✔ *श्री जी के नूपुर* ✔
▶ यह सारी सृष्टि शब्द सृष्टि है । जब प्रारंभ होती है तो शब्द से ही प्रारंभ होती है । जैसे ठाकुर कहते हैं पृथ्वी । तो पृथ्वी उत्पन्न हो जाती है ।
▶ ठाकुर कहते हैं जल । तो जल उत्पन्न हो जाता है ठाकुर कहते हैं वृक्ष । तो वृक्ष उत्पन्न हो जाते हैं
▶ लेकिन प्रश्न उठता है कि यह शब्द कहां से निकला । क्योंकि शब्द या अक्षर भी ब्रह्म ही है गीता में कहा है " अकारोस्मि" । ॐ भी शब्द ब्रह्म है ।
▶ श्री अच्यु्त लाल जी भट्ट की भागवत निवास की कथा में उत्कलिका वल्लरी का रसास्वादन करते हुए श्री रूप गोस्वामी पाद ने कहा है।
▶ इस शब्द की उत्पत्ति है सर्वप्रथम वह श्रीजी के नूपुर से होती है । जब श्री जी चलती है तो उनके नूपुरों से जो ध्वनि होती है सर्व प्रथम शब्द का प्रादुर्भाव, शब्द की पहली उत्पत्ति श्रीजी के
नूपुरों से होती है ।
▶ अ हा हा हा कितनी सुंदर रस भरी बात और दूसरी शब्द की उत्पत्ति लाल जी की बांसुरी से होती है ।
▶ लाल जी की बांसुरी और प्रिया जी के नूपुर इन दोनों से शब्द की उत्पत्ति होती है और फिर शब्द से समस्त सृष्टि की उत्पत्ति होती है ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
▶ यह सारी सृष्टि शब्द सृष्टि है । जब प्रारंभ होती है तो शब्द से ही प्रारंभ होती है । जैसे ठाकुर कहते हैं पृथ्वी । तो पृथ्वी उत्पन्न हो जाती है ।
▶ ठाकुर कहते हैं जल । तो जल उत्पन्न हो जाता है ठाकुर कहते हैं वृक्ष । तो वृक्ष उत्पन्न हो जाते हैं
▶ लेकिन प्रश्न उठता है कि यह शब्द कहां से निकला । क्योंकि शब्द या अक्षर भी ब्रह्म ही है गीता में कहा है " अकारोस्मि" । ॐ भी शब्द ब्रह्म है ।
▶ श्री अच्यु्त लाल जी भट्ट की भागवत निवास की कथा में उत्कलिका वल्लरी का रसास्वादन करते हुए श्री रूप गोस्वामी पाद ने कहा है।
▶ इस शब्द की उत्पत्ति है सर्वप्रथम वह श्रीजी के नूपुर से होती है । जब श्री जी चलती है तो उनके नूपुरों से जो ध्वनि होती है सर्व प्रथम शब्द का प्रादुर्भाव, शब्द की पहली उत्पत्ति श्रीजी के
नूपुरों से होती है ।
▶ अ हा हा हा कितनी सुंदर रस भरी बात और दूसरी शब्द की उत्पत्ति लाल जी की बांसुरी से होती है ।
▶ लाल जी की बांसुरी और प्रिया जी के नूपुर इन दोनों से शब्द की उत्पत्ति होती है और फिर शब्द से समस्त सृष्टि की उत्पत्ति होती है ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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