ये कोई बुरी चीज़ नहीं । यदि बुरी होती तो दूसरों को सम्मान देने का आदेश न किया होता शास्त्र में ।
हाँ इसकी इच्छा । चाहना बुरी है ।
जेसे मुक्ति । ये भी कोई बुरी नही । इसकी भी इच्छा करना पिशाची है
आप के आचरण । व्यवहार । कार्य के कारण आपको स्वतः सम्मान मिलेगा । अवश्य मिलेगा । मिलने दीजिये ।
सम्मान को कीमत मत दीजिये अपितु पड़ा रहने दीजिये एक तरफ कौने में उपेक्षित सा ।
लेकिन सम्मान मिले । ये इच्छा रखकर कार्य करना । ये इच्छा पिशाची ह
सबसे बड़ी बात सम्मान मिले तो हम उच्छलें नही । न मिले या अपमान मिले तो निराश न हों । कठिन ह । असम्भव नही ।
समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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