Wednesday, 4 January 2012

174. aa t maa naraz hai



क्यों तू नाराज़ है ?

हे परमात्मा !
तुझसे मिलना चाहती है आत्मा 
कई जन्मों से तेरी ओर आ रही है 
बेहद छटपटा रही है 
लेकिन मिल नहीं पा रही है 
इसका क्या राज है 
क्या तू इससे नाराज़ है 

हे कविराज !
कैसा बेतुका प्रश्न करता है आज ?
फिर भी मैं तुझे तेरे प्रश्नों का उत्तर देता हूँ
मैं मनुष्य को देने के सिवाय 
आखिर उससे क्या लेता हूँ 
फिर भी मनुष्य मुझको नहीं 
मुझसे चाहता है 
इसलिए मिल नहीं पता है 
केवल अपनी आत्मा को तडफाता है 

कविवर श्रीहरिबाबू ओम - परासोली, गोवर्धन 

JAI SHRI RADHE

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