Sunday, 22 April 2012

203. ananyataa



अनन्यता
अनन्यता हृदय में विराजने वाला तत्व है. इसे प्रकाशित किया जाए तो कट्टरता बन जाती है.
कट्टरता एक नेगेटिव शब्द है-इसमें से विरोधात्मक-नकारात्मक वाईब्रेश  निकलती है.

किसी भी एक के लिए कट्टर होते ही हम अनेक के विरोधी हो जाते है. 
अतः अनन्यता को ह्रदय में रखते हुए अन्य सभी मत-मतान्तरों 
का सम्मान  होना चाहिए अपितु अपमान तो किसी का होना ही नहीं है.

'अनन्यता' में निष्ठा एक में, अपमान किसी का भी नहीं. 
कट्टरता में अपनी 'निष्ठा' भी एक में और प्रयास यह कि सभी की  निष्ठा इसी में रहे. 
दुसरे के सम्मान  का तो प्रश्न ही नहीं.
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia

ananyataa

No comments:

Post a Comment