Tuesday, 7 February 2017

Sabhi Ki Alag Alag Kksha

Sabhi Ki Alag Alag Kksha


✔  *सभी की अलग-अलग कक्षा*    ✔


▶ 'जिस प्रकार एक विद्यालय में पढ़ने वाले 400 बच्चे एक ही क्लास में नहीं पढते हैं ।

▶ 'कोई 2 में कोई 8 में कोई 6 में कोई 12  में पड़ता है । उसी प्रकार भजन करने वाले समस्त भक्त एक ही स्तर के नहीं होते हैं ।

▶ 'उनके भी स्तर होते हैं । बहुत से प्राइमरी स्तर वाले किसी के कहने से या अपने मनमाने ढंग से किसी भी देवी देवता की उपासना या मंत्र या आधा-अधूरा जप करते रहते हैं ।

▶ 'करते करते उन्हें किसी वैष्णव से संपर्क होता है वह वैष्णव फिर उन्हें सही जप,  सही मंत्र, सही राय , सही उपाय बताता है ।



▶ 'कभी-कभी ऐसे साधकों के मन में दासाभास ने यह भाव देखा है कि वे सोचते हैं कि अभी तक का हमारा समय बेकार गया ।

▶ 'लेकिन सावधान, बेकार कुछ भी नहीं जाता है वाल्मीकि जैसे महर्षि ने मरा मरा कहकर ही रामायण की रचना की ।

▶ 'उल्टा नाम जपत जग जाना
बाल्मीकि भए ब्रह्म समाना

▶ 'क्योंकि इसमें सिद्धांत तो यह है कि कोई भी देवी कोई भी देवता, कोई भी नाम, कोई भी जप, कोई भी उपासना,  है तो कृष्ण की ही उपासना ।
दासाभास ने गीता में देखा है कि श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो अन्यान्य देवी देवताओं को जपते हैं वे सब

▶ '"भजते माम् अविधिपूर्वकम"

▶ 'अर्थात वह अविधि पूर्वक मेरी ही उपासना करते हैं, मेरा ही भजन करते हैं ।

▶ 'इसलिए आपने जो भी किया उसी का परिणाम है कि आपको कोई "विधि का ज्ञाता" वैष्णव प्राप्त हुआ ।

▶ 'अब विधि का ज्ञाता जो आपको बता रहा है आप यदि वह सब करेंगे तो इसके बाद आपको श्रीगुरुदेव प्राप्त होंगे ।

▶ 'और जब श्री गुरुदेव प्राप्त होंगे और आप गुरुदेव की आज्ञा अनुसार उपासना, जप, पाठ,  भजन करेंगे तो आपको श्रीकृष्ण प्राप्त होंगे ।

▶ 'और जब श्रीकृष्ण कृपा प्राप्त होंगी तो कृष्ण की उपासना करते करते एक दिन ऐसा आएगा कि आपको प्रिया प्रियतम की चरण सेवा प्राप्त हो जाएगी ।

▶ 'और जीवन का लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा, । ठीक उसी प्रकार जैसे lkg, ukg, पहली,  चौथी, पांचवी में बालक पढता है और अंततः वह पोस्ट ग्रेजुएट हो जाता है ।

▶ पोस्टग्रेजुएट में पहुंच कर यदि दासाभास यह कहें कि यह कक्षा 3 का बालक क्या abcd रटता रहता है तो यह अनुचित है ।

▶ हमारा कोई भी साधन, हमारा कोई भी नाम, हमारी कोई भी उपासना, हमारा कोई भी अध्यात्म में किया गया एक कदम कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है ।

▶ और वह हमें हमें आगे की ओर ले जाता है । आप भी बढ़ रहे हैं और दासाभास भी आपके साथ साथ बढ़ रहा है ।

▶ अतः लगे रहिए । लगे रहिए ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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