Thursday, 1 June 2017

Suksham Sutra Part 44



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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 4️⃣4️⃣

💡 व्रत में जिन वस्तुओं को दूषित समझ कर नहीं खाते, अन्य दिनों में उन दूषित पदार्थों को खाना क्या बुद्धिमानी है, एक बार तय कर लो कि क्या खाना उचित है और क्या खाना अनुचित फिर सावन के सोलह सोमवार हों या नवरात्रि या बाकी के दिन .



💡 धर्म और अधर्म की सीमा एक पतले बाल से अधिक मोटी नही है, इस कारण अल्प संस्कार वाले मनुष्य उस सीमा रेखा के आस पास स्थित धर्म और अधर्म में भेद नही कर पाते कि क्या धर्म है और क्या अधर्म? इस कारण अपनी मनगढ़ंत परिभाषाएँ प्रस्तुत कर लोगों को गुमराह करते हैं,

💡 आचार्य कौन ?
आचिनोति हि शास्त्रार्थान
    आचारे स्थापयत्यपि
   स्वयमाचरते यस्मात
तस्मात आचार्य नामभाक
जो शास्त्रीय अर्थों को संग्रहित करता है, दूसरो को उस आचरण में लगाता है और चूँकि वह स्वयं भी उस आचरण मंी स्थित रहता है इसलिए वह 'आचार्य' नाम का अधिकारी है,.


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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