♦️ ₹ 5 का नोट ♦️
🦁नाम संकीर्तन । नामजप । श्री विग्रह सेवा । दर्शन । परिक्रमा । साधु वैष्णव सेवा । कथा श्रवण । स्मरण । ग्रन्थ अध्ययन इत्यादि अनेकानेक भक्ति के अंग है
🐯इनमें से कुछ अंग अति श्रेष्ठ है ।
कुछ अंग श्रेष्ठ है । कुछ अंग सामान्य है
🐵whatsapp या telegram भी भजन भक्ति का एक अंग ही है । हां शर्त यह है कि हम यहां भी भजन भक्ति की ही बात करें
🐯लेकिन इससे श्रेष्ठ और अन्य अंग भी हैं । हम सदैव जागरूक रहें कि टेलीग्राम के चक्कर में
हमारा नाम न छूटे
हमारा श्रवण ना छूटे
हमारा कीर्तन ना छूटे
हमारी विग्रह सेवा ना छूटे
हमारा साधू संग न छूटे
हमारा ग्रन्थ अध्ययन न छूटे
इत्यादि इत्यादि
🙉एकदम ठीक तो नहीं लेकिन कुछ कुछ इसका उदाहरण ऐसा मानिए जैसे
एक हजार का नोट
500 का नोट
सो का नोट
50 का नोट
10 का नोट और
5 का नोट
🙊यह सब के सब पैसा है । लेकिन यदि 1000 का नोट मिल रहा है और हम सो सो के नोट में लगे रहे तो बुद्धिमानी नहीं है
🙈व्हाट्सअप टेलीग्राम तो शायद ₹5 का नोट है। हो सकता है कि आपके पास या मेरे पास 100 500 या हजार के नोटों की
व्यवस्था न हो
अवस्था ना हो
परिस्थिति न हो
🐿तो ठीक है पांच-पांच रुपए करके भी ₹1000 इकट्ठे हो सकते हैं । लेकिन हजार रुपए के या ₹500 के नोट के अवसर को छोड़कर । त्याग कर हम यदि ₹5 के नोट के प्रयास में लगे रहते हैं तो यह बुद्धिमानी नहीं है
अतः नामजप
विग्रहसेवा
गुरु मंत्र
ग्रंथपाथ
ग्रंथ अध्ययन
दर्शन आदि
🐎अंगों का त्याग कर टेलीग्राम पर लगे रहना कोई बुद्धिमानी नहीं है ।
🌳यह सब विषय आत्म निरीक्षण और आत्म चिंतन के लिए हैं । मुझे या किसी को मत बताइए अपने आप को चेक करिए क्या आप?
🌲नाम छोड़कर
भजन के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को छोड़कर
🌹यदि यहां हैं तो आज से ही इसे ठीक करिए
पहले हजार का नोट फिर मजबूरी में ₹5 का नोट
समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम
॥ जय श्री राधे ॥
॥ जय निताई ॥
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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