मैंने नौकरी छोड़ दी
पचास हज़ार की लगी लगाईं नौकरी कोई छोड़ दे,
और घर आकर माता को बताये तो माता बुरा भला कहेगी
और यदि माता को यह बताया जय की ५० की छोड़कर
अब ८० हज़ार की कर ली है तो माता गोद में भर लेगी
इसी प्रकार बड़े धर्म के लिए छोटे धर्म को छोड़ना
अपराध नहीं, बुद्धिमानी है,
और जब बात परम धर्म की हो तो फिर कहना ही क्या है ?
'सा वै पुंसा परोधर्म यतो भक्तिरधोक्षजे'
और परम धर्म है : श्री कृष्णसेवा या श्रीकृष्णप्रेम
साथ ही जब कोई परम धर्म के पालन में निष्ठा से लग जाता है तो
सामान्य धर्म छोड़ने नहीं पड़ते,
पता नहीं कब स्वतः ही छूट जाते हैं.
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia