टार्गेट से समत्व
कुछ अच्छा लगना : कुछ बुरा लगना,यह एक स्थिति है : सामान्य विवेक
कुछ भी अच्छा न लगना : बुरा बुरा लगना एक यह है : नेगेटिव
सब अच्छा ही लगना : बुरा कुछ न लगना
कुछ कम अच्छा लगना, कुछ अधिक अच्छा लगना एक यह है : पोजिटिव
सब एक सा लगना न बुरा : न अच्छा, यह है - समत्व, निर्द्वंद भाव
लोकिक विषयों मैं समत्व आने का कारन इसकी असारता का भान है |
ये असार है तो इसने निश्चित ही उसने किसी सार तत्व को पकड़ा है
यदि छात्र है तो घंटी बजने से पूर्व स्कूल जाना उसका टारगेट है तभी
स्कूल जाते समय रस्ते मैं होने वाला एक्सीडेंट,
जादूगर का खेल या दो लोगों के झगडे मैं
वह उसे निर्द्वंद या समस्त भाव से देखता हुआ स्कूल की तरफ
बढकर घंटी से पूर्व पहुच जाता है
और जिनको स्कूल नहीं जाना है वह झगड़ने वालों से झगड़ते है और
जादूगर का खेल देख कर मन प्रसन्न होते है एक्सीडेंट देखकर रोते हैं |
अत :समत्व यो ही नहीं आ जायेगा परम आवश्यक है
अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित
करना उसकी प्राप्ति की चेष्टा मैं लग जाना
और उसके अतिरिक्त जो भी है उसमें एक सा रहना - समत्व प्राप्त करना |
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
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