✔ *मन नहीं लगता* ✔
▶ यह एक ऐसी समस्या है
जो प्राय सभी को घेरे रहती है ।
▶ हमारी दस इंद्रियां हैं । उनका स्वामी है मन । मन का कंट्रोल् बुद्धि से होता है । बुद्धि से यदि हम विचार करते हैै तो यह कुछ कारण है जिनके कारण मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ टीवी देखने से अटपटे दृश्य और उस में दिखाए गए उत्पात से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ अखबार पढ़ने से, अखबार के दृश्य एवं ऊल जुलूल, मरने मारने, हत्या, हिंसा की खबरों से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ whatsapp, टेलीग्राम या अन्य मीडिया पर अनावश्यक चैटिंग करने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ अनेकानेक फालतू के विषय जैसे मोदी पर, ओबामा पर, क्रिकेट पर, कांग्रेस पर, बीजेपी पर अनावश्यक चर्चा करने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ चटपटा मिर्च मसालेदार भोजन या अचार आदि तीखे पदार्थ खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ पति या पत्नी के साथ या किसी मित्र के साथ यहां तक कि वैष्णव के साथ एक ही थाली में जूठा खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ होटल का भोजन, ढाबे का पराठा, पार्टियां, किट्टी पार्टी में, बुफे सिस्टम में खड़े होकर झूठे हाथों से ले देकर खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ फास्ट फूड, प्याज लहसुन, बाजार की तरह तरह की चॉकलेट, तरह तरह के पेय जिनमें मांस या मांस का रस मिला होता है वह खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ शरीर की आवश्यकता से अधिक स्वाद स्वाद में चकाचक खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ चंचल लोगों के साथ बैठने से एवं उनके साथ भोजन करने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ इस प्रकार हम देखें तो यह सारी की सारी हमारी दिनचर्या है । अतः यह 1 दिन में नहीं बदली जाएगी
▶ इनमें से धीरे धीरे एक एक चीज को थोड़ा कम करते जाएं । आज के बाद किसी का झूठा एक थाली में कभी न खाएं यह सहज में हो सकता है ।
▶ फास्ट फूड की बजाए फल और घर में बने पदार्थ खाएं । अखबार टीवी को भी धीरे धीरे छोड़ा जा सकता है ।
▶ धीरे धीरे यदि हमारी चेष्टा रहेगी तो यह सब छूट जाएगी और इनके छूटने से मन की चंचलता सहज ही कम हो जाएगी ।
▶ फिर मन की चंचलता को भगवद भजन की तरफ डाइवर्ट कर देने से भी अपना काम हो जाएगा ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
▶ यह एक ऐसी समस्या है
जो प्राय सभी को घेरे रहती है ।
▶ हमारी दस इंद्रियां हैं । उनका स्वामी है मन । मन का कंट्रोल् बुद्धि से होता है । बुद्धि से यदि हम विचार करते हैै तो यह कुछ कारण है जिनके कारण मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ टीवी देखने से अटपटे दृश्य और उस में दिखाए गए उत्पात से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ अखबार पढ़ने से, अखबार के दृश्य एवं ऊल जुलूल, मरने मारने, हत्या, हिंसा की खबरों से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ whatsapp, टेलीग्राम या अन्य मीडिया पर अनावश्यक चैटिंग करने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ अनेकानेक फालतू के विषय जैसे मोदी पर, ओबामा पर, क्रिकेट पर, कांग्रेस पर, बीजेपी पर अनावश्यक चर्चा करने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ चटपटा मिर्च मसालेदार भोजन या अचार आदि तीखे पदार्थ खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ पति या पत्नी के साथ या किसी मित्र के साथ यहां तक कि वैष्णव के साथ एक ही थाली में जूठा खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ होटल का भोजन, ढाबे का पराठा, पार्टियां, किट्टी पार्टी में, बुफे सिस्टम में खड़े होकर झूठे हाथों से ले देकर खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ फास्ट फूड, प्याज लहसुन, बाजार की तरह तरह की चॉकलेट, तरह तरह के पेय जिनमें मांस या मांस का रस मिला होता है वह खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ शरीर की आवश्यकता से अधिक स्वाद स्वाद में चकाचक खाने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ चंचल लोगों के साथ बैठने से एवं उनके साथ भोजन करने से मन में चंचलता पैदा होती है ।
▶ इस प्रकार हम देखें तो यह सारी की सारी हमारी दिनचर्या है । अतः यह 1 दिन में नहीं बदली जाएगी
▶ इनमें से धीरे धीरे एक एक चीज को थोड़ा कम करते जाएं । आज के बाद किसी का झूठा एक थाली में कभी न खाएं यह सहज में हो सकता है ।
▶ फास्ट फूड की बजाए फल और घर में बने पदार्थ खाएं । अखबार टीवी को भी धीरे धीरे छोड़ा जा सकता है ।
▶ धीरे धीरे यदि हमारी चेष्टा रहेगी तो यह सब छूट जाएगी और इनके छूटने से मन की चंचलता सहज ही कम हो जाएगी ।
▶ फिर मन की चंचलता को भगवद भजन की तरफ डाइवर्ट कर देने से भी अपना काम हो जाएगा ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
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🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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