✔ *सभी की अलग-अलग कक्षा* ✔
▶ 'जिस प्रकार एक विद्यालय में पढ़ने वाले 400 बच्चे एक ही क्लास में नहीं पढते हैं ।
▶ 'कोई 2 में कोई 8 में कोई 6 में कोई 12 में पड़ता है । उसी प्रकार भजन करने वाले समस्त भक्त एक ही स्तर के नहीं होते हैं ।
▶ 'उनके भी स्तर होते हैं । बहुत से प्राइमरी स्तर वाले किसी के कहने से या अपने मनमाने ढंग से किसी भी देवी देवता की उपासना या मंत्र या आधा-अधूरा जप करते रहते हैं ।
▶ 'करते करते उन्हें किसी वैष्णव से संपर्क होता है वह वैष्णव फिर उन्हें सही जप, सही मंत्र, सही राय , सही उपाय बताता है ।
▶ 'कभी-कभी ऐसे साधकों के मन में दासाभास ने यह भाव देखा है कि वे सोचते हैं कि अभी तक का हमारा समय बेकार गया ।
▶ 'लेकिन सावधान, बेकार कुछ भी नहीं जाता है वाल्मीकि जैसे महर्षि ने मरा मरा कहकर ही रामायण की रचना की ।
▶ 'उल्टा नाम जपत जग जाना
बाल्मीकि भए ब्रह्म समाना
▶ 'क्योंकि इसमें सिद्धांत तो यह है कि कोई भी देवी कोई भी देवता, कोई भी नाम, कोई भी जप, कोई भी उपासना, है तो कृष्ण की ही उपासना ।
दासाभास ने गीता में देखा है कि श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो अन्यान्य देवी देवताओं को जपते हैं वे सब
▶ '"भजते माम् अविधिपूर्वकम"
▶ 'अर्थात वह अविधि पूर्वक मेरी ही उपासना करते हैं, मेरा ही भजन करते हैं ।
▶ 'इसलिए आपने जो भी किया उसी का परिणाम है कि आपको कोई "विधि का ज्ञाता" वैष्णव प्राप्त हुआ ।
▶ 'अब विधि का ज्ञाता जो आपको बता रहा है आप यदि वह सब करेंगे तो इसके बाद आपको श्रीगुरुदेव प्राप्त होंगे ।
▶ 'और जब श्री गुरुदेव प्राप्त होंगे और आप गुरुदेव की आज्ञा अनुसार उपासना, जप, पाठ, भजन करेंगे तो आपको श्रीकृष्ण प्राप्त होंगे ।
▶ 'और जब श्रीकृष्ण कृपा प्राप्त होंगी तो कृष्ण की उपासना करते करते एक दिन ऐसा आएगा कि आपको प्रिया प्रियतम की चरण सेवा प्राप्त हो जाएगी ।
▶ 'और जीवन का लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा, । ठीक उसी प्रकार जैसे lkg, ukg, पहली, चौथी, पांचवी में बालक पढता है और अंततः वह पोस्ट ग्रेजुएट हो जाता है ।
▶ पोस्टग्रेजुएट में पहुंच कर यदि दासाभास यह कहें कि यह कक्षा 3 का बालक क्या abcd रटता रहता है तो यह अनुचित है ।
▶ हमारा कोई भी साधन, हमारा कोई भी नाम, हमारी कोई भी उपासना, हमारा कोई भी अध्यात्म में किया गया एक कदम कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है ।
▶ और वह हमें हमें आगे की ओर ले जाता है । आप भी बढ़ रहे हैं और दासाभास भी आपके साथ साथ बढ़ रहा है ।
▶ अतः लगे रहिए । लगे रहिए ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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