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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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🔮 भाग 4⃣9⃣
💡 एक एम.बी.ए. का शिक्षक छात्रों को पढ़ाता है, पास करके काॅलेज से विदा करता है, जाऔ बेटा धन कमाऔ और स्वधर्म का पालन करो, एम.बी.ए. पढ़कर अनेको छात्र डी.एम, सी.एम., कंपनी के चेयरमैन और अन्य शीर्ष स्थानो पर पहुँच जाते हैं, परंतु शिक्षक वहीं का वहीं, क्या इससे शिक्षक का महत्व या सम्मान कम हो जाता है? बिल्कुल नहीं. चाहे कितना भी बड़ा अफसर क्यों न बन जाए शिष्य तो शिष्य ही रहेगा. अपने गुरु का सम्मान करेगा ही, ऐसे ही अध्यात्म-गुरु को चाहिए कि शिष्य को ज्ञान देकर भगवद् भक्ति का मार्ग दिखाये और विदा करे. शिष्य से अपना प्रचार न करवाता रह जाये.
💡 श्रीमद्भागवत 8.19.43 में कहा गया है स्त्रियों को प्रसन्न करने के लिए, हास परिहास में, विवाह योग्य कन्या की प्रशंसा करते समय , अपनी जीविका की रक्षा के लिए, प्राण रक्षा के लिए, गौ और ब्राह्मण के हित के लिए तथा किसी को मृत्यु से बचाने के लिए असत्य भाषण उतना निन्दनीय नहीं है.
💡 शास्त्र कल्पतरु हैं : जो बात सिद्ध करना चाहो एक सीमा तक की जा सकती है. अकेले श्रीगीताजी में ही ऐसे दृष्टान्त हैं जिनसे आप ईश्वर को निराकार और साकार दोनों ही सिद्ध कर सकते हैं. इसलिए ये आवश्यक है कि उस विषय का सम्पूर्ण विवेचन हो. विशेषकर इस बात का कि कौन सी बात - कब कही गयी ? किस परिप्रेक्ष्य में कही गयी ? किससे कही गयी ? और क्यों कही गयी ?
🐚 ।। जय श्री राधे ।। 🐚
🐚 ।। जय निताई ।। 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at Vrindabn
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