Sunday, 5 February 2017

Sukshm Sutra Part 37



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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 3⃣7⃣

💡 जिस पुष्प में मकरंद होता है
उसका पान करने के लिए
भौरें उसपर मंडराते रहते हैं|
ऐसे ही धन के आ जाने पर योग्य
अथवा योग्य व्यक्ति के पास भी
लोग मंडराने लग जाते है| यह
धन का प्रभाव है परन्तु मनुष्य
कितना भोला है कि इसे वह अपना
प्रभाव समझने लग जाता है|

💡 अपने कर्म द्वारा किए गये
पापों के विनाश के लिए
भगवान को कर्मफल अर्पण
और भगवान की प्रीती के लिए
जो भगवान की पूजा करता है
वह सात्विक भक्त है.

💡 यश, ऐश्वर्य, विषयवासना
और भेद्बुद्दी होकर विबिन्न
प्रतिभाओ में जो
मेरी पूजा करता है
वह राजसिक भक्त है.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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