Friday 5 February 2016

[00:02, 2/5/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 https://youtu.be/gL1uqT_ynoM



[20:03, 2/5/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



https://youtu.be/Su47vQXMpDI



[21:37, 2/5/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌹🌹विभीषण शरणागति🌹🌹

नारद पंचरात्रोक्त षट प्रकार की शरणागति हैं।

🐚🐚🐚
आनुकूलस्य संकल्पः
प्रतिकूलस्य वर्जनम्।
रक्ष्यति इति विश्वासो
गोप्तृत्ववरणं तथा।
आत्मनिक्षेप कापर्णयं
षड विधा शरणागतिः।

ठाकुर की शरणागति मे जो जो बात अनुकूल हो उसकी
प्रतिज्ञा करना और प्रतिकूल का त्याग करना। प्रभु की रक्षा
मे दृढ विश्वास ,रक्षक रूप मे प्रभु का वरण करना। अपनी
आत्मा को प्रभु को समर्पण कर देना,और अपनी दीनता निवेदन करना। अब हम श्री राम चरित मानस के आधार पर विभीषण की षड शरणागति का अवलोकन करें।

⚠⚠⚠
▶अनुकूल का संकल्प....
🐚🐚🐚
चलेउ हरषि रघुनायक पांही,
करत मनोरथ बहु मन माहीं।

इस चौपाई मे विभीषण जी हर्षित होकर प्रभु के पास जा रहें
हैं विभिन्न प्रकार के अनुकूल मनोरथों को करते हुए।

⚠⚠⚠
▶प्रतिकूलता का त्याग...।
🐚🐚🐚
मै रघुबीर सरन अब
जाउँ देहु जनि खोरि।
अस कहि चला
विभीषण जबहीं।

कोई भी प्रतिकूलता का खतरा नही,अब मुझे उनके ही शरण मे जाना ही जाना है।

⚠⚠⚠
रक्ष्यति इति विश्वासो...
🐚🐚🐚
सरन गये प्रभु ताहु न त्यागा, बिस्वद्रोह कृत अघ जेहिं लागा।

विभीषण का विश्वास देखिए कितना दृढ है, प्रभु जी शरण
मे जाने पर उसे भी नही त्यागते जिसे विश्व द्रोह जैसा महा-
पाप भी लगा हो। मेरी रक्षा अवश्य होगी।

⚠⚠⚠
▶गोप्तृत्ववरणं।
🐚🐚🐚
श्रवन सुजस सुनि आयउँ प्रभ भंजन भवभीर।
त्राहि त्राहि आरत हरन सरन सुखद रघुबीर।

आप ही एक मात्र मेरी रक्षा कर सकते हैं ऐसा वरण कर लेना।

⚠⚠⚠
▶आत्मनिवेदन।
🐚🐚🐚
अस कहि करत दंडवत देखा।

त्राहि त्राहि कहते हुए चरणो मे स्वयं को निवेदित कर देना।

⚠⚠⚠
▶कार्पण्य।
🐚🐚🐚
नाथ दसानन कर मै भ्राता ...से ..जथा उलूकहि ...तक
अपनी दीनता का निवेदन करना - हे प्रभु मै दसानन का
भाई हूँ। मेरे अंदर बहुत सारी कमियां हैं , मै जैसा भी हूँ
समर्पित हूँ।

⚠⚠⚠
इस प्रकार मे पूर्णतया षड शरणागति से विभीषण प्रभु की
शरण मे गया। विभीषण को प्रभु ने अभय कर दिया तथा बिना मांगे हुए लंका का अधिपति बना दिया। हमे पूर्ण शरणागत हो जाना ही सब प्रकार की इच्छाओं की स्वतः पूर्ति है।

⚠एडिटेड & फ़ॉर्वर्डेड
[21:37, 2/5/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भैया जी की कलम से

भगवान् खुद से भी ज्यादा अपने भक्तों और संतों के प्रति संकल्प बद्ध हैं की उनकी वाणी से निकली हुई हर बात उनका हर आशीर्वाद पूरा करते हैं  ....  हम भी इसी के लिए प्रस्तुत रहें और सेवा और भजन से संत कृपा प्राप्त करने का यत्न करें वही बेड़ा पार करेंगे

सभी वैष्णवों के चरणों में सादर प्रणाम

जय जय श्री राधे
जय गुरुदेव
जय श्री निताई
जय समस्त वैष्णव वृन्द
[21:37, 2/5/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💎💎💎💎

ISKA अर्थ है कि

🔸🔸

🔶Maturity is when you stop proving to the world how intelligent you are.


🔷जब आप संसार में सबके समक्ष अपनी बुद्धिमत्ता को प्रमाणित करना बंद कर दें तो इसका तात्पर्य यह है कि आप परिपक्व हो गये हैं।

लगे रहो । शुभ कामना ।

📙📗📙📗📙📗📙📗
[21:37, 2/5/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🔔🐚।।जय गौर हरि।।🐚🔔

🌸ब्रज चौरासी🌸

💠श्रीवृषभानुपुर (बरसाना)-(२) 💠
       
                क्रमशः से आगे....

🔹श्रीमहिभानु-इन्दुमती के सुपुत्र थे श्रीवृषभानु जी। श्रीरत्नभानु, श्रीसुभानु एवं श्रीभानु इनके भाई थे। एक बहन थी भानुभुद्र देवी। श्रीवृषभानु जी के घर दो कन्याओं- श्रीराधाजी तथा अनंड्गमंजरी ने जन्म-लीला प्रकाशित की। एक ही पुत्र थे सुनामधन्य श्रीदाम।

🔹श्रीवृषभानु जी का श्रीकीर्तिरानी, जो रत्नगर्भा नाम से प्रसिद्ध थीं, विवाह-सम्बन्ध श्रीनन्दमहाराज ने ही कराया था। अतः रावल में रहते हुये उनका परस्पर घनिष्ट प्रेम था, सर्वविध सुन्दर व्यवहार था।

🔹कंस के द्वारा भेजें असुरों के उपद्रवों से जब श्रीनन्दमहाराज सकुटुम्ब और समस्त गोष्ठ के साथ महावन-गोकुल को छोड़कर वृन्दावन फिर नन्दगाँव में आ बसे तो वृषभानु जी भी सकुटुम्ब उनके पीछे-पीछे रावल को त्याग कर चले आये और नन्दगाँव के पास बरसाना में आकर निवास करने लगे।

🔹सतयुग के अन्तभाग में श्रीब्रह्माजी ने भगवान श्रीहरि के चरणों में प्रार्थना की कि आप जब व्रजमण्डल में अपनी स्वरूपभूता व्रज-गोपियों के साथ सर्वदा रास विलास करें तो मेरे शरीर पर ही उसे सम्पादित कर मुझे कृतार्थ करें।

🔹श्रीब्रह्मा जी की इस प्रार्थना को सुनकर श्रीभगवान ने कहा-
हे ब्रह्मा ! तुम व्रज में जाकर वृषभानुपुर में पर्वतरूप धारण करो। पर्वत होने से वह स्थान वर्षा ऋतु में जलादि से सुरक्षित रहेगा। उस पर्वतरूप तुम्हारे शरीर पर मैं व्रजगोपियों के साथ  विविध लीलाएँ करूँगा और तुम उन्हें प्रत्यक्ष देख सकोगे- अतएव ब्रह्मा जी ही पर्वतरूप में बरसाने में विद्यमान हैं।

                 क्रमशः ..........

💠।।श्रीराधारमणाय समर्पणम।।💠
[21:37, 2/5/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌸🌿◆🌺◆🌿🌸✽¡•

           5⃣*2⃣*1⃣6⃣
   
              शुक्रवार माघ
             कृष्णपक्ष द्वादशी

                  •🌸•
               ◆~🌺~◆
       ◆!🌺जयनिताई🌺!◆  
  ★🌸गौरांग महाप्रभु 🌸★
       ◆!🌺श्रीचैतन्य🌺!◆
               ◆~🌺~◆
                    •🌸•

 ❗श्री रूप सनातन शिक्षा❗    

8⃣  जो वैधी भक्ति के साधक है अर्थात् जो शास्त्र के शासन से भयभीत होकर भक्ति अंगो का आचरण करते है वे बैकुंठ या साकेत लोक को प्राप्त करते हैं l इन दोनों लोको में सेवानंद है l दास्य सख्यादि चारो भावो के परिकर हैं l ऐश्वर्य की प्रधानता रहती है l श्री नारायण उपासक बैकुंठ लोक को और श्री रामोपासक साकेत लोक को प्राप्त करते हैं l

9⃣   वैधी मिश्रा राग भक्ति के साधक या जिनकी श्री कृष्ण में निष्ठा तो है किन्तु ऐश्वर्य ज्ञान एवम् स्वसुख भोग की प्रधानता रहती है l वे साधक श्री द्वारका अथवा श्री मथुरा को प्राप्त करते हैं l दास्य सख्य वात्सल्य एवम् मधुर चारो भावों के परिकर हैं l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
            •🌸★🌸•
         •🌿सुप्रभात🌿•
 •🌺श्रीकृष्णायसमर्पणं🌺•
     •🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
             •🌸★🌸•
         ¥﹏*)•🌺•(*﹏¥
   
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[21:37, 2/5/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 6⃣5⃣

🌿 अच्छा लगना और होना 🌿

🎎 एक माँ या माता - पिता को अपना बालक अत्यधिक प्रिय तो लगता ही है खूबसूरत भी लगता है, उसके नैन- नक्श बहुत सुंदर लगते हैं। कोई दूसरा या सौंदर्य - विशेषज्ञ ही यह बता सकता है कि यह बालक कितना सुंदर है या नहीं भी है।

🙌 इसी प्रकार भजन- साधन में अनेक लोग अपनी रुचि के अनुसार साधन भजन करते हैं क्योंकि वह उन को अच्छा लगता है, वह उनका साधन है वह तो कोई संत -वैष्णव- गुरु- ही बताएगा कि वह अच्छा है, ठीक है, या ठीक नहीं है ।

👼 अच्छा लगना एक बात है अच्छा होना दूसरी बात है नशे बाजों को नशा करना अच्छा लगता है । किंतु नशा करना कोई अच्छी बात थोड़ी ही है।

🌿कार्य सिद्धि 🌿

🐚 कार्य सिद्धि कैसे हो ?

💐 परिश्रम
🌸 भाग्य
🍀 कृपा (दैव)

🍁 तीनों उत्तरोत्तर बलवान हैं। अर्थात सबसे पहले परिश्रम तो करना ही है । परिश्रम करने पर भाग्य के अनुसार फल मिलता है। भाग्य का पता फल मिलने के बाद ही चलता है कि भाग्य अच्छा था या बुरा।

🎄 क्योंकि भाग्य का किसी को कुछ पता नहीं, इसलिए परिश्रम तो करना ही चाहिए , करना ही है, तीसरी है कृपा

🎅 कृपा संत की हो,  बुजुर्ग की हो, गुरु की हो, किसी की हो , कृपा से भी कार्य सिद्ध होता है।  लेकिन कृपा उनकी प्रसन्नता से प्राप्त होती है। उनके आदेश पालन से प्राप्त होती है। अतः  किसी भी कार्य हेतु बस लग जाना ही प्राथमिक उपाय है।

🌹समुद्र मंथन 🌹

🎈 हलाहल विष - शिव ने पिया

👳🏻 कामधेनु- ऋषियो ने ली

🐎 उच्चैश्रवा घोड़ा- बलि ने लिया ।

🐘 ऐरावत हाथी - इंद्र ने लिया

💧 कौस्तुभ मणि-  विष्णु के हृदय पर धारण की

🎄कल्पवृक्ष- स्वर्ग के नंदनवन में लगाया

👩🏻 अप्सराएं - दिव्य वस्त्र पहने थी, देव सभा में मनोरंजन हेतु नियुक्त

💥लक्ष्मी जी - ने विष्णु का वरण किया

👧🏻 वारुणी - कन्या रूप में - दैत्यों ने लिया

 🌕अमृत -कलश सहित धन्वन्तरि -भाग-दौड़ मच गई अतः देवताओं को मिला ।

🐚कहीं कहीं समंदर से 14 रत्न प्राप्त होने का वर्णन भी मिलता है।

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[21:37, 2/5/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: •



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🌴      पूज्य श्री विजय कौशल जी महाराज के वचनानुसार  इस संसार में अधिकांश लोग भजन इसलिये नहीं करते है कि उनके पास समय नहीं है l वे अपना समय टीवी देखकर मनोरंजन करकर क्लब जाकर ताश खेलकर काट देते है l वास्तव में वे अपना समय नहीं काट रहे है वे अपना जीवन काट रहे है l

🌴    ये मानव जीवन प्रभु ने हमको एक अवसर के रूप में दिया है l जन्म होता है तब प्रभु सभी को जीवन स्वरूप एक कैनवस देते है लेकिन कोई विरला ही उसमे रंग भर पाता है lजन्म तो सभी का होता है परंतु जीवन तो कोई कोई ही बना पाता है l

🌴     जीवन काटना नहीं जीवन जीना चाहिए l अधिकांश लोग जीवन व्यर्थ गवांकर समय नष्ट कर देते है lये जीवन जीने की कला या रंग भरने की कला हमको सत्संग से प्राप्त होती है lअतः सतत सत्संग करें l
                        ✏मालिनी

     ๑﹏•・ั)🚤(  ั•﹏๑
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    •🚤कृष्णमयरात्रि🚤•
◆🌴श्रीकृष्णाय समर्पणं🌴◆
     •🚤जैश्रीराधेकृष्ण🚤•
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      ๑﹏•・ั)🚤( ・ั•﹏๑

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