Monday, 23 October 2017

Bhagwan ki Lilaen

भगवान की लीलाएं


✔ *भगवान की लीलाएं* ✔

➡ भगवान श्री कृष्ण ने जब पृथ्वी पर अवतरण किया और विभिन्न लीलाएं की तो उनके देवगण भी उनकी उस लीलाओं के दर्शन करने या अपने घर भगवान श्रीकृष्ण की पधरावनी करने का लोभ संवरण ना कर सके ।

➡ ऐश्वर्यमय सृष्टि नियंता भगवान के रूप में तो उन पर कृपा है ही । रहती ही है । लेकिन वे देवगन भी यही चाहते थे कि भगवान की नर स्वरूप लीला की भी कृपा हमारे ऊपर हो ।

➡ इसी भावना से ब्रह्मा ने गोवत्स चुराए और अंततः भगवान के उस बाल स्वरुप का दर्शन कर उनकी स्तुति कर यहां तक कि उन को कष्ट देने पर भी आनंद ही लाभ किया ।

➡ जब ब्रह्मा ने इस प्रकार किया और इंद्र ने भी भगवान के साथ कुछ गड़बड़ी की लेकिन जब उन्हें समझ आया कि यह तो मेरे स्वामी परात्पर ब्रम्ह साक्षात श्रीकृष्ण ही है ।

➡ तो इंद्र ने भी उनकी कृपा लाभ की ओर इंद्र पर भी श्री कृष्ण प्रसन्न हुए और इंद्र ने भी नर रूप श्री कृष्ण के दर्शन कर अपने आप को धन्य किया ।

➡ वरुण देवता ने भी जब देखा कि ब्रह्मा आनंद ले चुके हैं । इंद्र आनंद ले चुके हैं । तो क्यों ना मैं भी परात्पर ब्रम्ह परमात्मा के श्री कृष्ण रूप की पधरावनी अपने महल में करवाऊं । उनकी इच्छा होते ही कृष्ण ने उनकी इच्छा पूरी करने की योजना बना ली ।

➡ और एक दिन द्वादशी का पारण करने के लिए नंद बाबा ने रात्रि 3 बजे जैसे ही यमुना में स्नान हेतु प्रवेश किया तो उनको वरुण लोक् ले जाया गया ।

➡ जैसे ही कृष्ण को पता चला कृष्ण भी यमुना में प्रवेश कर वरुण लोक् चले गए वहां पाताल में वरुण या जल देवता ने श्री बाबा की तो पूजा की ही श्रीकृष्ण की भी सपरिवार पूजा की ।

➡ और अंत में वरुण ने यह कहा । प्रभु मैंने यदि आपके प्रति आपके पिता के प्रति अपराध किया है तो आप मुझे दंड दीजिए ।

➡ लेकिन मेरी हार्दिक इच्छा आप जानते हैं मैंने यह जो उत्पात् किया यह आपके चरण वरुण लोक में पड़ जाएं इस भावना से किया ।

 ➡ यदि आप प्रसन्न है तो मुझ पर कृपा कीजिए कृष्ण ने मंद मुस्कान भरी दृष्टि वरुण की तरफ की और वरुण समझ गए कि भगवान नाराज नहीं है प्रसन्न ही है ।

➡ इस प्रकार कृष्ण की जो वृंदावन धाम की लीलाएं हैं वह इतनी आकर्षक है इतनी माधुर्य भरी हैं उनका स्वरूप इतना आनंदप्रद है कि देवगण़् भी उनका दर्शन । उनका सानिध्य प्राप्त करने के लिए लालायित रहते हैं ।

➡ भले ही उसके लिए उनको उत्पात् ही क्यों ना करना पड़े । ऐसे वृंदावन बिहारी लीलाधारी पुरुषोत्तम बाल कृष्ण भगवान की जय ।

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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