Wednesday, 7 November 2012

271. MARNA




मरना

विशुद्ध प्रेम में मरना तो होता ही नहीं
अपने प्रियतम के सुख के लिए
बस जीना ही जीना



मरने से तो प्रियतम को अपार दुःख होगा
दुःख तो क्या, यदि सुख में भी बाधा हो,
वह काम भी नहीं करना

प्रेम का अर्थ प्रेमी का सुख !!!!!

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JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

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