Tuesday, 24 January 2012

181. chhoti naukari v/s badi naukari



मैंने नौकरी छोड़ दी 

पचास हज़ार की लगी लगाईं नौकरी कोई छोड़ दे, 
और घर आकर माता को बताये तो माता बुरा भला कहेगी 

और यदि माता को यह बताया जय की ५० की छोड़कर 
अब ८० हज़ार की कर ली है तो माता गोद में भर लेगी

इसी प्रकार बड़े धर्म के लिए छोटे धर्म को छोड़ना 
अपराध नहीं, बुद्धिमानी है,
और जब बात  परम धर्म की हो तो फिर कहना ही क्या है ?

'सा वै पुंसा परोधर्म यतो भक्तिरधोक्षजे'

और परम धर्म है : श्री कृष्णसेवा या श्रीकृष्णप्रेम  

साथ ही जब कोई परम धर्म के पालन में निष्ठा से लग जाता है तो
सामान्य धर्म छोड़ने नहीं पड़ते,

 पता नहीं कब स्वतः ही छूट जाते हैं.

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia

Monday, 23 January 2012

180. target se samatva




टार्गेट से समत्व 

कुछ अच्छा लगना : कुछ बुरा लगना,यह एक स्थिति है : सामान्य विवेक

कुछ भी अच्छा न लगना : बुरा बुरा लगना एक यह है : नेगेटिव 

सब अच्छा ही लगना : बुरा कुछ न लगना 
कुछ कम अच्छा लगना, कुछ अधिक अच्छा लगना एक यह है : पोजिटिव  

सब एक सा लगना न बुरा : न अच्छा, यह है - समत्व, निर्द्वंद भाव 

लोकिक विषयों मैं समत्व आने का कारन इसकी असारता का भान है | 
ये असार है तो इसने निश्चित ही उसने  किसी सार तत्व को पकड़ा है

यदि  छात्र है तो घंटी बजने से पूर्व स्कूल जाना उसका टारगेट है तभी 
स्कूल जाते समय रस्ते मैं होने वाला एक्सीडेंट, 
जादूगर का खेल या दो लोगों के झगडे मैं 
वह उसे निर्द्वंद या समस्त भाव से देखता हुआ स्कूल की तरफ 
बढकर घंटी से पूर्व पहुच जाता है 

और जिनको स्कूल नहीं जाना है वह झगड़ने वालों से झगड़ते है और 
जादूगर का खेल देख कर मन प्रसन्न होते है एक्सीडेंट देखकर रोते हैं |

अत :समत्व यो ही नहीं आ जायेगा परम आवश्यक है 
अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित 
करना उसकी प्राप्ति की चेष्टा मैं लग जाना 
और उसके अतिरिक्त जो भी है उसमें एक सा रहना - समत्व प्राप्त करना | 
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia

Thursday, 12 January 2012

179. FREE 4 THREE

जय श्री राधे 


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Wednesday, 11 January 2012

178. prapti ka antar



पीला तरबूज : प्राप्ति के स्तर

मेरे एक मित्र ने मुझसे पूछा 
आपने मलेशिया का पीले रंग का तरबूज खाया है ? 

मेने कहा तरबूज तो लाल होता है मैंने तो पीला तरबूज 
पहली बार सुना है - एक प्रकार की प्राप्ति परिचय / सुनना 

उसने कहा गूगल खोलो, अभी देखो 
मलेशिया का पीला -  तरबूज बहुत स्वादिष्ट और अच्छा होता है 
गूगल पर देखा : दूसरे प्रकार की प्राप्ति

फिर जब मैं मलेशिया जा रहा था तो फ्लाइट मै एक 
सहयात्री को पीला तरबूज खाते हुए अपनी आँखों से देखा 
- तीसरे प्रकार की प्राप्ति 

मलेशिया पहुचने पर फल वाले से मैं पीला तरबूज 
खरीद लाया | अब पीला तरबूज मेरे हाथ मैं था | चतुर्थ प्रकार की प्राप्ति 

अब होटल मैं आकर उस पीले तरबूज को अमनिया किया, 
ठाकुर को भोग लगाया और उस पीले तरबूज को स्वयं पाया : 
पाँचवे प्रकार की प्राप्ति 

इसी प्रकार भजन की स्थिति , परोपकार कीस्थिति , 
यहाँ तक कि 
भगवान् के  अवतारों मैं
 उनकी शक्ति, उपस्थिति, प्रभाव मैं भी सूक्ष्म अंतर है |

आवश्यकता है समझने की | समझ नहीं आती तो बात 
गलत नहीं है, हमारी बुद्धि ओर योग्यता की सीमा कारण है  

-- 
JAI SHRI RADHE


DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
made to serve ; GOD  thru  Family  n  Humanity
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

Friday, 6 January 2012

177. hanuman ki upasna


 hanuman ki upasna





✅  *श्री हनुमान की उपासना* ✅ 

▶ श्री हनुमान को 
श्री राम का परमदास मानकर यदि उपासना की जाएगी तो 
वह उपासना एक प्रकार से श्री राम - उपासना ही है |

▶ श्री हनुमान को 
स्वयं उपास्य मानकर की गयी उपासना के फलस्वरूप श्री हनुमान 
उसे अपने स्वामी श्री राम से मिला देंगे, उसे उनकी और मोड़  देंगे | 
अन्ततोगत्वा वह राम उपासक वन ही जायेगा |

▶ लेकिन यह  बात सभी मैं नहीं है 
श्री हनुमान क्योकि राम के परमभक्त हैं अत:वे ऐसा ही करते हैं 

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

Thursday, 5 January 2012

176. KUTTA PALAK NARK JAYENGE !!

SAAVDHAAN............

jo log kutta palte hai, ve dhyan se padhen. ho sake to kutte par hone wala kharch apni bai ya driver ya anya kisee naukar par karen, nark to nahi hee milega, shayad swarg bhi mil jaye. kam se kam bhagvan se jude ya vaishnavon ko to kutta bilkul bhi nhi paalna chahiye, jsr

175. sewa bataiye




कोई सेवा बताइए
प्राय: हम गुरुजनों से, वरिष्ठ जनों से 
यह कहते है की महाराज मेरे लायक कोई सेवा बताइए 

हमने  पूछी और उन्होंने बता दी 
हो सकता है हमको अच्छी न लगे , आपके स्वरूप के अनुकूल न हो 

हमने यदि कर दी तो हो सकता है अहं आ जाये 
और बहुत सम्भावना है 
की आज सेवा मांगी, कल सेवा के बदले मैं हम भी कुछ मांगने लग जाएँ 

अत: सेवा पूछनी नहीं है, स्वयं देखनी है, समझनी है और करनी है 
जो उल्लास आये उसमें ह्रदय का रस व् प्रेम मिलकर सेवा करो, आनंद लो | 
 JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia

Wednesday, 4 January 2012

174. aa t maa naraz hai



क्यों तू नाराज़ है ?

हे परमात्मा !
तुझसे मिलना चाहती है आत्मा 
कई जन्मों से तेरी ओर आ रही है 
बेहद छटपटा रही है 
लेकिन मिल नहीं पा रही है 
इसका क्या राज है 
क्या तू इससे नाराज़ है 

हे कविराज !
कैसा बेतुका प्रश्न करता है आज ?
फिर भी मैं तुझे तेरे प्रश्नों का उत्तर देता हूँ
मैं मनुष्य को देने के सिवाय 
आखिर उससे क्या लेता हूँ 
फिर भी मनुष्य मुझको नहीं 
मुझसे चाहता है 
इसलिए मिल नहीं पता है 
केवल अपनी आत्मा को तडफाता है 

कविवर श्रीहरिबाबू ओम - परासोली, गोवर्धन 

JAI SHRI RADHE