों में बैठकर
अनेक ज्ञान की बातें सीखते रहना
ऐसे ही है जैसे जीवन भर एम बी ए की क्लास में
बैठे रहना पर नौकरी के लिए किसी कम्पनी को
ज्वाइन न करना. इसलिए आज ही
भजन करो -भजन.
सुनते ही रहोगे-आचरण में कब लाओगे
💡 जाने या अनजाने में भी
यदि किसी वैष्णव के प्रति
अपराध बन जाये तो
सविनय उन्ही के
चरणों में ही जाकर उनसे
क्षमायाचना करनी चाहिए
क्योंकि अपने भक्त के प्रति
किये गये किसी अपराध को
स्वयं प्रभु भी क्षमा नही करते
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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