✔️ देख कर लौटना ✔️
▶️ कुबेर पुत्र व
अप्सराएं गंगा में
जल केली कर रहे थे।
नारद की ध्वनि सुनकर
अप्सराओं ने तन ढक लिया।
जबकि अप्सरा व
वेश्याएं लज्जा हीन होती हैं ।
▶️ कुबेर पुत्र ऐसे के तैसे
निर्वस्त्र खड़े रहे । नारद ने
दूर से देखा और लौट गये
\एकबार, फिर चिंतन किया कि
ये एक तो देवता के पुत्र शिवजी
के भक्त, इनको यदि दण्ड नहीं दिया
गया तो उचित नहीं होगा।
▶️ पुनः आये, वृक्ष होने का श्राप दिया।
गिड़गिड़ाने पर नंद भवन और श्री कृष्ण
दर्शन का वरदान दिया और चले गए ।
▶️ यदि ' अपना कोई ' गलत रास्ते
पर हैं उसे सही रास्ते पर लाना
लेकिन इतनी योग्यता होना भी मांगता।
समस्त वैष्णववृन्द को दासाभास का प्रणाम
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
धन्यवाद!!
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