Tuesday, 15 November 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर 28​

​⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर




 🔮 भाग​​​ 28​
​​
​​
​💡 जो व्यक्ति भगवद बहिर्मुख हो
और उपदेश सुनकर भी
वह भगवद उन्मुख न हो रहा हो
ऐसे व्यक्ति को भगवद उपदेश
नही करना चाहिए
यह नामाप्राध है.

💡 अकर्मण्य व्यक्ति की उपेक्षा
 वह व्यक्ति श्रेष्ठ है ​
​जो किसी कार्य के लिए
प्रयास करता है और
उसमे असफल हो जाता है.
हारने का मतलब है जीत की
एक सीढ़ी पार कर लेना.

💡 12 वर्ष तक माता के गर्भ में रहने वाले
'मेरी माया तुम्हे नही पकड़ेगी'-
भगवन के इस आश्वासन के बाद
प्रकट होने वाले और प्रकट होते ही
अवधूत अवस्था में घर त्याग कर
चलने वाले श्रीमदभागवत के गायक
परमहंस रसिक शिरोमणि सर्वज्ञाता
श्रीशुकदेवजी ने भी पिता श्रीव्यासदेवजी
के कहने से रजा जंक को गुरु बनाया
और उनसे ज्ञान प्राप्त किया
विशेष ज्ञानवान निगुरे साधकों के लिए
क्या यह संदेश प्रेरक नही. ​

​🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn


No comments:

Post a Comment