जूते का शोरूम
मै लोगों को वही दे पाउँगा, जो मेरे पास होगा या है
यदि में स्वयं राग-द्वेष, माया, मोह, धन, विलासिता अशांति से घिरा हूँ तो
आपको प्रेम, शांति, धन से अनासक्ति, भक्ति कैसे दे पाउँगा?
और यदि फिर भी में यह सब देने की बात करता हूँ तो
आपका कर्त्तव्य है कि आप सावधानी पूर्वक विचार करें- देखें, समझें
शोरूम जूते का - बुकिंग ज्वेलरी की ?
JAI SHRI RADHE

No comments:
Post a Comment