✅ मूक दृष्टा ✅
▶ ये पहली सीढ़ी है कि कोशिश करके इस संसार में होने वाली क्रियाओं को
जेसे कोई
अकड़ू ह । कोई विनम्र ह । कोई धनवान ह । कोई गरीब है । कोई किसी से बोल नही रहा है
। कोई अधिक बोलता हा । कोई नारा, होता ही
नही । कोई क्षण क्षण में नाराज़ होता है
▶ कोई कैसा कोई कैसा । बस देखो । कुछ समय में ये
सब गुण दोष दीखना भी बन्द हो जाएंगे ।
▶ बस किसी को बदलने की मत सोचो । और उसके बारे
में भी मत सोचो । सोचो बस यही कि वाह प्रभु तेरे रंग निराले । अपनी सृष्टि में
कैसे कैसे जिव बनाये तूने ।
▶ ठीक वेसे जेसे चूहे । बिल्ली । शेर । हाथी को
देख कर कभी नही सोचते कि ये हाथी इतना मोटा क्यों है ।
▶ ठीक इसी प्रकार ये मत सोचो की ये ऐसा क्यों है
। वो वेसा क्यों है । अपितु उनमे जो कमी लगे । उसको अपने म न आने दो
🌹समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम🙏
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
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