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दासाभास लेखनी
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💎 भाग 1⃣
1⃣ रुचि एवं आसक्ति का अंतर - रुचि भजन में होती है और आसक्ति कृष्ण में .
2⃣ रोना सीखना है प्रभु के लिए - कथा गाना नहीं सिखाती रोना सिखाती है, कबिरा हसना बन्द कर रोने से कर प्रीत .
3⃣ प्राय सभी स्तव स्तोत्रों में फल श्रुति होती है कि इसके पाठ से पाप नष्ट हो जाते हैं लेकिन फिर भी व्यक्ति कष्ट क्यों भोगता है। इसमें भाव ये है कि हमारे अनन्तानन्त पाप हैं। अवश्य ही पाठ-स्तव आदि से कुछ हमारे पाप कट ही जाते हैं फिर भी कुछ रह जाते हैं, हमें उन्हें भोगना पड़ता है. पाठ आदि न करें तो इतने पाप हो जाय, भोगने पड़े कि हद हो जाय।
🔔 ।। जय श्री राधे ।। 🔔
🔔 ।। जय निताई ।। 🔔
🖋 लेखक
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at Vrindabn
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