मंदिर में मुसलमान
मिल गया समाधान
इसमें कण भर भी संदेह नहीं की शंशय की स्थिति में सदा ही
शास्त्र के आदेश को पालन करना चाहये
१ शहद - मक्खियों का थूक ही है
२ गोमूत्र - मूत्र ही है
३ शंख - एक हड्डी ही है
४ गोबर - मल ही है
५ ढोलक में जीव की खाल का प्रयोग है
लेकिन शास्त्र आदेश के कारण ही इनका प्रयोग वर्जित नहीं है
अपितु भगवद सेवा में होता है
साथ ही शास्त्र का भाव व आदेश को मानने व समझने का
सभी का स्तर अलग-अलग है
एक प्रामाणिक पुस्तक में अध्यापक ने लिखा
यदि ४८ का पहाड़ा याद नहीं होगा तो तुम गणित में फ़ैल हो जाओगे
कक्षा ३ या ४ के विद्यार्थी के लिए ये आदेश पालनीय है
कक्षा १२ के विद्यार्थी के लिए इसका कोई अर्थ नहीं हैं
इसी प्रकार मंदिर का अपवित्र होने के , उस व्यक्ति के पवित्र होने के
मंदिर के यथावत पवित्र रहने के , इससे कोई फर्क न पड़ने के
अनेक उदाहरण व आदेश शास्त्र में हं।
हम अपने - अपने स्तर के आदेशों को महत्व देते हैं
स्तर बढ़ने पर आगे भी बढ़ते हैं।
सभी के विचारों से अभिभूत हूँ। सभी को प्रणाम
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
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