Wednesday 17 February 2016

[21:47, 2/16/2016] स ग 2 अनंत हरिदास: लम्बे अंतराल के बाद

~~~ दासाभास कहिन ~~~

 धाम की  चाह ~ एक चर्चा  ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-chaahcharcha

धाम कि महिमा  ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-mahima

हरि हराए (भजन) ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/hari-haraye-bhajan

हे वृषभानु सुते (भजन) ~~~ > http://yourlisten.com/Dasabhas/he-vrushbhanu-sute-bhajan

जगन्नाथ  मन्दिर सम्बन्धि ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/jagannath-mandir-me-ger-hindu



कुरुक्षेत्र से ब्रज वापसी  ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/kurukshetra-se-braj-vapisi

साबूदाना ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/sabu-dana

मंदिर और   नकारातमक सोच ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/mandir-me-negative-soch-na-ho

खंड पीठ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/khand-peeth-kya

गौडीय ग्रन्थ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/godiya-grnth
[15:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कल एकादशी है

हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।

     व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।

कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 🌹    श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾

श्रीप्रबोधानंद सरस्वती पाद कहते हैं कि....

🌴कृपा निधान अपार कृष्ण व्रज युवतिन नागर
🌱उनसों कातर विनय नमन मैं करों निरंतर।
🌴कब ह्वै हों रतिनिष्ठ--धाम श्री--परम प्रेममय
🌱रस सिन्धु जो प्रलय बीच हूँ होत नहीं लय॥

🌳अपार करुणाकर व्रजविलासिनी--श्रीराधानागर--श्रीकृष्ण को बारम्बार अतिशय विनयपूर्वक प्रणाम करते हुए मैं यही प्रार्थना करता हूँ कि निरंतर महाप्रणय-अमृत समुद्र प्रवाही इस भौम श्रीवृंदावन में किसी भी जन्म में मुझे (रति) प्रेम ही प्राप्त हो।

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 7⃣2⃣

🌿 मोक्ष या मुक्ति 🌿

🌹मोक्ष यानी मुक्ति !

मुक्ति यानी दुःखो की निर्विति ।  धर्म -अर्थ - काम मे लगते - लगते हैं दूसरे पुरुषों को लगे देखकर , उनके दु:ख, टेंशन, परेशानी, को देख कर कुछ पुरुष इन दुःखो के मूल कारण शरीर के जन्म होने से ही मुक्ति चाहते हैं।

👤 ये आत्मा ना शरीर धारण करेगी और न दुख होगा -यह सोचकर वे भुक्ति या कामना की श्रेणी में ही रखा जाता है। ' भुक्ति - मुक्ति स्पृहा यावत् पिशची ह्रदि वर्तते '

👥 भोग या कामना या भुक्ति ये तीनो पिशची है। ये निवृति परक अवश्य है,  लेकिन इसमें भी अपने लिए कुछ चाहना तो है ही, कामना तो है । हाँ कुछ पाने की नहीं, छूटने की।

👿 अपने दुख से छूट भी गए तो वैसे ही है जैसे बैंक का लोन उतर जाने का अर्थ ऍफ़.डी. बनना नही है। दुख समाप्ति का सुख प्राप्ति नहीं है ।

📌 सुख प्राप्ति कुछ और ही है। मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणो में।

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

🌿 काम 🌿

🎎 सृष्टि में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो काम यानी कामना । इच्छा । चाहे वह शरीर सुख भोग से संबंधित हो या यश, मान, प्रतिष्ठा,  भौतिक सुख सुविधाओं से संबंधित हो, जीवन भर अपनी कामनाओं की पूर्ति में येन - केन प्रकारेण लगे रहते है ।

💰 इसके लिए वे धन कमाते भी है।  धन मारते भी है, ऋण भी लेते हैं अन्याय अधर्म करते हैं।  कैसे भी यह इच्छा पूरी हो बस ! लुट जाए , पिट जाएँ, ऋणम् कृत्वा धृतम पिबेत् उत्तम कामना भी एक ऐसी चीज है कि पूर्ण हुई, दूसरी खड़ी हो गई।

👻 दूसरी पूर्ण हुई, तीसरी खड़ी हो गई।  कामनाओं का अंत नहीं है । अर्थ -धर्म- काम ये तीन प्रवृति परक है आगे मोक्ष पर विचार करेंगे। धर्म पूर्वक अर्थ उपार्जन करके अपनी उचित कामनाओं को पूर्ण कर उनसे मोक्ष पाना ही बात नहीं है इसके आगे भी है।

🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐

🌿अरे बाबा कुछ करो 🌿

🙌 यदि भगवान चाहते कि हम कुछ न करें तो हमें एक गोल पत्थर बना कर हिमालय के ऊपर रख देते।  हमें आंख,  नाक, कान, हाथ, मन, मस्तिक, बुद्धि, वाणी, आदि आदि देकर सब तरह से लैंस करके किस लिए भेजा ???

😒 खाली बैठकर प्रारब्ध - प्रारब्ध रोने के लिए नहीं अपितू कुछ करने के लिए सब दिया है। दिए हुए को उपयोग नही करोगे तो अगले जन्म में नहीं मिलेगा । मिलेगा भी तो बंदर की तरफ आंख , नाक आदि सब हैं , लेकिन किसी काम का नहीं है अतः कुछ करो ।बहुत ही अच्छा हो कि भजन करो।

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🎗



◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗


🌺    सन्त जन कहते है कि एक भक्त जो कुछ भी हो रहा है उसमे श्री हरि की कृपा को देखता है l भक्त का अर्थ है सकारात्मक सोच l

🌺     कभी कभी संसार में पिता सज्जन है और पुत्र दुर्जन होता है l सज्जन भक्त पिता की सोच कि भगवान ने मुझे दुष्ट पुत्र इसलिए दिया है कि मैं पुत्र में आसक्त न हो जाऊँ l यह मेरे प्रभु की मुझ पर कृपा है यदि पुत्र अच्छा होता तो मुझे आसक्ति हो जाती l

🌺     भक्ति का अर्थ है सदैव सकारत्मक सोच ठाकुर जी जो करते है हमारी भलाई के लिये करते है l प्रभु वो नहीं देते जो हमको अच्छा लगता है अपितु प्रभु वो सब देते है जो हमारे लिये अच्छा होता है l
                       ✏ मालिनी
 
       &﹏*))🌺((*﹏&
             •🌿ω🌿•
      •🎗कृष्णमयरात्रि🎗•
   🌺श्री कृष्णायसमर्पणं🌺
      •🎗जैश्रीराधेकृष्ण🎗•
              •🌿ω🌿•
          &﹏*))🌺((*﹏&
   
🎗◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 4⃣0⃣
   
     🎼भजन क्रिया🎼

🎶 भजन-क्रिया अर्थात् भजन करना। 👳🏻साधु- वैष्णव अथवा📚 सद्ग्रंथों के अध्ययन का परिणाम होता है कि वह भजन की बातों के साथ-साथ भजन करना भी प्रारम्भ कर देता है।

🔱भजन या भक्ति के चौंसठ अंग हैं। अपनी रुचि स्थिति, परिस्थिति के अनुसार उनमें से एक या अनेक अंगों का आश्रय लेकर भजन किया जा सकता है।

 💂साधुसंग
 🎤नामसंकीर्तन
📖श्रीमद्भागवत पाठ या श्रवण  उनके अर्थो को  समझ- समझकर।
🌎 मथुरा-मंडल (व्रज) वास ❄श्रीमूर्ति की श्रद्धासहित सेवा।

 5⃣ये पांच अंग प्रमुख हैं इनका सभी का या किसी एक अंग का श्रद्धा सहित आश्रय  लेने से ही अवश्य ही प्रेम  प्राप्ति होती है।

🌈इन पांचों में से यदि 'व्रजवास' कर लिया जाए तो श्रीविग्रह-सेवा तो होगी ही, स्वभाविक रुप से साधु-संग, श्रीमद्भागवत-पाठ और नाम सकीर्तन भी स्वत: प्राप्त हो जाएगा।

🌠 व्रज या वृंदावन में और है ही क्या?चारों तरफ- संकीर्तन🎹, मंदिरों की आरती की ध्वनि🔔,नियमित पाठ📕 और साधु-वैष्णव👳🏻 ही सहज मिलते हैं, जबकि अन्य नगरों में ये ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते।

 यदि अन्य नगरों में है तो,

1.संकीर्तन कर सकते हैं।
2. साधुसंग के रुप में ग्रंथ अध्ययन करके,
3. श्रीमद्भागवतादि पाठ भी पूर्ण हो जाता है।

🔮 श्रीविग्रह प्रत्येक वैष्णव के घर में है ही।रही व्रजवास की बात, तो एकान्त चित होकर मानसिक रुप से यह चिंतन करें कि मैं ब्रज में विचरण कर रहा हूँ। मंदिर जा रहा हूँ। आदि-आदि। तो यह व्रजवास भी हो जायेगा।

 इसके अतिरिक्त

👂श्रवण,
🎶 कीर्तन,
😇स्मरण,
👣चरण सेवा,
🌻 पूजा,
🎄वंदना,
🎅 दास्य सेवा,
🎈सख्य सेवा,
🌈आत्म समर्पण के नौ रंग है।

 क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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       1⃣7⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
              बुधवार माघ
            शुक्लपक्ष दशमी

 🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
    !*! 〰〰〰〰〰 !*!
 
                     7⃣
               
❗श्री राधाविनोद गोकुलानंद मन्दिर❗

🌹      यह मन्दिर पटना वाली कुंज के सामने स्थित है l इस प्राचीन मन्दिर में श्री राधाविनोद एवम् श्री गोकुलानंद के दो विग्रह सेवित हैं l श्री लोकनाथ स्वामी श्री नरोत्तम दास ठाकुर और श्री विश्वनाथ चक्रवर्ती की समाधियों के दर्शन भी यहाँ प्राप्त हैं l

🌹    श्री लोकनाथ गोस्वामी का मन श्री चैतन्य देव के प्रति आकर्षित था l घरबार छोड़कर श्री महाप्रभु के दर्शन हित नवद्वीप पहुंचे l महाप्रभु ने श्री वृन्दावन जाने का आदेश दिया lकुछ समय पश्चात महाप्रभु के दर्शन के लिए चित्त व्याकुल हो उठा lसुना कि महाप्रभु आजकल दक्षिण भारत की यात्रा पर गये है तो आप दक्षिण गये l वहां दर्शन न हुआ महाप्रभु वृन्दावन आ चुके थे l वे वृन्दावन आये तो महाप्रभु  प्रयाग जा चुके थे lमहाप्रभु ने स्वप्न में आदेश दिया कि आप ब्रज को छोड़कर मत जाओ l

🌹     स्थिर होकर ब्रज में भ्रमण करते रहे l एक दिन किशोरी कुण्ड पर श्री कृष्ण विरह में व्याकुल होकर रोते हुए सोच रहे थे कि मेरे पास  कोई श्री विग्रह भी तो नहीं है जिसकी सेवा कर कुछ धीरज हो l

🌹   उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l

                 क्रमशः.........
                        ✍🏻 मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
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         •☘सुप्रभात☘•
   •🌹श्रीकृष्णायसमर्पणं🌹•
       •☘जैश्रीराधेश्याम☘•
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          ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
   
•¡!🌹★🔔☘🔔★🌹!¡•
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 कुछ लोगों का
वॉट्सएप्प के साथ
इतना आत्मसात है कि

घर में कुछ भी
ऊँची नीची बात होने पर

सबसे पहले ग्रुप
लेफ्ट करते हैं

फिर पर्सनल पर देखते हैं
कि किसने किसने
पूछा कि क्या हुआ

😂😳😂😳😂😳
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश

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🍁1⃣9⃣ 🌷इष्ट -निष्ठा🌷🍁

🌷🌷इष्ट-निष्ठा🌷🌷

🌷जाकूँ अपनौ सब कुछ मान लें।उन पै ही पूर्ण निर्भरता है जाय।वे ही हैं इष्ट।

🌼जा के ताँई अपनौ समग्र जीवन ही समर्पित कर देय-अपनौ सर्वस्व बलिदान कर देय।

🍀अपने ने लिये कछु न राखै कछु न चाहै अन्य काहू कौ आश्रय न होय सब कुछ ये ही रह जायँ

🌜जाहि न चाहिअ कबहुँ कछु तुम सन सहज सनेहु 🌛

➡ याही कूँ इष्ट निष्ठा के नाम सों कह बैठे है।

⚡है यह आगे की कक्षा :-

⬇यही साध्य है।

⬇यही लक्ष्य है।

⬇यही प्रेमावस्था है ।

⬇यही परमधर्म है।

⬇यही परम कर्तव्य है।

⭐या अवस्था की प्राप्ति के ताई सतत् जुटे रहनौ  यही तौ साधक कौ सबसों ऊँचा साधन है।

⚡या अवस्था के प्राप्त करवे के ताई आवश्यकता है-

🍓१).पूर्ण श्रद्धा की

🍓२).पूर्ण सदाचार की

🍓३).पूर्ण साधन की

🍓४).पूर्ण वैराग्य की

🍓५).वासना केवल प्रेम की

💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे

📕संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कल एकादशी है ।
  हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।

     व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।

कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 वर्षा

जैसे वर्षा का जल तो प्रत्येक स्थान पर एक जैसा बरसता है परंतु उसका पूरा-पूरा लाभ तो हरे-भरे पौधे

नदियां । तालाब । पोखर । कुण्ड ही उठा पाते हैँ ।

इसी प्रकार भगवत्कृपा तो हर किसी पर होती है

पर उसे अपने आंचल मेँ वे ही भर पाते हैँ जिन्हेँ प्रभु-प्रेम की तीव्र अभिलाषा है

प्रभु प्रेम की पात्रता है
और पात्रता आती ह नाम से

जय श्री राधे । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘          

🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
       
✏क्रमश से आगे.....2⃣9⃣

🌿🌷तब श्रीमन्महाप्रभु ने श्रीमुकुन्द को कीर्तन करने की आज्ञा दी। फिर क्या था? कहां तो गये न्यासी-शिरोमणि प्रभु के दण्ड और कमण्डलु, उन्मत हो उठे और श्रीभारती जी को आलिंगन कर नृत्य करने लगे। प्रभु की ऐसी कृपा प्राप्त करते ही श्रीभारतीजी में विशुद्ध-भक्ति का आविर्भाव हो उठा। उन्होंने दण्ड-कमण्डलु को दूर फैंका और 'हरि-हरि'बोल कर नाचने लगे। प्रेमावेश में इन्हें शरीर की सुध-बुध न रही, वस्त्र तक सम्भालना भी मुश्किल हो गया। इस प्रकार श्रीभारतीजी ने श्रीमन्महाप्रभु के साथ नृत्य-गान में रात्रि बितायी।

🌿🌷सवेरे जब श्रीप्रभु ने उनसे विदा मांगी, तो ये अधीर हो उठे।-"कृष्णचैतन्य। मुझे छोड़कर अब तुम कहाँ जाओगे ? मेरे प्राणों का सहारा क्या रहेगा ?" ऐसा कहते हुए श्रीभारतीजी रोने लगे और प्रभु के साथ ही चल दिये। बोले-"श्रीकृष्णचैतन्य" मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा और कृष्ण-कथा-संकीर्तन का आनन्द लूंगा।" थोड़ी दूर तक श्रीभारतीजी प्रभु के साथ रहे, फिर प्रभु ने इन्हें प्रणाम कर वापिस कण्टक नगर भेज दिया।

🌿🌷श्रीभारती जी जब नगर में आये, तो अनेक नर-नारी जो श्रीमहाप्रभु की संन्यास लीला के रहस्य तथा उनके स्वरूप ज्ञान से शून्य थे। इनसे बड़ा दुख मान गये। जिस समय से संन्यास प्रदान कर रहे थे, उस समय भी कण्टक नगर के नर-नारी श्रीमन्महाप्रभु के श्री अंग की शोभा देख-देखकर श्रीभारतीजी को मन-मन में कोस रहे थे-"कैसा कठिन हृदय है इस भारती का ? हाय ! हाय !! यह बालक को संन्यासी बना रहा है, यह कोई संन्यास धर्म का पालन थोड़े हो रहा है, एक उपहास हो रहा है।' श्रीप्रभु के मुखचन्द्र को देख-देखकर कण्टक नगरवासी श्रीभारती को गालियां ही दे रहे थे। जब यह लौटकर नगर में आये, तो सब ने एक स्वर में कहा-श्रीचैतन्य मंगल-

🌿कठिन अन्तर इहार दयाहीन जय।
🌿नगरे ना राखि इहार कहिल कथन।।

🌿🌷"यह संन्यासी अति कठोर हृदय है। इसे जरा भी दया नहीं, इसे नगर में मत रहने दो, बाहर निकाल दो"-भारती जी तो हृदय में जान ही रहे थे कि मेरे प्रभु ने ही मुझ से ऐसा कार्य कराया है। उनकी यह लीला है जगत् के जीवों के उद्घार के लिये। श्रीभारती जी ने सबको प्रणाम किया और कहा-अहो ! धन्य है आप सब, जो श्रीप्रभु के प्रति आप में ऐसा अहैतुक स्नेह उदय हुआ है। श्रीभारतीजी ने फिर श्रीमन्महाप्रभु के स्वरूप का परिचय दे-देकर नगरवासिओं को उनकी लीला का रहस्य बताया।

✏क्रमश......3⃣0⃣


📕स्त्रोत एवम् संकलन
 〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

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