Wednesday, 30 November 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 28



⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱
सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺

 🔮 भाग 28

💡 जो व्यक्ति भगवद बहिर्मुखी हो
और उपदेश सुनकर भी
वह भगवत उन्मुख न हो रहा हो
ऐसे व्यक्ति को भगवद उपदेश
नहीं करना चाहिए
यह नाम अपराध है

💡 अकर्मण्य व्यक्ति की अपेक्षा
वह व्यक्ति श्रेष्ठ है
जो किसी कार्य के लिए
प्रयास करता है और
उसमें असफल हो जाता है.
हारने का मतलब है जीत की
एक सीढ़ी पार कर लेना.

💡 12 वर्ष तक माता के गर्भ में रहने वाले
" मेरी माया तुम्हें नहीं पकड़ेगी "-
भगवान के आश्वासन के बाद
प्रकट होने वाले और प्रकट होते ही
अवधूत अवस्था में घर त्याग कर
चलने वाले श्रीमद्भागवत के गायक
परमहंस रसिक शिरोमणि सर्वज्ञाता
श्री शुकदेव जी ने भी पिता श्री वेदव्यास जी
के कहने से राजा जनक को गुरु बनाया
और उनसे ज्ञान प्राप्त किया.
विशेष ज्ञानवान निगुरे साधकों के लिए
क्या यह संदेश प्रेरक नहीं.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया  
LBW - Lives Born Works at vrindabn

ग्रन्थ परिचय : श्रीब्रह्म सहिंता

​​📖 ग्रन्थ    परिचय 5⃣ 7⃣   📖
💢 ग्रन्थ   नाम : श्रीब्रह्म सहिंता
💢 लेखक  : श्रीब्रह्मा जी
💢 भाषा : संस्कृत-हिंदी अनुवाद-टीका
💢 साइज़ : 14 x 22 सेमी💢 पृष्ठ     : 76 सॉफ्ट    बाउंड
💢 मूल्य    : 30  रूपये
💢 विषय वस्तु :
      सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्मा जी द्वारा
      गोलोकस्थ भगवान श्रीगोविन्द
      की विपुल स्तुति  
💢 कोड : M057-Ed2
💢 प्राप्ति    स्थान:
1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस
📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री

📗🔸📘🔹📙🔶📔


Tuesday, 29 November 2016

granth shrihari bhkti vilas



​​📖 ग्रन्थ    परिचय 5⃣ 6⃣  📖

💢 ग्रन्थ   नाम : श्रीहरिभक्ति विलास 
💢 लेखक  : श्रीसनातन-श्रीगौपल भट्ट  गोस्वामी
💢 भाषा : संस्कृत-हिंदी | बृज विभूति श्री श्यामदास
💢 साइज़ : 14 x 22 सेमी
💢 पृष्ठ     : 124 सॉफ्ट    बाउंड
💢 मूल्य    : 100  रूपये

💢 विषय वस्तु :
       वैष्णवों का संविधान ग्रन्थ 
       अनेक शंकाओ का शास्त्रीय समाधान 

💢 कोड : M056-Ed1

💢 पराप्ति   स्थान:



1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री

📗🔸📘🔹📙🔶📔

mere ya unka

mere ya unka
​​

✔  *mere ya unka*    ✔  

▶ श्री कृष्ण मेरे हैं
श्री कृष्ण मेरे हैं -इस भाव को मदीयता भाव कहते हैं

▶ अर्थात-उनकी सेवा, उनका ध्यान मुझे
रखना है - इसे भक्ति भी कहते हैं
= श्री कृष्ण की अनुकूलता पूर्वक उनकी सेवा।

Monday, 28 November 2016

shri ji ke nupur

​​​✔  *श्री जी के नूपुर*    ✔

▶ यह सारी सृष्टि शब्द सृष्टि है । जब प्रारंभ होती है तो शब्द से ही प्रारंभ होती है । जैसे ठाकुर कहते हैं पृथ्वी । तो पृथ्वी उत्पन्न हो जाती है ।

▶ ठाकुर कहते हैं जल । तो जल उत्पन्न हो जाता है ठाकुर कहते हैं वृक्ष । तो वृक्ष उत्पन्न हो जाते हैं

▶ लेकिन प्रश्न उठता है कि यह शब्द कहां से निकला । क्योंकि शब्द या अक्षर भी ब्रह्म ही है गीता में कहा है " अकारोस्मि" । ॐ  भी शब्द ब्रह्म है ।

▶ श्री अच्यु्त लाल जी भट्ट की भागवत निवास की कथा में उत्कलिका वल्लरी का रसास्वादन करते हुए श्री रूप गोस्वामी पाद ने कहा है।

▶ इस शब्द की उत्पत्ति है सर्वप्रथम वह श्रीजी  के नूपुर से होती है । जब श्री जी चलती है तो उनके नूपुरों से जो ध्वनि होती है सर्व प्रथम शब्द का प्रादुर्भाव, शब्द की पहली उत्पत्ति श्रीजी के
नूपुरों से होती है ।

▶ अ हा हा हा कितनी सुंदर रस भरी बात और दूसरी शब्द की उत्पत्ति लाल जी की बांसुरी से होती है ।

▶ लाल जी की बांसुरी और प्रिया जी के नूपुर इन दोनों से शब्द की उत्पत्ति होती है और फिर शब्द से समस्त सृष्टि की उत्पत्ति होती है  ।


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

shri ji ke nupur

Thursday, 17 November 2016

ग्रन्थ परिचय : साध्य-साधन-निर्णय

​​📖 ग्रन्थ    परिचय 5⃣ 5⃣  📖

💢 ग्रन्थ   नाम : साध्य-साधन-निर्णय
💢लेखक  : बृज विभूति श्री श्यामदास   
💢 भाषा : हिंदी
💢 साइज़ : 14 x 22 सेमी
💢 पृष्ठ     : 160 हार्ड   बाउंड
💢 मूल्य    : 100  रूपये

💢 विषय वस्तु :

       मानव-जीवन में परम साध्य का
       श्रीमन्म्हाप्रभु-रायरामानन्द संवाद
       पर आधारित प्रश्नोत्तर रूप में निरूपण 

💢 कोड : M055-Ed2

💢 पराप्ति   स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस
📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री

📗🔸📘🔹📙🔶📔

 साध्य-साधन-निर्णय
 साध्य-साधन-निर्णय 

Tuesday, 15 November 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर 28​

​⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर




 🔮 भाग​​​ 28​
​​
​​
​💡 जो व्यक्ति भगवद बहिर्मुख हो
और उपदेश सुनकर भी
वह भगवद उन्मुख न हो रहा हो
ऐसे व्यक्ति को भगवद उपदेश
नही करना चाहिए
यह नामाप्राध है.

💡 अकर्मण्य व्यक्ति की उपेक्षा
 वह व्यक्ति श्रेष्ठ है ​
​जो किसी कार्य के लिए
प्रयास करता है और
उसमे असफल हो जाता है.
हारने का मतलब है जीत की
एक सीढ़ी पार कर लेना.

💡 12 वर्ष तक माता के गर्भ में रहने वाले
'मेरी माया तुम्हे नही पकड़ेगी'-
भगवन के इस आश्वासन के बाद
प्रकट होने वाले और प्रकट होते ही
अवधूत अवस्था में घर त्याग कर
चलने वाले श्रीमदभागवत के गायक
परमहंस रसिक शिरोमणि सर्वज्ञाता
श्रीशुकदेवजी ने भी पिता श्रीव्यासदेवजी
के कहने से रजा जंक को गुरु बनाया
और उनसे ज्ञान प्राप्त किया
विशेष ज्ञानवान निगुरे साधकों के लिए
क्या यह संदेश प्रेरक नही. ​

​🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn


Monday, 14 November 2016

ग्रन्थ परिचय : माधुर्य-कादम्बिनी

​📖 ग्रन्थ    परिचय 5⃣ 4⃣  📖

💢 ग्रन्थ   नाम : माधुर्य-कादम्बिनी 
      दासाभासिनी टीका सहित
💢लेखक  : श्रील विश्वनाथ चक्रवर्तीपाद  
💢 भाषा : संस्कृत- हिंदी अनुवाद  टीका  |
     ब्रजविभूति श्रीश्यामदास

💢 साइज़ : 14 x 22 सेमी
💢 पृष्ठ     : 250 हार्ड   बाउंड
💢 मूल्य    : 150  रूपये

💢 विषय वस्तु :
       साधक में भक्ति की आरम्भिक
       विभिन्न अवस्थाओ के उतार-चड़ाव आदि
     के विषय में मनोवैज्ञानिक अध्ययन

💢 कोड : M054-Ed3

💢 पराप्ति   स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री
📗🔸📘🔹📙🔶📔

ग्रन्थ परिचय : माधुर्य-कादम्बिनी

Thursday, 10 November 2016

एकादशी व्रत


​✔  *एकादशी व्रत*    ✔

▶ प्राय सभी वैष्णव एकादशी व्रत रखते हैं । एकादशी व्रत का जो सामान्य नियम है, वह है कि साधक दिनभर निर्जल रहे । जल भी ना पीए ।

▶ फिर क्योंकि यह अभ्यास का काम है । सहज नही सभी के लिए । फिर शास्त्र में छूट दी गई कि आप जल ले लीजिए ।

▶ खाली जल से भी काम नहीं चलता तो
कोई फल ले लीजिए

▶ फल से भी नहीं चलता तो फूल ले लीजिए । दूध ले लीजिए । फलाहार ले लीजिए । यह छूटें हैं ।

▶ और दासाभास जानता है कि यदि निर्जल के 100 नंबर हैं तो छूट देने पर नंबर कम होते जाते हैं

▶ इसलिए यथासंभव शरीर से भजन होता रहे अपितु आज के दिन अधिक से अधिक रोज के नियम से कम से कम डबल भजन हो इसके लिए जैसा भी एकादशी का आहार आपको ठीक लगे । आप ले लीजिए ।

▶ एकादशी का मुख्य केंद्र है भजन । दूसरा है रात्रि जागरण । तीसरा हे प्रभु के पास बैठ के उन का स्मरण लीला चिंतन । नाम जप आदि ।

▶ दासाभास का निवेदन है कि खाना न खाना तो शरीर को सात्विकता, शांति, उद्विग्नता रहित विकार रहित बनाए रखने के लिए है ।

▶ दासाभास खाए तो फल और उस पर चकाचक नींबू डाल दें । चकाचक चाट मसाला डालें ।  चका चक उसमें फलाना फ्लेवर डाल दें  चकाचक कुछ भी डाल दें और उसको एक रजोगुणी डिश बना कर खाएं तो आप समझ सकते हैं कि वह रजोगुण उत्पन्न करेगा ।

▶ शरीर में विकार उत्पन्न करेगा केवल वस्तु पर नहीं है मोटी बात है भोजन ऐसा हो जो शरीर में विकार प्रदान न करें । मन में चंचलता पैदा ना करें । शरीर चलता भी रहे और अविकारी । शांत रहे । जिससे हम भजन करें ।

▶ इसके विपरीत हमने भोजन पर तो नियंत्रण कर लिया फल फूल खा लिया । अन्न नहीं खाया लेकिन दिन भर राग द्वेष निंदा करते रह ।

▶ सास बहू के या अटपटे सीरियल देखते रहे, फिल्म देखते रहे, लड़ते रहे , झगड़ते रहे, तो आप सोचिए कि आपने कितना व्रत का पालन किया ।

▶ कदाचित ऐसा भी होता है कि भूल से दासाभास अन्न खा लेता है या दवा आदि कुछ ऐसे कारण बन जाते हैं कि कुछ गड़बड़ खा लेता है ।

▶ तो इसमें भी कदापि ऐसा नहीं है कि इस व्रत को फिर आगे पूरे दिन छोड़ दिया जाए । व्रत को चालू ही रखा जाए ।

▶ वह एक भूल है । उस भूल के लिए हो सकता है कुछ नंबर कम हो जाए । वैसे भी हम लोग जो एकादशी व्रत रखते हैं वह 100 नंबर का तो होता ही नहीं है ।

▶ हम गृहस्थ 25 । 50 नंबर का व्रत रखते हैं । उसमें यदि पांच नंबर कट जाएंगे तो कट जाए बाकी के 40 । 50 नंबर तो हमें प्राप्त करने ही चाहिए । भूल होने पर व्रत का त्याग नहीं करना है यथासंभव ।

▶ यह दासाभास पुनः कहेगा कि भजन पर केंद्रित करें । धीरे धीरे हर एकादशी को थोड़ा थोड़ा भजन बढ़ाएं ।

▶ एकादशी के 1 दिन पहले अपनी सारी माया को समेट दें कि कल एकादशी है और मैं भजन करूंगा या करूंगी ।

▶ प्रयास से दासाभास को  सफलता मिली है । आपको भी मिलेगी धीरे धीरे । मिलेगी । एक दिन में कुछ नहीं होगा । अतः लगे रहिए । लगे रहिए

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn


Thursday, 3 November 2016

Dasabhas on Sannyaas

mayavadi sannyaas nd vaishnv sannyaas pr
an intervew with shri dayaaveer daas
the producer of VRAJ KI KHOJ film

https://www.youtube.com/watch?v=QHIl9e--LcI



दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn


Wednesday, 2 November 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 27



⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱
सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺

 🔮 भाग 27

💡 यश कामी लोगो की
एक अद्भुत विशेषता
होती है कि वे दुसरो का
आदर और सम्मान
केवल इसलिए
करते है कि उन्हें सम्मान
और यश प्राप्त हो.     

💡 पतंग आसमान की उचाईयो को
तब तक नही छूती है जब तक कि वह
जमीन पर खड़े व्यक्ति के हाथ की डोर
से जुडी है. डोर टूटी नही कि पतंग का
कही दूर जाकर नीचे गिरना तय है.
ऐसे ही उचाईयो पर पहुंचे हुए व्यक्ति
को भी ध्यान रखना चाहिए कि उसकी
डोर भी किसी भी किसी के हाथ है-अंतः सावधान
कही डोर टूटी तो गिरना तय है.

💡 एक नेत्रहीन संत प्रतिदिन
मन्दिर में आरती करने जाया करते.
किसी ने उनसे पूछ ही लिया-
महाराज आप तो नेत्रहीन हो
यंहा आकर आप कैसे भगवान की
आरती करते हो ?
संत बोले- मैं ही तो नेत्रहीन हूँ
प्रभु थोड़े ही है, वे तो मुझे देख हही लेंगे
बस हो गया मेरा काम.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn


Tuesday, 1 November 2016

Dasabhas Ji Kahin 011116

🙌🏼      🙏🏼     🙌🏼            🔏🔓
 🎪जय गौर हरि🎪

📮📮कछ जिज्ञासाएँ❓
💽💽💽उनके समाधान....।
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮भजन बहुत करने पर भी गुस्सा कम नहीं होता।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/cxYzNjND


💽⏰03:07
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮वष्णव का वेश।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/db


💽⏰06:19
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮 परकीया भाव....।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/VlNTdhOT

💽⏰05:43
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮तरिनादपि सुनीचेन.....।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/MxNGRhM2


💽⏰04:11
➖➖➖➖➖➖➖➖

📮पाठ पूजा और मृत्यु .....।

http://yourlisten.com/Dasabhas/MyM2QxMD

💽⏰03:14
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮शिक्षाष्टक का सातवां श्लोक नयनं अश्रु धार्या.....।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/MxMmYwZW

💽⏰07:34

🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
➖➖➖➖➖➖➖➖
⚠️⚠️⚠️⚠️⚠️

💽💽💽
🐚।श्री राधारमणाय समर्पणम्।