Sunday, 6 August 2017

Svatantrata

Svatantrata

स्वतंत्रता 🚩🚩🚩🚩🚩

🚩स्व माने अपना । तंत्र माने शासन ।
अर्थात अपने ऊपर अपना शासन । जेसे आज 15 अगस्त के दिन भारत से अंग्रेजों का शासन हट कर अपना अर्थात भारतीयों का शासन प्रारम्भ हुआ ।

🚩हमारे भगवान श्री कृष्ण सर्वतंत्र स्वतंत्र हैं । अर्थात उनके ऊपर किसी का भी किसी प्रकार का शासन नहीं है ।

🚩अपितु अपने ऊपर उनका अपना ही शासन है वह जो चाहते हैं कर सकते हैं । यहां तक कि वह कान से खा सकते हैं और मुख  से सुन सकते हैं । उनके ऊपर कोई भी बंधन, नियम, सीमा नहीं है वे परम स्वतंत्र हैं ।

🚩हम जीव उन्ही का ही अंश है । हम परम स्वतंत्र नहीं है । हम अणु स्वतंत्र हैं ।

🚩कुछ ऐसा समझें कि वे अनलिमिटेड स्वतंत्र हैं और हमलोग लिमिटेड स्वतंत्र हैं । हम स्वतंत्र अवश्य हैं ।

🚩यदि हम स्वतंत्र नहीं होते तो हमें कुछ आदेश पालन करने के लिए और कुछ आदेश न करने के लिए नहीं दी जाते ।

🚩जैसे कि पशु । पक्षिओं के पालन करने के लिए पशुओं को कोई आज्ञा नहीं दी जाती ।



🚩मनुष्य को कहा जाता है
चोरी मत करो । इमानदारी से रहो । भजन करो आदि आदि

🚩इसका सीधा सा अर्थ है कि हम ऐसा कर सकते हैं । हम जो नहीं कर सकते, वह हम से नहीं कहा गया ।  जैसे कि सिर के बल चला करो ।

🚩अब प्रश्न उठता है कि यह लिमिटेड स्वतंत्रता हमको क्यों दी गई । एकदम साफ है कि हम श्रीकृष्ण के अंश हैं और श्रीकृष्ण की चरण सेवा प्राप्त करना हमारा कर्तव्य है । परम धर्म है ।

🚩जिस किसी प्रकार से भी हम अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करके श्रीकृष्ण चरण सेवा प्राप्त कर सकें इसलिए यह स्वतंत्रता हमें दी गई ।

🚩लेकिन हम इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग करते हुए अनाचार करते हैं । दुराचार करते हैं । झूठ कपट छल में लगे रहते हैं ।

🚩आज के दिन हमें यह चिंतन करना है कि हम अपनी स्वतंत्रता का सदुपयोग करना शुरु करें और कृष्ण चरण प्राप्ति की चेष्टा में लग जाएं ।

🔵 सावधान 🔵

🚩अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग यदि हम करेंगे तो अगले जन्मों में हमें वह स्वतंत्रता प्रदान नहीं की जाएगी और साफ़ है कि हमें पशु पक्षी बना दिया जाएगा ।

🚩अतः आज स्वतंत्रता दिवस के दिन सहज में बिन बलिदान के मिली हुई अपनी स्वतंत्रता के बारे में चिंतन करें और अपने ऊपर अपना शासन अर्थात आत्मानुशासन करते हुए अपने को सही मार्ग पर लगाएं और अब तक जो हुआ सो हुआ .....

🔴 अब आगे की सुधि लेय 🔴

समस्त वैष्णव जन को मेरा सादर प्रणाम
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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