मरना
विशुद्ध प्रेम में मरना तो होता ही नहीं
अपने प्रियतम के सुख के लिए
बस जीना ही जीना
मरने से तो प्रियतम को अपार दुःख होगा
दुःख तो क्या, यदि सुख में भी बाधा हो,
वह काम भी नहीं करना
प्रेम का अर्थ प्रेमी का सुख !!!!!
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JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
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