Saturday, 4 February 2017

Kacha AAm Khatta Meetha Aam Meetha


✔️  *कच्चा आम, खट्टा मीठा, आम मीठा*    ✔️


▶️ भजन भक्ति करते हुए जो दासाभास सहित हम साधन भक्ति करते हैं, जिसमें श्रवण कीर्तन स्मरण पादसेवन पूजन-वंदन आत्मनिवेदन आदि नवधा भक्ति आती है ।

▶️ भक्ति के इन सब साधनों को इन सब उपायों को भक्ति के इस स्वरूप को शास्त्रों में कच्चा आम की उपाधि दी गई है ।

▶️ इसके बाद इन साधनों को करते-करते हम

▶️ श्रद्धा
▶️ साधु संग
▶️ भजन क्रिया
▶️ अनर्थ निवृत्ति
▶️ निष्ठा
▶️ रुचि
▶️ आसक्ति और
▶️ भाव

▶️ तक की कक्षा में पहुंचते हैं ।
जब हम भाव की कक्षा में पहुंच जाते हैं, जब हमारे अंदर भाव उदित हो जाता है ।उस अवस्था को खट मित्ठा आम कहा गया है ।

▶️ यह ध्यान रहे कि इस वर्तमान शरीर में हम केवल भाव तक ही पहुंच पाते हैं और वह भी करोड़ों में से कोई एक ।

▶️ भाव के बाद जब यह शरीर और हमारा अंतःकरण, हमारा हृदय प्रेम को धारण करने योग्य हो जाता है, तब इस शरीर का पात हो जाता है ।

▶️ ये समझे रहें । इस जीवन म् साधक भाव तक ही पहुँचता है । प्रेम प्राप्ति इस शरीर म् नही होती । प्रेम प्राप्ति की योग्यता आते ही शरीर राधे राधे ।

▶️ अच्छे से अच्छे सन्त भी भाव में ही रहते हैं । और शरीर पात होने पर

▶️ भगवान की लीला शक्ति योग माया हमारे इस जीव को ले जाकर वहां उस ब्रह्मांड में जहां श्रीकृष्ण की प्रकट लीला आज भी हो रही है उनके परिकर भूत किसी गोपी के गर्भ में हमें स्थापित कर देती है ।

▶️ फिर वहां उस गोपी के गर्भ से हमारा जन्म होता है और हम वहीं कृष्ण लीला परिक्र में ही जन्म लेकर अपने भाव के अनुसार धीरे धीरे बड़े होकर कृष्ण की उस लीला में सहायक बनते हुए कृष्ण की नित्य लीला में साक्षात प्रवेश करते हैं ।

▶️ और जब कृष्ण की साक्षात लीला में हम प्रवेश करते हैं तब हमें उस प्रेम की प्राप्ति होती है ।

▶️ उस प्रेम को कहा गया मीठा आम ।
जब कृष्ण प्रकट लीला का संवरण करते हैं तब वह अपने परिकर को नित्य गोलोक धाम में ले जाते हैं अथवा अपने साथ वहां उस ब्रह्माण्ड में ले जाते हैं जहाँ अब लीला होनी है ।

▶️ ठीक वैसे जैसे एक कथा करने वाले की टीम उसके साथ साथ चलती है ।

▶️ और वहां पर सब अपनी-अपनी सेवा करते हैं तो हम भी क्योंकि उस परिकर में शामिल हो जाते हैं तो हम भी लीला संवरण के समय कृष्ण के साथ साथ साथ रहते हैं और नित्य उनकी लीला में सेवा करते हैं ।

▶️ ऐसा एक क्रम है । तो
साधन हुआ कच्चा आम
भाव हुआ खट मीठा आम और
प्रेम हुआ मीठा आम
जो कि हमारा साध्य है ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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