Thursday, 4 May 2017

Shravan Katha Shravan

श्रवण । कथा श्रवण


​ ✔  *श्रवण । कथा श्रवण*    ✔

▶ नवविधा भक्ति हो या अपर लेवल के तीन साधन हो, उनमें श्रवण का अत्यधिक महत्व है ।

▶ नवविधा भक्ति में
▶ श्रवण
▶ कीर्तन
▶ स्मरण आदि आदि

▶ एकांत की भक्ति में
श्रवण कीर्तन पूर्वक स्मरण ।

▶ जो अपर लेवल के संत् , भक्त होते हैं वह श्रवण करते हैं, कीर्तन करते हैं, और अधिकतर समय अपना भगवान श्री कृष्ण की अष्टयाम या मानसी लीला के स्मरण में निकाल देते हैं ।

▶ अतः लेवल कोई भी हो श्रवण परम आवश्यक है श्रवण में एक प्रैक्टिकल लाभ यह है  कि 1 से 2 घंटे के समय में लगभग 150 पृष्ठोंका मैटर व्यक्ति सुन लेता है । और समझ लेता है ।

▶ शास्त्र में कहा गया है भगवतकथा का कान से स्पर्श होना ही श्रवण है ।

▶ यदि हमारा मन ना भी लगे । समझ ना भी आए तब भी हम यदि जाकर कथा में बैठ जाएं और वह कथा हमारे कानों को छू जाए , सुनाई देती रहे तो श्रवण का प्रारंभ तो हो ही गया ।

▶ और फिर आगे लेवल है कि उस श्रव्ण को हम ध्यान से सुने । फिर घर आकर उस पर मनन करें और फिर उसको अनुभव करने की कोशिश करें ।

▶ राम के नाम में, कृष्ण के नाम में बहुत शक्ति है यह सुने , फिर मनन करें कैसी शक्ति है । फिर राम कृष्ण का नाम जप करें और अनुभव करें कि हां हां । भाई ठीक कहा । बहुत शक्ति है ।

▶ साथ ही श्रवण के लिए राजा पृथु और भगवान के संवाद में कहा गया है कि श्रवण ज्ञानी । विज्ञानी वक्ता से करें । जो वक्ता कथा कह रहा है उसका उसको अनुभव हो गया हो । ऐसे वक्ता से हम कथा श्रवण करें ।

▶ भक्तों का भी स्तर है
भक्त
भक्ततर
भक्ततम

▶ भक्ततमसे ही कथा श्रवण का आदेश शास्त्रों में दिया है । भक्ततम से सुनने से ही कथा हृदय में प्रवेश कर के हृदय को शुद्ध करती है ।

▶ पैसा और दक्षिणा लेकर बहुत बड़े पंडाल बनाकर आजकल जो प्रोफेशनल्स कथावाचक हैं ।

▶ उनकी कथा से प्रारंभिक श्रवण तो प्राप्त हो जाएगा । कथा कान को छू जाएगी । लेकिन कथा का परम फल भगवद्भक्ति कभी भी प्राप्त नहीं होगा ।

▶ जब तक अनुभव शील । अर्थात जो वह कह रहा है । उसका यदि उसे अनुभव है और उससे आप यदि कथा सुनेंगे तो उसका परम फल भजन, भक्ति, चित्त शुद्धि सहज ही प्राप्त होगा ।

▶ अतः हम प्रयास करें । बड़े-बड़े पंडालों की बजाए अपने आसपास या धाम में विराजमान संतों के पास बैठे । उनसे भगवत चर्चा करें । उनसे भजन के रहस्यों को समझें ।

▶ वैसे भी 3 घण्टे हम कथा में भी तो जाकर बैठते हैं । चिंतन कीजिये । कभी बैठे हैं किसी अनुभवी वैष्णव के पास 3 घण्टे । की हैं उससे भगवद चर्चा । सोचिये ।

▶ ऐसी चर्चा ही एक उच्च कोटि का श्रवण होगा जो हमारे हृदय में भक्ति का बीजारोपण कर भक्ति का संचार करेगा ।

▶ समस्त वैष्णवजन को दासाभास का प्रणाम


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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