तीन प्रकार के अर्थ
१. मुख्य या अभिधा : 'यह एक घर है'
स्पष्ट है। कोई अर्थ लगाने की ज़रुरत नहीं
.
२.लक्षणा : 'गंगा में घर है'.
गंगा में, जल में घर नहीं हो सकता
अतः: अर्थ लगाना है की गंगा के किनारे घर है .
३. व्यंजना : 'गुरूजी संध्या हो गयी'.
अर्थात शाम हो गयी . अब पढ़ना बंद करो
या शाम को जो काम करते हो वो करो.
इशारे से बात को समझो
ग्रन्थ या शास्त्र में इन तीनों का प्रयोग हुआ है
जो जानने वाले हैं, उनसे सही अर्थ समझा जाना चाहिए
अन्यथा 'गंगा में घर है' के हिसाब से गंगा में दुबकी लगा-लगा
कर घर ढूंढने वाले को क्या हाथ लगेगा ?
लिखा हुआ तो साफ़-साफ़ है ही
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