Thursday, 8 November 2012

272. BHAKTI AMAR HAI

BHAKTI AMAR HAI


अमृतस्वरूप भक्ति 

नारद भक्ति सूत्र का दूसरा सूत्र है 
जिसके अनुसार भक्ति अमृत स्वरुप है ,अथवा अमृत है

अमृत यानि अ+मृत जो मृत नहीं होती ,जिसका
 नाश नहीं होता ,जो सदेव है ,अमर है
इस जनम मै जितनी भक्ति करोगे ,जितनी सीड़ी 
चड़ोगे , मृत्यु के साथ वह समाप्त नहीं होगी , 
अगले जन्म में अगली सीढी  से प्रारंभ करना होगा 

पिछली सीढीयां  अमर है ,हर जनम मे जुड़ती  जायगी 
भक्ति का नाश नहीं , न ही भक्त का नाश है -'न मे भक्त प्रनश्यति'
बकि  कर्म का फल 
भोग या मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है 

अतः  इस भक्ति अमृत का अवश्य पान करो 
जितना हो उतना करो -यह अमर है -हर जन्म में जुड़ता रहेगा 

JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

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