[15:59, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
कल एकादशी है ।
हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।
व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।
कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌹 श्रीराधारमणो जयति 🌹
💐 श्रीवृंदावन महिमामृत 💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾
श्रीप्रबोधानंद सरस्वती पाद कहते हैं कि....
🌴कृपा निधान अपार कृष्ण व्रज युवतिन नागर
🌱उनसों कातर विनय नमन मैं करों निरंतर।
🌴कब ह्वै हों रतिनिष्ठ--धाम श्री--परम प्रेममय
🌱रस सिन्धु जो प्रलय बीच हूँ होत नहीं लय॥
🌳अपार करुणाकर व्रजविलासिनी--श्रीराधानागर--श्रीकृष्ण को बारम्बार अतिशय विनयपूर्वक प्रणाम करते हुए मैं यही प्रार्थना करता हूँ कि निरंतर महाप्रणय-अमृत समुद्र प्रवाही इस भौम श्रीवृंदावन में किसी भी जन्म में मुझे (रति) प्रेम ही प्राप्त हो।
🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 7⃣2⃣
🌿 मोक्ष या मुक्ति 🌿
🌹मोक्ष यानी मुक्ति !
मुक्ति यानी दुःखो की निर्विति । धर्म -अर्थ - काम मे लगते - लगते हैं दूसरे पुरुषों को लगे देखकर , उनके दु:ख, टेंशन, परेशानी, को देख कर कुछ पुरुष इन दुःखो के मूल कारण शरीर के जन्म होने से ही मुक्ति चाहते हैं।
👤 ये आत्मा ना शरीर धारण करेगी और न दुख होगा -यह सोचकर वे भुक्ति या कामना की श्रेणी में ही रखा जाता है। ' भुक्ति - मुक्ति स्पृहा यावत् पिशची ह्रदि वर्तते '
👥 भोग या कामना या भुक्ति ये तीनो पिशची है। ये निवृति परक अवश्य है, लेकिन इसमें भी अपने लिए कुछ चाहना तो है ही, कामना तो है । हाँ कुछ पाने की नहीं, छूटने की।
👿 अपने दुख से छूट भी गए तो वैसे ही है जैसे बैंक का लोन उतर जाने का अर्थ ऍफ़.डी. बनना नही है। दुख समाप्ति का सुख प्राप्ति नहीं है ।
📌 सुख प्राप्ति कुछ और ही है। मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणो में।
🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈
🌿 काम 🌿
🎎 सृष्टि में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो काम यानी कामना । इच्छा । चाहे वह शरीर सुख भोग से संबंधित हो या यश, मान, प्रतिष्ठा, भौतिक सुख सुविधाओं से संबंधित हो, जीवन भर अपनी कामनाओं की पूर्ति में येन - केन प्रकारेण लगे रहते है ।
💰 इसके लिए वे धन कमाते भी है। धन मारते भी है, ऋण भी लेते हैं अन्याय अधर्म करते हैं। कैसे भी यह इच्छा पूरी हो बस ! लुट जाए , पिट जाएँ, ऋणम् कृत्वा धृतम पिबेत् उत्तम कामना भी एक ऐसी चीज है कि पूर्ण हुई, दूसरी खड़ी हो गई।
👻 दूसरी पूर्ण हुई, तीसरी खड़ी हो गई। कामनाओं का अंत नहीं है । अर्थ -धर्म- काम ये तीन प्रवृति परक है आगे मोक्ष पर विचार करेंगे। धर्म पूर्वक अर्थ उपार्जन करके अपनी उचित कामनाओं को पूर्ण कर उनसे मोक्ष पाना ही बात नहीं है इसके आगे भी है।
🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐
🌿अरे बाबा कुछ करो 🌿
🙌 यदि भगवान चाहते कि हम कुछ न करें तो हमें एक गोल पत्थर बना कर हिमालय के ऊपर रख देते। हमें आंख, नाक, कान, हाथ, मन, मस्तिक, बुद्धि, वाणी, आदि आदि देकर सब तरह से लैंस करके किस लिए भेजा ???
😒 खाली बैठकर प्रारब्ध - प्रारब्ध रोने के लिए नहीं अपितू कुछ करने के लिए सब दिया है। दिए हुए को उपयोग नही करोगे तो अगले जन्म में नहीं मिलेगा । मिलेगा भी तो बंदर की तरफ आंख , नाक आदि सब हैं , लेकिन किसी काम का नहीं है अतः कुछ करो ।बहुत ही अच्छा हो कि भजन करो।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🎗
◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗
🌺 सन्त जन कहते है कि एक भक्त जो कुछ भी हो रहा है उसमे श्री हरि की कृपा को देखता है l भक्त का अर्थ है सकारात्मक सोच l
🌺 कभी कभी संसार में पिता सज्जन है और पुत्र दुर्जन होता है l सज्जन भक्त पिता की सोच कि भगवान ने मुझे दुष्ट पुत्र इसलिए दिया है कि मैं पुत्र में आसक्त न हो जाऊँ l यह मेरे प्रभु की मुझ पर कृपा है यदि पुत्र अच्छा होता तो मुझे आसक्ति हो जाती l
🌺 भक्ति का अर्थ है सदैव सकारत्मक सोच ठाकुर जी जो करते है हमारी भलाई के लिये करते है l प्रभु वो नहीं देते जो हमको अच्छा लगता है अपितु प्रभु वो सब देते है जो हमारे लिये अच्छा होता है l
✏ मालिनी
&﹏*))🌺((*﹏&
•🌿ω🌿•
•🎗कृष्णमयरात्रि🎗•
🌺श्री कृष्णायसमर्पणं🌺
•🎗जैश्रीराधेकृष्ण🎗•
•🌿ω🌿•
&﹏*))🌺((*﹏&
🎗◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
लम्बे अंतराल के बाद
~~~ दासाभास कहिन ~~~
धाम की चाह ~ एक चर्चा ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-chaahcharcha
धाम कि महिमा ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-mahima
हरि हराए (भजन) ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/hari-haraye-bhajan
हे वृषभानु सुते (भजन) ~~~ > http://yourlisten.com/Dasabhas/he-vrushbhanu-sute-bhajan
जगन्नाथ मन्दिर सम्बन्धि ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/jagannath-mandir-me-ger-hindu
कुरुक्षेत्र से ब्रज वापसी ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/kurukshetra-se-braj-vapisi
साबूदाना ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/sabu-dana
मंदिर और नकारातमक सोच ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/mandir-me-negative-soch-na-ho
खंड पीठ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/khand-peeth-kya
गौडीय ग्रन्थ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/godiya-grnth
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 4⃣0⃣
🎼भजन क्रिया🎼
🎶 भजन-क्रिया अर्थात् भजन करना। 👳🏻साधु- वैष्णव अथवा📚 सद्ग्रंथों के अध्ययन का परिणाम होता है कि वह भजन की बातों के साथ-साथ भजन करना भी प्रारम्भ कर देता है।
🔱भजन या भक्ति के चौंसठ अंग हैं। अपनी रुचि स्थिति, परिस्थिति के अनुसार उनमें से एक या अनेक अंगों का आश्रय लेकर भजन किया जा सकता है।
💂साधुसंग
🎤नामसंकीर्तन
📖श्रीमद्भागवत पाठ या श्रवण उनके अर्थो को समझ- समझकर।
🌎 मथुरा-मंडल (व्रज) वास ❄श्रीमूर्ति की श्रद्धासहित सेवा।
5⃣ये पांच अंग प्रमुख हैं इनका सभी का या किसी एक अंग का श्रद्धा सहित आश्रय लेने से ही अवश्य ही प्रेम प्राप्ति होती है।
🌈इन पांचों में से यदि 'व्रजवास' कर लिया जाए तो श्रीविग्रह-सेवा तो होगी ही, स्वभाविक रुप से साधु-संग, श्रीमद्भागवत-पाठ और नाम सकीर्तन भी स्वत: प्राप्त हो जाएगा।
🌠 व्रज या वृंदावन में और है ही क्या?चारों तरफ- संकीर्तन🎹, मंदिरों की आरती की ध्वनि🔔,नियमित पाठ📕 और साधु-वैष्णव👳🏻 ही सहज मिलते हैं, जबकि अन्य नगरों में ये ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते।
यदि अन्य नगरों में है तो,
1.संकीर्तन कर सकते हैं।
2. साधुसंग के रुप में ग्रंथ अध्ययन करके,
3. श्रीमद्भागवतादि पाठ भी पूर्ण हो जाता है।
🔮 श्रीविग्रह प्रत्येक वैष्णव के घर में है ही।रही व्रजवास की बात, तो एकान्त चित होकर मानसिक रुप से यह चिंतन करें कि मैं ब्रज में विचरण कर रहा हूँ। मंदिर जा रहा हूँ। आदि-आदि। तो यह व्रजवास भी हो जायेगा।
इसके अतिरिक्त
👂श्रवण,
🎶 कीर्तन,
😇स्मरण,
👣चरण सेवा,
🌻 पूजा,
🎄वंदना,
🎅 दास्य सेवा,
🎈सख्य सेवा,
🌈आत्म समर्पण के नौ रंग है।
क्रमशः........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से
✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
•¡!🌹★🔔☘🔔★🌹!¡•
1⃣7⃣*2⃣*1⃣6⃣
बुधवार माघ
शुक्लपक्ष दशमी
🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
!*! 〰〰〰〰〰 !*!
7⃣
❗श्री राधाविनोद गोकुलानंद मन्दिर❗
🌹 यह मन्दिर पटना वाली कुंज के सामने स्थित है l इस प्राचीन मन्दिर में श्री राधाविनोद एवम् श्री गोकुलानंद के दो विग्रह सेवित हैं l श्री लोकनाथ स्वामी श्री नरोत्तम दास ठाकुर और श्री विश्वनाथ चक्रवर्ती की समाधियों के दर्शन भी यहाँ प्राप्त हैं l
🌹 श्री लोकनाथ गोस्वामी का मन श्री चैतन्य देव के प्रति आकर्षित था l घरबार छोड़कर श्री महाप्रभु के दर्शन हित नवद्वीप पहुंचे l महाप्रभु ने श्री वृन्दावन जाने का आदेश दिया lकुछ समय पश्चात महाप्रभु के दर्शन के लिए चित्त व्याकुल हो उठा lसुना कि महाप्रभु आजकल दक्षिण भारत की यात्रा पर गये है तो आप दक्षिण गये l वहां दर्शन न हुआ महाप्रभु वृन्दावन आ चुके थे l वे वृन्दावन आये तो महाप्रभु प्रयाग जा चुके थे lमहाप्रभु ने स्वप्न में आदेश दिया कि आप ब्रज को छोड़कर मत जाओ l
🌹 स्थिर होकर ब्रज में भ्रमण करते रहे l एक दिन किशोरी कुण्ड पर श्री कृष्ण विरह में व्याकुल होकर रोते हुए सोच रहे थे कि मेरे पास कोई श्री विग्रह भी तो नहीं है जिसकी सेवा कर कुछ धीरज हो l
🌹 उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः.........
✍🏻 मालिनी
¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
•🔔★🔔•
•☘सुप्रभात☘•
•🌹श्रीकृष्णायसमर्पणं🌹•
•☘जैश्रीराधेश्याम☘•
•🔔★🔔•
¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
•¡!🌹★🔔☘🔔★🌹!¡•
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
कुछ लोगों का
वॉट्सएप्प के साथ
इतना आत्मसात है कि
घर में कुछ भी
ऊँची नीची बात होने पर
सबसे पहले ग्रुप
लेफ्ट करते हैं
फिर पर्सनल पर देखते हैं
कि किसने किसने
पूछा कि क्या हुआ
😂😳😂😳😂😳
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💧💧💧💧💧💧💧💧
पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
🍁1⃣9⃣ 🌷इष्ट -निष्ठा🌷🍁
🌷🌷इष्ट-निष्ठा🌷🌷
🌷जाकूँ अपनौ सब कुछ मान लें।उन पै ही पूर्ण निर्भरता है जाय।वे ही हैं इष्ट।
🌼जा के ताँई अपनौ समग्र जीवन ही समर्पित कर देय-अपनौ सर्वस्व बलिदान कर देय।
🍀अपने ने लिये कछु न राखै कछु न चाहै अन्य काहू कौ आश्रय न होय सब कुछ ये ही रह जायँ
🌜जाहि न चाहिअ कबहुँ कछु तुम सन सहज सनेहु 🌛
➡ याही कूँ इष्ट निष्ठा के नाम सों कह बैठे है।
⚡है यह आगे की कक्षा :-
⬇यही साध्य है।
⬇यही लक्ष्य है।
⬇यही प्रेमावस्था है ।
⬇यही परमधर्म है।
⬇यही परम कर्तव्य है।
⭐या अवस्था की प्राप्ति के ताई सतत् जुटे रहनौ यही तौ साधक कौ सबसों ऊँचा साधन है।
⚡या अवस्था के प्राप्त करवे के ताई आवश्यकता है-
🍓१).पूर्ण श्रद्धा की
🍓२).पूर्ण सदाचार की
🍓३).पूर्ण साधन की
🍓४).पूर्ण वैराग्य की
🍓५).वासना केवल प्रेम की
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📕संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
कल एकादशी है ।
हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।
व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।
कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
वर्षा
जैसे वर्षा का जल तो प्रत्येक स्थान पर एक जैसा बरसता है परंतु उसका पूरा-पूरा लाभ तो हरे-भरे पौधे
नदियां । तालाब । पोखर । कुण्ड ही उठा पाते हैँ ।
इसी प्रकार भगवत्कृपा तो हर किसी पर होती है
पर उसे अपने आंचल मेँ वे ही भर पाते हैँ जिन्हेँ प्रभु-प्रेम की तीव्र अभिलाषा है
प्रभु प्रेम की पात्रता है
और पात्रता आती ह नाम से
जय श्री राधे । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
🔻जयगौर🔻
📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘
🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
✏क्रमश से आगे.....2⃣9⃣
🌿🌷तब श्रीमन्महाप्रभु ने श्रीमुकुन्द को कीर्तन करने की आज्ञा दी। फिर क्या था? कहां तो गये न्यासी-शिरोमणि प्रभु के दण्ड और कमण्डलु, उन्मत हो उठे और श्रीभारती जी को आलिंगन कर नृत्य करने लगे। प्रभु की ऐसी कृपा प्राप्त करते ही श्रीभारतीजी में विशुद्ध-भक्ति का आविर्भाव हो उठा। उन्होंने दण्ड-कमण्डलु को दूर फैंका और 'हरि-हरि'बोल कर नाचने लगे। प्रेमावेश में इन्हें शरीर की सुध-बुध न रही, वस्त्र तक सम्भालना भी मुश्किल हो गया। इस प्रकार श्रीभारतीजी ने श्रीमन्महाप्रभु के साथ नृत्य-गान में रात्रि बितायी।
🌿🌷सवेरे जब श्रीप्रभु ने उनसे विदा मांगी, तो ये अधीर हो उठे।-"कृष्णचैतन्य। मुझे छोड़कर अब तुम कहाँ जाओगे ? मेरे प्राणों का सहारा क्या रहेगा ?" ऐसा कहते हुए श्रीभारतीजी रोने लगे और प्रभु के साथ ही चल दिये। बोले-"श्रीकृष्णचैतन्य" मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा और कृष्ण-कथा-संकीर्तन का आनन्द लूंगा।" थोड़ी दूर तक श्रीभारतीजी प्रभु के साथ रहे, फिर प्रभु ने इन्हें प्रणाम कर वापिस कण्टक नगर भेज दिया।
🌿🌷श्रीभारती जी जब नगर में आये, तो अनेक नर-नारी जो श्रीमहाप्रभु की संन्यास लीला के रहस्य तथा उनके स्वरूप ज्ञान से शून्य थे। इनसे बड़ा दुख मान गये। जिस समय से संन्यास प्रदान कर रहे थे, उस समय भी कण्टक नगर के नर-नारी श्रीमन्महाप्रभु के श्री अंग की शोभा देख-देखकर श्रीभारतीजी को मन-मन में कोस रहे थे-"कैसा कठिन हृदय है इस भारती का ? हाय ! हाय !! यह बालक को संन्यासी बना रहा है, यह कोई संन्यास धर्म का पालन थोड़े हो रहा है, एक उपहास हो रहा है।' श्रीप्रभु के मुखचन्द्र को देख-देखकर कण्टक नगरवासी श्रीभारती को गालियां ही दे रहे थे। जब यह लौटकर नगर में आये, तो सब ने एक स्वर में कहा-श्रीचैतन्य मंगल-
🌿कठिन अन्तर इहार दयाहीन जय।
🌿नगरे ना राखि इहार कहिल कथन।।
🌿🌷"यह संन्यासी अति कठोर हृदय है। इसे जरा भी दया नहीं, इसे नगर में मत रहने दो, बाहर निकाल दो"-भारती जी तो हृदय में जान ही रहे थे कि मेरे प्रभु ने ही मुझ से ऐसा कार्य कराया है। उनकी यह लीला है जगत् के जीवों के उद्घार के लिये। श्रीभारती जी ने सबको प्रणाम किया और कहा-अहो ! धन्य है आप सब, जो श्रीप्रभु के प्रति आप में ऐसा अहैतुक स्नेह उदय हुआ है। श्रीभारतीजी ने फिर श्रीमन्महाप्रभु के स्वरूप का परिचय दे-देकर नगरवासिओं को उनकी लीला का रहस्य बताया।
✏क्रमश......3⃣0⃣
📕स्त्रोत एवम् संकलन
〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से
🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹
▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
जय श्री राधे । जय निताई
🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित
💫💫क्रम 3⃣💫💫
श्लोक 0⃣1⃣
जयति तेऽधिकं जन्मना ब्रजः
श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि।
दयित दृश्यतां दिक्षु तावका
स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते॥
भावार्थ:- हे प्रियतम प्यारे! तुम्हारे जन्म के कारण वैकुण्ठ आदि लोको से भी अधिक ब्रज की महिमा बढ गयी है, तभी तो सौन्दर्य और माधुर्य की देवी लक्ष्मी जी स्वर्ग छोड़कर यहाँ की सेवा के लिये नित्य निरन्तर यहाँ निवास करने लगी हैं। हे प्रियतम! देखो तुम्हारी गोपीयाँ जिन्होने तुम्हारे चरणों में ही अपने प्राण समर्पित कर रखे हैं, वन-वन मे भटककर तुम्हें ढूँढ़ रही हैं।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
क्रमशः4⃣
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
हरे कृष्ण
परमपूज्य गौडियग्रंथप्रदाता वैष्णवशिरोमणि श्री श्यामदास जी के
अविर्भावदिवस पर सभी वैष्णवजनो
को हार्दिक बधाई।
श्री श्यामदास जी के चरणों में नमन
और सादर अभिनन्दन।
🌸🌸🌸🌸🌸
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
•¡!🌸★🔔☘🔔★🌸!¡•
1⃣8⃣*2⃣*1⃣6⃣
गुरुवार माघ
शुक्लपक्ष एकादशी
🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
!*! 〰〰〰〰〰 !*!
7⃣
❗श्री राधाविनोद गोकुलानंद मन्दिर❗
🌸 इतने में ही एक गोप बालक एक दिव्य श्री विग्रह लेकर आया और बोला बाबा ❗लो इस श्री मूर्ति की आप सेवा किया करना इसका नाम है राधाविनोद गोस्वामी जी ठगे से रह गये l श्री विग्रह तो हाथ में लिया परन्तु श्री विग्रह देने वाला जाने कहाँ खो गया l तब स्वयं राधाविनोद बोले गोस्वामी तुम तो मेरे लिये उत्कण्ठित एवं व्याकुल थे l मैं स्वयं इस किशोरी कुण्ड की कुंज से निकल कर तुम्हारे पास आ गया हूँ l
🌸 श्री गोस्वामी प्रेम मुग्ध हो कुछ कहना चाहते थे कि श्री राधाविनोद ठाकुर बोले गोस्वामी बातों में समय नष्ट न करो मुझे बहुत भूख लगी है कुछ खाने को दे दो l झट साग राँधा और भोग निवेदन किया l श्री ठाकुर ने पेट भरकर साग खाया l इन्होने पुष्पो की शय्या बिछायी और उन्हें शयन करा दिया l
🌸 कोई मन्दिर नहीं कोई कुटिया नहीं वृक्षों के नीचे ही जीवन कट रहा था l सोच सोचकर कपडे का झोला बनाया और उसमें श्री राधाविनोद को डालकर गले में लटकाये घूमा करते l श्री राधाविनोद भी उस अद्भुत झूलन को पाकर आनंद में सदा झूमते रहते l
🌸 उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः.........
✍🏻 मालिनी
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•🔔★🔔•
•☘सुप्रभात☘•
•🌸श्रीकृष्णायसमर्पणं🌸•
•☘जैश्रीराधेश्याम☘•
•🔔★🔔•
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•¡!🌸★🔔☘🔔★🌸!¡•
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
🔻जयगौर🔻
📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘
🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
✏क्रमश से आगे.....3⃣0⃣
🌿🌷जब श्रीमन्महाप्रभु वृन्दावन न जाकर रामकेलि ग्राम से शान्तिपुर श्रीअद्वैताचार्य के घर पधारे तो दैवयोग से वहां एक श्रेष्ठ संन्यासी भी आ पहुंचा। श्रीआचार्य ने उन्हें भिक्षा की प्रार्थना की। वह संन्यासी बोला, "मैं भिक्षा तो आपके घर करूंगा ही, किन्तु मुझे पहले आप मेरे एक प्रश्न का उत्तर दीजिये।" श्रीआचार्य ने कहा-"सुन्दर है, आप पहले प्रसाद पाइये फिर मैं आपके प्रश्न का उत्तर दूँगा।" किन्तु वह संन्यासी महोदय जिद्द पर अड़ गये-"पहले उत्तर पीछे प्रसाद श्रीआचार्य को हार माननी पड़ी। उन्होंने कहा, "महोदय ! पूछिये, क्या पूछना चाहते हैं"? संन्यासी ने कहा-"आचार्य ! मुझे यह बताईये श्रीकेशव भारती में श्रीमन्महाप्रभु का क्या सम्बन्ध है ?"
🌿🌷श्रीअद्वैताचार्य मन में सोचने लगे कि इस विषय में दो पक्ष है एक तो व्यावहारिक पक्ष है, दूसरा पारमार्थिक। श्रीमहाप्रभु का श्रीभारती जी से दोनों प्रकार का सम्बन्ध है। लौकिक-लीला या व्यावहारिक पक्ष मे श्रीभारती जी श्रीमहाप्रभु के गुरु है, और पारमार्थिक पक्ष में श्रीमहाप्रभु जगद्गुरु सर्वेश्वर हैं, अत:श्रीप्रभु ही भारती के गुरू है।"श्रीआचार्य प्रभु स्पष्ट बोले-"सुनिये महाशय ! श्रीभगवान् का कोई माता-पिता गुरू नहीं है, वे ईश्वर, अनादि एवं अजन्मा हैं। तथापि उन्हें यशोदानन्दन, वासुदेव-पुत्र कहा ही जाता है। इसी प्रकार पारमार्थिक पक्ष में श्रीमन्महाप्रभु का कोई गुरू न होकर भी व्यावहारिक पक्ष में श्रीकेशवभारती श्रीमहाप्रभु के गुरू है।"
🌿🌷'श्रीपाद केशव भारती श्रीमन्हाप्रभु के गुरू हैं"-श्रीअद्वैतचार्य प्रभु के पाँच वर्षीय बालक अच्युतानन्द ने यह सुना। वह उस समय आंगन में खेल रहा था। वह दौड़ कर पिता-श्रीअद्वैतप्रभु के पास आया और बोला-पिता जी ! आपने क्या कहा?'केशव भारती श्रीमहाप्रभु के गुरु है"श्रीचैतन्यप्रभु का भी कोई गुरू हो सकता है, किस बल पर आपने यह कहा है? मालूम होता है यहाँ भी कलियुग का प्रवेश हो गया है। अथवा श्रीचैतन्य की दुस्तर माया, जो ब्रह्म-शिव को भी मोहित कर देती है, आपके ऊपर भी उसका प्रभाव छा गया है। श्रीचैतन्य-परमेश्वर हैं, जगद्गुरू हैं, उनका भी कोई गुरू ? कदापि नहीं।" इतना कहकर श्रीअच्युत-सिर झुकाकर चुप हो गया।
✏क्रमश......3⃣1⃣
📕स्त्रोत एवम् संकलन
〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से
🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹
▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
चैतन्य भक्तगाथा 3⃣0⃣
इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें एवम् समझें कृपया । हमारे सम्प्रदाय प्रवर्तक श्री चैतन्य ने पहले भारती को मन्त्र दिया । फिर लोक लीला के लिए उनसे मन्त्र लिया ।
ऐसा ही ईश्वरपुरी के साथ हुआ । ये छोटे छोटे प्रसंग विशेष रूप से हृदयंगम करने के लिए हैं । ये बेसिक्स हैं । ये समझना आवश्यक है जी । जय हो
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
जय श्री राधे । जय निताई
🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित
💫💫क्रम 4⃣💫💫
श्लोक 0⃣2⃣
शरदुदाशये साधुजातसत् सरसिजोदरश्रीमुषा दृशा।
सुरतनाथ तेऽशुल्कदासिका वरद निघ्नतो नेह किं वधः॥
भावार्थ:- हे हमारे प्रेम पूरित हृदय के स्वामी! हम तुम्हारे बिना मोल की दासी हैं, तुम शरद ऋतु के सुन्दर जलाशय में से चाँदनी की छटा के सौन्दर्य को चुराने वाले नेत्रों से हमें घायल कर चुके हो। हे प्रिय! अस्त्रों से हत्या करना ही वध होता है, क्या इन नेत्रों से मारना हमारा वध करना नहीं है।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
क्रमशः5⃣
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 7⃣3⃣
🌿 वृंदावन के वृक्ष 🌿
📕विज्ञान के सिद्धांत पहले हम पुस्तको में पड़ते हैं, फिर उन्ही सिद्धांतों को प्रयोगशाला में जाकर प्रेक्टिकल करते हैं। ऐसा करने से वह सिद्धांत सत्य सिद्ध तो होता ही है, साथ ही हमारे दिल - दिमाग में पक्की तरह बैठ भी जाता है।
📖 श्रीमद्भागवत में वर्णन है की उद्धव ने वृंदावन में गुल्म, लता, औषधि के रूप में अपना जन्म मांगा है। उद्धव के साथ -साथ अनेक संतो ने भी ऐसा मांगा होगा और उन्हें लता औषधी, पौधे के रूप में जन्म मिला भी होगा।
🔆 इस थ्योर्टिकल बात का प्रैक्टिकल यदि देखना है तो भगवतभक्ति प्राप्त संतों का संग प्राप्त करना होगा । बाबा श्री चंद्रशेखर जी ने अपने दातुन के लिए भी कभी किसी वृक्ष को नहीं तोड़ा ।
🎌 प्रथम तो अनेक वर्षों तक ब्रज रज से ही मंजन करते रहे। बाद में बाजार से लाए पाउडर से मंजन किया। भक्ति -विषयक सिद्धांतों को प्रयोगशाला है- भगवतभक्ति प्राप्त साधु -वैष्णव संत जन इनका प्रकष्ट संग करने से ही सभी सिद्धांतों का प्रैक्टिकल स्वतः हो जाता है।
🎅 संतों का संग करने पर फिर
वृंदावन के वृक्ष को
मर्म न जाने कोय,
डाल- डाल अरु पात -पात
पर राधे-राधे होय'
🎈इस बात पर कोई संशय नहीं रहता और वृक्ष ' राधे-राधे' कैसे बोलते हैं यह बात समझ आ जाती है
🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐
🌿गन्दी बातें🌿
💣 गंदी बातों की प्रशंसा करो या विरोध -दोनों स्थितियों में नेगेटिव वाइब्रेशन प्रचारित होती हैं। भ्रष्टाचार का विरोध तो जो हुआ, सो हुआ, इससे भ्रष्टाचार का प्रचार अधिक हुआ है। जिन्हें पता नहीं था, उन्हें भी पता चल गया और शायद वह भी अब बिना डरे भ्रष्टाचार का आश्रय लेंगे ।
अतः केवल व् केवल अच्छी बातों के बारे में ही बात होनी चाहिए ।
📼 गंदी बातें सदा से थी, सदा रहेंगी इन्हे दफनाते रहना चाहिए।
🙌🏻जय श्री राधे।जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[22:31, 2/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💧💧💧💧💧💧💧💧
पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
🍁 2⃣0⃣🌺 इष्ट के स्वरुप कौ निश्चय🌺 🍁
🍒१.सबकी यही मान्यता है कि श्री भगवान् स्वयं ही कृपा करकें साधक के ह्रदय में प्रकट होय हैं।
🍓तथापि साधक कौ हू कर्तव्य तौ है ही कि-वह श्री प्राणवल्लभ की चाह करै ।
🍒२.पूर्व जन्मार्जित भक्ति संस्कार एवं सद्गुरु कृपा सों प्राप्त साधन के द्वारा अन्तः करण की निर्मलता सम्पन्न हैवे पै स्वयं ही ह्रदय में इष्ट के स्वरुप कौ अविभार्व होय है।
🍓जब निर्मल एवं द्रवित चित्त में इनके स्वरुप की छाप पर जाय है वह आमिट होय है। तबी वाकी विस्मृति नहीं होय है।
🍒३.इष्ट चिन्तन में जब प्रगाढ़ता बन जाय है तब प्रेम प्राप्ति के अभीप्सु साधक के ह्रदय में श्री जीवन धन की ओर सों एक भाव (सम्बन्ध) की प्राप्ति होय है।
🍓४.पूर्व जन्मन की साधना के परिणामस्वरूप बाल्यकाल सों ही अथवा काहू समय विशेष में;
🍒महापुरषन के जीवन में ये बातें स्वतः प्रकट है जाय हैं। या के लिये जीवन में काहू विशेष साधना की अपेक्षा नहीं रहै है।
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[22:31, 2/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
राधेश्याम जी 🙏
श्री नित्यानन्द प्रभु त्रयोदशी आविर्भाव महोत्सव,
पंचामृत अभिषेक, भोग, तिलक व आरती 20 फ़रवरी
सभी वैष्णव जनों का व्रत रहेगा।
व्रत का पारण अगले दिन 7से10 बजे तक । अभिषेक के बाद भी पारण हो सकता ह ।
[22:31, 2/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
🔻जयगौर🔻
📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘
🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
✏क्रमश से आगे.....3⃣1⃣
🌿🌷श्रीअद्वैताचार्य अपने पाँच वर्ष के शिशु से श्रीमन्महाप्रभु का तत्व सुनकर विस्मित हो उठे और आनन्द विभोर भी, नेत्रों से आनन्द के आँसू झरने लगे, अच्युत को गोद में उठाकर बार-बार चुम्बन किया। रोते-रोते बोले-अच्युत ! तुम मेरे पिता हो आज से और मैं तुम्हारा पुत्र, श्रीमन्महाप्रभु की तत्व शिक्षा देने के लिए ही तुम मेरे पुत्र रूप में आविभूर्त हुए हो। हे वत्स ! तुम मुझे क्षमा कर दो, आज के बाद फिर मैं ऐसी बात कभी न कहूँगा।" संन्यासी महोदय बाप-बेटा के कथोनपकथन को सुन रहे थे, उनके मुख से और कोई बात न निकली। उन्होंने उठकर श्रीअच्युत के चरण पकड़ लिये और प्रणाम करते हुए इतना कह पाये-"मैं तो आया था श्रीअद्वैतप्रभु की महिमा देखने, यहाँ तो पिता-पुत्र एक दूसरे से बढ़कर निकले।" एकमात्र ईश्वरकृपा का चमत्कार जान कर वह संन्यासी वहाँ से विदा होकर चला गया।
🌿🌷एक दिन श्रीमहाप्रभु जी ने अपने गुरूदेव श्रीकेशव भारती जी से पूछा-"गुरूदेव ! यह बताईये, भक्ति और ज्ञान में क्या श्रेष्ठ हैं ?" श्रीभारती जी ने कहा-"कृष्णचैतन्य।" मैं मन में खूब विचार करके कहता हूँ कि ज्ञान से भक्ति अति श्रेष्ठ है।" प्रभु ने पूछा-"ज्ञान से भक्ति श्रेष्ठ कैसे ? संन्यासीगण तो ज्ञान को भक्ति से बड़ा या श्रेष्ठ मानते है ?" श्रीभारती जी बोले-"ऐसा कहने वाले विचारपूर्वक नहीं कहते, केवल गुरू-परम्परा से ऐसा मानते-कहते आ रहे है, वस्तुतः भक्ति ज्ञान से अति श्रेष्ठ है। ब्रह्म, शिव, नारद, प्रहलाद, व्यास, शुकदेव, सनकादिक, श्रीनन्द, युधिष्ठिर, ध्रुव, अक्रूर एवं उद्घव आदि जितने महापुरुष हुए है, वे सदा श्रीभगवान् की भक्ति की प्रार्थना करते है, वे मुक्ति देने पर भी उसे स्वीकार नहीं करते। एक मात्र श्रीभगवान् के चरणकमलों की सेवा की ही प्रार्थना करते रहते है। चैतन्य ! ब्रह्म जी के इन वचनों को ही मैं सार वचन मानता हुँ।
🌿🌷हे भगवान् ! मुझे तो ऐसा महान् सौभाग्य प्रदान कीजिये कि चाहे इस ब्रह्म-जन्म में हो अथवा किसी और जन्म में, यहाँ तक कि पशु-वृक्ष आदि तिर्यक योनि में जन्म लेकर भी आप के भक्तों में एक क्षुद्र सेवक बनकर आपके चरणकमलों की सेवा प्राप्त कर सकूँ।
🌿🌷श्रीभारती जी के मुख से भक्ति का महत्व सुनकर प्रभु 'हरि-हरि' बोलकर नाचने लगे, और बोले प्रभो ! यदि आप ज्ञान को भक्ति से श्रेष्ठ बताते तो मैं आज ही समुद्र में कूद पड़ता। आपने परम सत्य वचन कहे है।" श्रीभारती जी ने श्रीमहाप्रभु को आलिंगन किया। दोनों आनन्द में विभोर हो गये। ऐसे अद्भुत चरित्र हैं श्रीपाद भारतीजी के।
🌷🙌🏻श्री चैतन्यमहाप्रभु की जय..!!
🌷🙏🏾श्रीपाद केशव भारतीजी की जय..!!
✏क्रमश......3⃣2⃣
📕स्त्रोत एवम् संकलन
〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से
🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹
▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
जय श्री राधे । जय निताई
🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित
💫💫क्रम 5⃣💫💫
श्लोक 0⃣3⃣
विषजलाप्ययाद् व्यालराक्षसाद्वर्षमारुताद् वैद्युतानलात्।
वृषमयात्मजाद् विश्वतोभया दृषभ ते वयं रक्षिता मुहुः॥
भावार्थ:- हे पुरुष शिरोमणि! यमुना जी के विषैले जल से होने वाली मृत्यु, अज़गर के रूप में खाने वाला अधासुर, इन्द्र की बर्षा, आकाशीय बिजली, आँधी रूप त्रिणावर्त, दावानल अग्नि, वृषभासुर और व्योमासुर आदि से अलग-अलग समय पर सब प्रकार भयों से तुमने बार-बार हमारी रक्षा की है।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
क्रमशः6⃣
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
"चैन से जीने के लिए चार रोटी और दो कपड़े काफ़ी हैं l
पर बेचैनी से जीने के लिए चार मोटर, दो बंगले और तीन प्लॉट भी कम हैं !!
आदमी सुनता है मन भर'.
सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर;
और खुद ग्रहण नही करता कण भर"...!!
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
आज श्री नित्यानंद प्रभु जयंती है श्री नित्यानन्द प्रभु अभिषेक के दर्शन 💦💦💦
🍁केसर दुग्ध
🍁सादा दूध
🍁दही से
🍁मधु । (शहद से )
🍁घी से
🍁चन्दन से
🍁कुमकुम से
🍁 अर्घ्य से
🍁 तिल और जौ
🍁हल्दी से
🍁 राधाकुण्ड जल गंगाजल से
🍁 चरण दर्शन
🍁 श्रृंगार दर्शन
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
अर्घ्य क्या ह
Ek kalash mein Tirtho ka jal yatha Gangajal yamuna jal aur Radhakund jal k sath jau (Barley), Chaval (Rice), Haldi, Chandan, kesar, Kusha, Durba, Gau mutra, Pushpa, Gulab jal, tulsi aur anya Sughandhit Darvyo ko eksath milakar taiyar kiya tha panchamrit abhishek ke uprant ubtan aur is jal se sri thakur ji ka snan
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
•¡!🌸★🔔☘🔔★🌸!¡•
2⃣0⃣*2⃣*1⃣6⃣
शनिवार माघ
शुक्लपक्ष त्रयोदशी
🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
!*! 〰〰〰〰〰 !*!
8⃣
❗श्री गोकुलानंद मन्दिर❗
🌸 श्री गोकुलानंद जी श्री विश्वनाथ चक्रवर्ती जी के सेवित विग्रह है l श्री गोकुल की बाल्य लीलाओं ने इनके चित्त को ऐसा मुग्ध किया कि हर पल एक मधुरतम आर्त ध्वनि उनके मुख से मुखरित होती l हे गोकुलानंद कहाँ पाऊँ आपके चरण कमल ❓
🌸 एक दिन राधा कुण्ड में स्नान करते समय आपके हाथ में एक श्री विग्रह पड़ा उसे देखते ही आप बेसुध होकर आलिंगन करके पड़े रहे l चेतना आने पर आपने जान लिया कि श्री गोकुलानंद ने दास का मनोभीष्ट पूर्ण किया l इन्ही की सेवा करते रहे l लीला में प्रविष्टि होने पर श्री गोकुलानंद विग्रह इसी मन्दिर में प्रतिष्ठित और सेवित रहा l
🌸 श्री पाद विश्वनाथ चक्रवर्ती ने पच्चीस से भी अधिक मूल ग्रन्थ एवम् टीकाओं की रचना की l वे जिस खुले स्थान पर बैठकर लिखते थे उस समय मूसलाधार वर्षा आ जाने पर भी इनके हस्त लिखित पृष्ठों पर एक बूँद पानी न पड़ता l ऐसे महासिद्ध आचार्य थे आप l यहाँ अब उनकी प्रतिभू श्री विग्रह है lमूल श्री विग्रह यवनों के आक्रमण के समय जयपुर में ले जाया गया था l जो आज भी वहाँ विराजमान है l
🌸 उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः.........
✍🏻 मालिनी
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•🔔★🔔•
•☘सुप्रभात☘•
•🌸श्रीकृष्णायसमर्पणं🌸•
•☘जैश्रीराधेश्याम☘•
•🔔★🔔•
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•¡!🌸★🔔☘🔔★🌸!¡•
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
श्री नित्यानंद त्रयोदशी --
गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के अनेक आचार्यों में से एक श्रील नरोत्तम दास ठाकुर भगवान की स्तुति में लिखते हैं कि जब कोई भगवान श्री नित्यानंद प्रभु के चरणकमलों का आश्रय लेता है तो उसे सहस्त्र चंद्रमाओं की शीतलता का आभास होता है । यदि कोई वास्तव में राधा-कृष्ण की नृत्य-मंडली में प्रवेश करना चाहता है तो उसे दृढ़ता से उनके(नित्यानंद प्रभु के) चरण-कमलों को पकड़ लेना चाहिए ।
कलियुग में भगवान श्री कृष्ण इस भौतिक जगत में श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में अवतरित होते हैं और उनके साथ बलराम जी, श्री नित्यानंद प्रभु के रूप में आते हैं । भगवान नित्यानंद, निताई, नित्यानंद प्रभु और नित्यानंद राम के नाम से भी पुकारे जाते हैं । उन्होंने श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रधान पार्षद की भूमिका में भगवान श्री कृष्ण के पवित्र-नाम को हरिनाम-संकीर्तन द्वारा प्रचार करने का उत्तरदायित्व उठाया था ।
उन्होंने सामूहिक रूप से भगवान के पवित्र-नाम का कीर्तन करके भौतिक जगत के पतित एवं बद्ध जीवों के मध्य भगवान श्री कृष्ण की कृपा को वितरित किया । हमारे पूर्वाचार्यों की शिक्षाओं के अनुसार ब्रह्माण्ड के आदि (मूल) गुरु, श्री नित्यानद प्रभु का आश्रय लिए बिना श्री चैतन्य महाप्रभु तक पहुँचना या उन्हें समझना असंभव है । वे श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके भक्तों के बीच एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं । वे भगवान का प्रथम विस्तार हैं, जो श्री कृष्ण के संग बलराम, श्री राम के संग लक्ष्मण एवं श्री चैतन्य महाप्रभु के सं नित्यानंद प्रभु के रूप में प्रकट होते हैं ।
वे भगवान कृष्ण की सेवा के लिए पांच अन्य रूप लेते हैं । वे स्वयं भगवान कृष्ण की लीलाओं में सहायता करते हैं तथा वासुदेव, संकर्षण, अनिरुद्ध और प्रद्युम्न के चतुर्व्यूह रूप में सृष्टि के सृजन में सहायता करते हैं । वे अनंत-शेष के रूप में भगवान की अन्य कई सेवाएं करते हैं । हर रूप में वे भगवान कृष्ण की सेवा का दिव्य-आनंद का अनुभव करते हैं ।
कल एकादशी है ।
हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।
व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।
कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌹 श्रीराधारमणो जयति 🌹
💐 श्रीवृंदावन महिमामृत 💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾
श्रीप्रबोधानंद सरस्वती पाद कहते हैं कि....
🌴कृपा निधान अपार कृष्ण व्रज युवतिन नागर
🌱उनसों कातर विनय नमन मैं करों निरंतर।
🌴कब ह्वै हों रतिनिष्ठ--धाम श्री--परम प्रेममय
🌱रस सिन्धु जो प्रलय बीच हूँ होत नहीं लय॥
🌳अपार करुणाकर व्रजविलासिनी--श्रीराधानागर--श्रीकृष्ण को बारम्बार अतिशय विनयपूर्वक प्रणाम करते हुए मैं यही प्रार्थना करता हूँ कि निरंतर महाप्रणय-अमृत समुद्र प्रवाही इस भौम श्रीवृंदावन में किसी भी जन्म में मुझे (रति) प्रेम ही प्राप्त हो।
🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 7⃣2⃣
🌿 मोक्ष या मुक्ति 🌿
🌹मोक्ष यानी मुक्ति !
मुक्ति यानी दुःखो की निर्विति । धर्म -अर्थ - काम मे लगते - लगते हैं दूसरे पुरुषों को लगे देखकर , उनके दु:ख, टेंशन, परेशानी, को देख कर कुछ पुरुष इन दुःखो के मूल कारण शरीर के जन्म होने से ही मुक्ति चाहते हैं।
👤 ये आत्मा ना शरीर धारण करेगी और न दुख होगा -यह सोचकर वे भुक्ति या कामना की श्रेणी में ही रखा जाता है। ' भुक्ति - मुक्ति स्पृहा यावत् पिशची ह्रदि वर्तते '
👥 भोग या कामना या भुक्ति ये तीनो पिशची है। ये निवृति परक अवश्य है, लेकिन इसमें भी अपने लिए कुछ चाहना तो है ही, कामना तो है । हाँ कुछ पाने की नहीं, छूटने की।
👿 अपने दुख से छूट भी गए तो वैसे ही है जैसे बैंक का लोन उतर जाने का अर्थ ऍफ़.डी. बनना नही है। दुख समाप्ति का सुख प्राप्ति नहीं है ।
📌 सुख प्राप्ति कुछ और ही है। मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणो में।
🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈
🌿 काम 🌿
🎎 सृष्टि में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो काम यानी कामना । इच्छा । चाहे वह शरीर सुख भोग से संबंधित हो या यश, मान, प्रतिष्ठा, भौतिक सुख सुविधाओं से संबंधित हो, जीवन भर अपनी कामनाओं की पूर्ति में येन - केन प्रकारेण लगे रहते है ।
💰 इसके लिए वे धन कमाते भी है। धन मारते भी है, ऋण भी लेते हैं अन्याय अधर्म करते हैं। कैसे भी यह इच्छा पूरी हो बस ! लुट जाए , पिट जाएँ, ऋणम् कृत्वा धृतम पिबेत् उत्तम कामना भी एक ऐसी चीज है कि पूर्ण हुई, दूसरी खड़ी हो गई।
👻 दूसरी पूर्ण हुई, तीसरी खड़ी हो गई। कामनाओं का अंत नहीं है । अर्थ -धर्म- काम ये तीन प्रवृति परक है आगे मोक्ष पर विचार करेंगे। धर्म पूर्वक अर्थ उपार्जन करके अपनी उचित कामनाओं को पूर्ण कर उनसे मोक्ष पाना ही बात नहीं है इसके आगे भी है।
🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐
🌿अरे बाबा कुछ करो 🌿
🙌 यदि भगवान चाहते कि हम कुछ न करें तो हमें एक गोल पत्थर बना कर हिमालय के ऊपर रख देते। हमें आंख, नाक, कान, हाथ, मन, मस्तिक, बुद्धि, वाणी, आदि आदि देकर सब तरह से लैंस करके किस लिए भेजा ???
😒 खाली बैठकर प्रारब्ध - प्रारब्ध रोने के लिए नहीं अपितू कुछ करने के लिए सब दिया है। दिए हुए को उपयोग नही करोगे तो अगले जन्म में नहीं मिलेगा । मिलेगा भी तो बंदर की तरफ आंख , नाक आदि सब हैं , लेकिन किसी काम का नहीं है अतः कुछ करो ।बहुत ही अच्छा हो कि भजन करो।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🎗
◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗
🌺 सन्त जन कहते है कि एक भक्त जो कुछ भी हो रहा है उसमे श्री हरि की कृपा को देखता है l भक्त का अर्थ है सकारात्मक सोच l
🌺 कभी कभी संसार में पिता सज्जन है और पुत्र दुर्जन होता है l सज्जन भक्त पिता की सोच कि भगवान ने मुझे दुष्ट पुत्र इसलिए दिया है कि मैं पुत्र में आसक्त न हो जाऊँ l यह मेरे प्रभु की मुझ पर कृपा है यदि पुत्र अच्छा होता तो मुझे आसक्ति हो जाती l
🌺 भक्ति का अर्थ है सदैव सकारत्मक सोच ठाकुर जी जो करते है हमारी भलाई के लिये करते है l प्रभु वो नहीं देते जो हमको अच्छा लगता है अपितु प्रभु वो सब देते है जो हमारे लिये अच्छा होता है l
✏ मालिनी
&﹏*))🌺((*﹏&
•🌿ω🌿•
•🎗कृष्णमयरात्रि🎗•
🌺श्री कृष्णायसमर्पणं🌺
•🎗जैश्रीराधेकृष्ण🎗•
•🌿ω🌿•
&﹏*))🌺((*﹏&
🎗◆🌿﹏"🌺"﹏🌿◆🎗
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
लम्बे अंतराल के बाद
~~~ दासाभास कहिन ~~~
धाम की चाह ~ एक चर्चा ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-chaahcharcha
धाम कि महिमा ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/dhaam-ki-mahima
हरि हराए (भजन) ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/hari-haraye-bhajan
हे वृषभानु सुते (भजन) ~~~ > http://yourlisten.com/Dasabhas/he-vrushbhanu-sute-bhajan
जगन्नाथ मन्दिर सम्बन्धि ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/jagannath-mandir-me-ger-hindu
कुरुक्षेत्र से ब्रज वापसी ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/kurukshetra-se-braj-vapisi
साबूदाना ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/sabu-dana
मंदिर और नकारातमक सोच ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/mandir-me-negative-soch-na-ho
खंड पीठ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/khand-peeth-kya
गौडीय ग्रन्थ ~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/godiya-grnth
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
💐💐ब्रज की उपासना💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷 निताई गौर हरिबोल🌷
क्रम संख्या 4⃣0⃣
🎼भजन क्रिया🎼
🎶 भजन-क्रिया अर्थात् भजन करना। 👳🏻साधु- वैष्णव अथवा📚 सद्ग्रंथों के अध्ययन का परिणाम होता है कि वह भजन की बातों के साथ-साथ भजन करना भी प्रारम्भ कर देता है।
🔱भजन या भक्ति के चौंसठ अंग हैं। अपनी रुचि स्थिति, परिस्थिति के अनुसार उनमें से एक या अनेक अंगों का आश्रय लेकर भजन किया जा सकता है।
💂साधुसंग
🎤नामसंकीर्तन
📖श्रीमद्भागवत पाठ या श्रवण उनके अर्थो को समझ- समझकर।
🌎 मथुरा-मंडल (व्रज) वास ❄श्रीमूर्ति की श्रद्धासहित सेवा।
5⃣ये पांच अंग प्रमुख हैं इनका सभी का या किसी एक अंग का श्रद्धा सहित आश्रय लेने से ही अवश्य ही प्रेम प्राप्ति होती है।
🌈इन पांचों में से यदि 'व्रजवास' कर लिया जाए तो श्रीविग्रह-सेवा तो होगी ही, स्वभाविक रुप से साधु-संग, श्रीमद्भागवत-पाठ और नाम सकीर्तन भी स्वत: प्राप्त हो जाएगा।
🌠 व्रज या वृंदावन में और है ही क्या?चारों तरफ- संकीर्तन🎹, मंदिरों की आरती की ध्वनि🔔,नियमित पाठ📕 और साधु-वैष्णव👳🏻 ही सहज मिलते हैं, जबकि अन्य नगरों में ये ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते।
यदि अन्य नगरों में है तो,
1.संकीर्तन कर सकते हैं।
2. साधुसंग के रुप में ग्रंथ अध्ययन करके,
3. श्रीमद्भागवतादि पाठ भी पूर्ण हो जाता है।
🔮 श्रीविग्रह प्रत्येक वैष्णव के घर में है ही।रही व्रजवास की बात, तो एकान्त चित होकर मानसिक रुप से यह चिंतन करें कि मैं ब्रज में विचरण कर रहा हूँ। मंदिर जा रहा हूँ। आदि-आदि। तो यह व्रजवास भी हो जायेगा।
इसके अतिरिक्त
👂श्रवण,
🎶 कीर्तन,
😇स्मरण,
👣चरण सेवा,
🌻 पूजा,
🎄वंदना,
🎅 दास्य सेवा,
🎈सख्य सेवा,
🌈आत्म समर्पण के नौ रंग है।
क्रमशः........
💐जय श्री राधे
💐जय निताई
📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से
✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
•¡!🌹★🔔☘🔔★🌹!¡•
1⃣7⃣*2⃣*1⃣6⃣
बुधवार माघ
शुक्लपक्ष दशमी
🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
!*! 〰〰〰〰〰 !*!
7⃣
❗श्री राधाविनोद गोकुलानंद मन्दिर❗
🌹 यह मन्दिर पटना वाली कुंज के सामने स्थित है l इस प्राचीन मन्दिर में श्री राधाविनोद एवम् श्री गोकुलानंद के दो विग्रह सेवित हैं l श्री लोकनाथ स्वामी श्री नरोत्तम दास ठाकुर और श्री विश्वनाथ चक्रवर्ती की समाधियों के दर्शन भी यहाँ प्राप्त हैं l
🌹 श्री लोकनाथ गोस्वामी का मन श्री चैतन्य देव के प्रति आकर्षित था l घरबार छोड़कर श्री महाप्रभु के दर्शन हित नवद्वीप पहुंचे l महाप्रभु ने श्री वृन्दावन जाने का आदेश दिया lकुछ समय पश्चात महाप्रभु के दर्शन के लिए चित्त व्याकुल हो उठा lसुना कि महाप्रभु आजकल दक्षिण भारत की यात्रा पर गये है तो आप दक्षिण गये l वहां दर्शन न हुआ महाप्रभु वृन्दावन आ चुके थे l वे वृन्दावन आये तो महाप्रभु प्रयाग जा चुके थे lमहाप्रभु ने स्वप्न में आदेश दिया कि आप ब्रज को छोड़कर मत जाओ l
🌹 स्थिर होकर ब्रज में भ्रमण करते रहे l एक दिन किशोरी कुण्ड पर श्री कृष्ण विरह में व्याकुल होकर रोते हुए सोच रहे थे कि मेरे पास कोई श्री विग्रह भी तो नहीं है जिसकी सेवा कर कुछ धीरज हो l
🌹 उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः.........
✍🏻 मालिनी
¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
•🔔★🔔•
•☘सुप्रभात☘•
•🌹श्रीकृष्णायसमर्पणं🌹•
•☘जैश्रीराधेश्याम☘•
•🔔★🔔•
¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
•¡!🌹★🔔☘🔔★🌹!¡•
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
कुछ लोगों का
वॉट्सएप्प के साथ
इतना आत्मसात है कि
घर में कुछ भी
ऊँची नीची बात होने पर
सबसे पहले ग्रुप
लेफ्ट करते हैं
फिर पर्सनल पर देखते हैं
कि किसने किसने
पूछा कि क्या हुआ
😂😳😂😳😂😳
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💧💧💧💧💧💧💧💧
पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
🍁1⃣9⃣ 🌷इष्ट -निष्ठा🌷🍁
🌷🌷इष्ट-निष्ठा🌷🌷
🌷जाकूँ अपनौ सब कुछ मान लें।उन पै ही पूर्ण निर्भरता है जाय।वे ही हैं इष्ट।
🌼जा के ताँई अपनौ समग्र जीवन ही समर्पित कर देय-अपनौ सर्वस्व बलिदान कर देय।
🍀अपने ने लिये कछु न राखै कछु न चाहै अन्य काहू कौ आश्रय न होय सब कुछ ये ही रह जायँ
🌜जाहि न चाहिअ कबहुँ कछु तुम सन सहज सनेहु 🌛
➡ याही कूँ इष्ट निष्ठा के नाम सों कह बैठे है।
⚡है यह आगे की कक्षा :-
⬇यही साध्य है।
⬇यही लक्ष्य है।
⬇यही प्रेमावस्था है ।
⬇यही परमधर्म है।
⬇यही परम कर्तव्य है।
⭐या अवस्था की प्राप्ति के ताई सतत् जुटे रहनौ यही तौ साधक कौ सबसों ऊँचा साधन है।
⚡या अवस्था के प्राप्त करवे के ताई आवश्यकता है-
🍓१).पूर्ण श्रद्धा की
🍓२).पूर्ण सदाचार की
🍓३).पूर्ण साधन की
🍓४).पूर्ण वैराग्य की
🍓५).वासना केवल प्रेम की
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📕संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
कल एकादशी है ।
हम वैष्णवजनों का एकादशी व्रत कल गुरूवार 18 फ़रवरी का रहेगा।
व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 7.10 से10बजे तक का है ।
कल पूज्य पिता जी व्रज विभूति श्री श्याम दास जी का आविर्भाव दिवस है । हमारे निवास पर प्रातः 10 से 1 बजे तक संकीर्तन होगा । तदुपरांत वैष्णव सेवा । एकादशी फलाहार । आप यदि धाम में हों तो अवश्य दर्शन दें । प्रसाद ग्रहण करें । स्थल । श्री हरिनाम प्रेस । लोई बाज़ार पोस्ट ऑफिस की गली । वृन्दाबन । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
वर्षा
जैसे वर्षा का जल तो प्रत्येक स्थान पर एक जैसा बरसता है परंतु उसका पूरा-पूरा लाभ तो हरे-भरे पौधे
नदियां । तालाब । पोखर । कुण्ड ही उठा पाते हैँ ।
इसी प्रकार भगवत्कृपा तो हर किसी पर होती है
पर उसे अपने आंचल मेँ वे ही भर पाते हैँ जिन्हेँ प्रभु-प्रेम की तीव्र अभिलाषा है
प्रभु प्रेम की पात्रता है
और पात्रता आती ह नाम से
जय श्री राधे । जय निताई
[21:43, 2/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
🔻जयगौर🔻
📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘
🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
✏क्रमश से आगे.....2⃣9⃣
🌿🌷तब श्रीमन्महाप्रभु ने श्रीमुकुन्द को कीर्तन करने की आज्ञा दी। फिर क्या था? कहां तो गये न्यासी-शिरोमणि प्रभु के दण्ड और कमण्डलु, उन्मत हो उठे और श्रीभारती जी को आलिंगन कर नृत्य करने लगे। प्रभु की ऐसी कृपा प्राप्त करते ही श्रीभारतीजी में विशुद्ध-भक्ति का आविर्भाव हो उठा। उन्होंने दण्ड-कमण्डलु को दूर फैंका और 'हरि-हरि'बोल कर नाचने लगे। प्रेमावेश में इन्हें शरीर की सुध-बुध न रही, वस्त्र तक सम्भालना भी मुश्किल हो गया। इस प्रकार श्रीभारतीजी ने श्रीमन्महाप्रभु के साथ नृत्य-गान में रात्रि बितायी।
🌿🌷सवेरे जब श्रीप्रभु ने उनसे विदा मांगी, तो ये अधीर हो उठे।-"कृष्णचैतन्य। मुझे छोड़कर अब तुम कहाँ जाओगे ? मेरे प्राणों का सहारा क्या रहेगा ?" ऐसा कहते हुए श्रीभारतीजी रोने लगे और प्रभु के साथ ही चल दिये। बोले-"श्रीकृष्णचैतन्य" मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा और कृष्ण-कथा-संकीर्तन का आनन्द लूंगा।" थोड़ी दूर तक श्रीभारतीजी प्रभु के साथ रहे, फिर प्रभु ने इन्हें प्रणाम कर वापिस कण्टक नगर भेज दिया।
🌿🌷श्रीभारती जी जब नगर में आये, तो अनेक नर-नारी जो श्रीमहाप्रभु की संन्यास लीला के रहस्य तथा उनके स्वरूप ज्ञान से शून्य थे। इनसे बड़ा दुख मान गये। जिस समय से संन्यास प्रदान कर रहे थे, उस समय भी कण्टक नगर के नर-नारी श्रीमन्महाप्रभु के श्री अंग की शोभा देख-देखकर श्रीभारतीजी को मन-मन में कोस रहे थे-"कैसा कठिन हृदय है इस भारती का ? हाय ! हाय !! यह बालक को संन्यासी बना रहा है, यह कोई संन्यास धर्म का पालन थोड़े हो रहा है, एक उपहास हो रहा है।' श्रीप्रभु के मुखचन्द्र को देख-देखकर कण्टक नगरवासी श्रीभारती को गालियां ही दे रहे थे। जब यह लौटकर नगर में आये, तो सब ने एक स्वर में कहा-श्रीचैतन्य मंगल-
🌿कठिन अन्तर इहार दयाहीन जय।
🌿नगरे ना राखि इहार कहिल कथन।।
🌿🌷"यह संन्यासी अति कठोर हृदय है। इसे जरा भी दया नहीं, इसे नगर में मत रहने दो, बाहर निकाल दो"-भारती जी तो हृदय में जान ही रहे थे कि मेरे प्रभु ने ही मुझ से ऐसा कार्य कराया है। उनकी यह लीला है जगत् के जीवों के उद्घार के लिये। श्रीभारती जी ने सबको प्रणाम किया और कहा-अहो ! धन्य है आप सब, जो श्रीप्रभु के प्रति आप में ऐसा अहैतुक स्नेह उदय हुआ है। श्रीभारतीजी ने फिर श्रीमन्महाप्रभु के स्वरूप का परिचय दे-देकर नगरवासिओं को उनकी लीला का रहस्य बताया।
✏क्रमश......3⃣0⃣
📕स्त्रोत एवम् संकलन
〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से
🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹
▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
जय श्री राधे । जय निताई
🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित
💫💫क्रम 3⃣💫💫
श्लोक 0⃣1⃣
जयति तेऽधिकं जन्मना ब्रजः
श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि।
दयित दृश्यतां दिक्षु तावका
स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते॥
भावार्थ:- हे प्रियतम प्यारे! तुम्हारे जन्म के कारण वैकुण्ठ आदि लोको से भी अधिक ब्रज की महिमा बढ गयी है, तभी तो सौन्दर्य और माधुर्य की देवी लक्ष्मी जी स्वर्ग छोड़कर यहाँ की सेवा के लिये नित्य निरन्तर यहाँ निवास करने लगी हैं। हे प्रियतम! देखो तुम्हारी गोपीयाँ जिन्होने तुम्हारे चरणों में ही अपने प्राण समर्पित कर रखे हैं, वन-वन मे भटककर तुम्हें ढूँढ़ रही हैं।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
क्रमशः4⃣
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
हरे कृष्ण
परमपूज्य गौडियग्रंथप्रदाता वैष्णवशिरोमणि श्री श्यामदास जी के
अविर्भावदिवस पर सभी वैष्णवजनो
को हार्दिक बधाई।
श्री श्यामदास जी के चरणों में नमन
और सादर अभिनन्दन।
🌸🌸🌸🌸🌸
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
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1⃣8⃣*2⃣*1⃣6⃣
गुरुवार माघ
शुक्लपक्ष एकादशी
🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
!*! 〰〰〰〰〰 !*!
7⃣
❗श्री राधाविनोद गोकुलानंद मन्दिर❗
🌸 इतने में ही एक गोप बालक एक दिव्य श्री विग्रह लेकर आया और बोला बाबा ❗लो इस श्री मूर्ति की आप सेवा किया करना इसका नाम है राधाविनोद गोस्वामी जी ठगे से रह गये l श्री विग्रह तो हाथ में लिया परन्तु श्री विग्रह देने वाला जाने कहाँ खो गया l तब स्वयं राधाविनोद बोले गोस्वामी तुम तो मेरे लिये उत्कण्ठित एवं व्याकुल थे l मैं स्वयं इस किशोरी कुण्ड की कुंज से निकल कर तुम्हारे पास आ गया हूँ l
🌸 श्री गोस्वामी प्रेम मुग्ध हो कुछ कहना चाहते थे कि श्री राधाविनोद ठाकुर बोले गोस्वामी बातों में समय नष्ट न करो मुझे बहुत भूख लगी है कुछ खाने को दे दो l झट साग राँधा और भोग निवेदन किया l श्री ठाकुर ने पेट भरकर साग खाया l इन्होने पुष्पो की शय्या बिछायी और उन्हें शयन करा दिया l
🌸 कोई मन्दिर नहीं कोई कुटिया नहीं वृक्षों के नीचे ही जीवन कट रहा था l सोच सोचकर कपडे का झोला बनाया और उसमें श्री राधाविनोद को डालकर गले में लटकाये घूमा करते l श्री राधाविनोद भी उस अद्भुत झूलन को पाकर आनंद में सदा झूमते रहते l
🌸 उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः.........
✍🏻 मालिनी
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•🔔★🔔•
•☘सुप्रभात☘•
•🌸श्रीकृष्णायसमर्पणं🌸•
•☘जैश्रीराधेश्याम☘•
•🔔★🔔•
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
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[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
🔻जयगौर🔻
📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘
🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
✏क्रमश से आगे.....3⃣0⃣
🌿🌷जब श्रीमन्महाप्रभु वृन्दावन न जाकर रामकेलि ग्राम से शान्तिपुर श्रीअद्वैताचार्य के घर पधारे तो दैवयोग से वहां एक श्रेष्ठ संन्यासी भी आ पहुंचा। श्रीआचार्य ने उन्हें भिक्षा की प्रार्थना की। वह संन्यासी बोला, "मैं भिक्षा तो आपके घर करूंगा ही, किन्तु मुझे पहले आप मेरे एक प्रश्न का उत्तर दीजिये।" श्रीआचार्य ने कहा-"सुन्दर है, आप पहले प्रसाद पाइये फिर मैं आपके प्रश्न का उत्तर दूँगा।" किन्तु वह संन्यासी महोदय जिद्द पर अड़ गये-"पहले उत्तर पीछे प्रसाद श्रीआचार्य को हार माननी पड़ी। उन्होंने कहा, "महोदय ! पूछिये, क्या पूछना चाहते हैं"? संन्यासी ने कहा-"आचार्य ! मुझे यह बताईये श्रीकेशव भारती में श्रीमन्महाप्रभु का क्या सम्बन्ध है ?"
🌿🌷श्रीअद्वैताचार्य मन में सोचने लगे कि इस विषय में दो पक्ष है एक तो व्यावहारिक पक्ष है, दूसरा पारमार्थिक। श्रीमहाप्रभु का श्रीभारती जी से दोनों प्रकार का सम्बन्ध है। लौकिक-लीला या व्यावहारिक पक्ष मे श्रीभारती जी श्रीमहाप्रभु के गुरु है, और पारमार्थिक पक्ष में श्रीमहाप्रभु जगद्गुरु सर्वेश्वर हैं, अत:श्रीप्रभु ही भारती के गुरू है।"श्रीआचार्य प्रभु स्पष्ट बोले-"सुनिये महाशय ! श्रीभगवान् का कोई माता-पिता गुरू नहीं है, वे ईश्वर, अनादि एवं अजन्मा हैं। तथापि उन्हें यशोदानन्दन, वासुदेव-पुत्र कहा ही जाता है। इसी प्रकार पारमार्थिक पक्ष में श्रीमन्महाप्रभु का कोई गुरू न होकर भी व्यावहारिक पक्ष में श्रीकेशवभारती श्रीमहाप्रभु के गुरू है।"
🌿🌷'श्रीपाद केशव भारती श्रीमन्हाप्रभु के गुरू हैं"-श्रीअद्वैतचार्य प्रभु के पाँच वर्षीय बालक अच्युतानन्द ने यह सुना। वह उस समय आंगन में खेल रहा था। वह दौड़ कर पिता-श्रीअद्वैतप्रभु के पास आया और बोला-पिता जी ! आपने क्या कहा?'केशव भारती श्रीमहाप्रभु के गुरु है"श्रीचैतन्यप्रभु का भी कोई गुरू हो सकता है, किस बल पर आपने यह कहा है? मालूम होता है यहाँ भी कलियुग का प्रवेश हो गया है। अथवा श्रीचैतन्य की दुस्तर माया, जो ब्रह्म-शिव को भी मोहित कर देती है, आपके ऊपर भी उसका प्रभाव छा गया है। श्रीचैतन्य-परमेश्वर हैं, जगद्गुरू हैं, उनका भी कोई गुरू ? कदापि नहीं।" इतना कहकर श्रीअच्युत-सिर झुकाकर चुप हो गया।
✏क्रमश......3⃣1⃣
📕स्त्रोत एवम् संकलन
〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से
🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹
▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
चैतन्य भक्तगाथा 3⃣0⃣
इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें एवम् समझें कृपया । हमारे सम्प्रदाय प्रवर्तक श्री चैतन्य ने पहले भारती को मन्त्र दिया । फिर लोक लीला के लिए उनसे मन्त्र लिया ।
ऐसा ही ईश्वरपुरी के साथ हुआ । ये छोटे छोटे प्रसंग विशेष रूप से हृदयंगम करने के लिए हैं । ये बेसिक्स हैं । ये समझना आवश्यक है जी । जय हो
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
जय श्री राधे । जय निताई
🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित
💫💫क्रम 4⃣💫💫
श्लोक 0⃣2⃣
शरदुदाशये साधुजातसत् सरसिजोदरश्रीमुषा दृशा।
सुरतनाथ तेऽशुल्कदासिका वरद निघ्नतो नेह किं वधः॥
भावार्थ:- हे हमारे प्रेम पूरित हृदय के स्वामी! हम तुम्हारे बिना मोल की दासी हैं, तुम शरद ऋतु के सुन्दर जलाशय में से चाँदनी की छटा के सौन्दर्य को चुराने वाले नेत्रों से हमें घायल कर चुके हो। हे प्रिय! अस्त्रों से हत्या करना ही वध होता है, क्या इन नेत्रों से मारना हमारा वध करना नहीं है।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
क्रमशः5⃣
[21:57, 2/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 7⃣3⃣
🌿 वृंदावन के वृक्ष 🌿
📕विज्ञान के सिद्धांत पहले हम पुस्तको में पड़ते हैं, फिर उन्ही सिद्धांतों को प्रयोगशाला में जाकर प्रेक्टिकल करते हैं। ऐसा करने से वह सिद्धांत सत्य सिद्ध तो होता ही है, साथ ही हमारे दिल - दिमाग में पक्की तरह बैठ भी जाता है।
📖 श्रीमद्भागवत में वर्णन है की उद्धव ने वृंदावन में गुल्म, लता, औषधि के रूप में अपना जन्म मांगा है। उद्धव के साथ -साथ अनेक संतो ने भी ऐसा मांगा होगा और उन्हें लता औषधी, पौधे के रूप में जन्म मिला भी होगा।
🔆 इस थ्योर्टिकल बात का प्रैक्टिकल यदि देखना है तो भगवतभक्ति प्राप्त संतों का संग प्राप्त करना होगा । बाबा श्री चंद्रशेखर जी ने अपने दातुन के लिए भी कभी किसी वृक्ष को नहीं तोड़ा ।
🎌 प्रथम तो अनेक वर्षों तक ब्रज रज से ही मंजन करते रहे। बाद में बाजार से लाए पाउडर से मंजन किया। भक्ति -विषयक सिद्धांतों को प्रयोगशाला है- भगवतभक्ति प्राप्त साधु -वैष्णव संत जन इनका प्रकष्ट संग करने से ही सभी सिद्धांतों का प्रैक्टिकल स्वतः हो जाता है।
🎅 संतों का संग करने पर फिर
वृंदावन के वृक्ष को
मर्म न जाने कोय,
डाल- डाल अरु पात -पात
पर राधे-राधे होय'
🎈इस बात पर कोई संशय नहीं रहता और वृक्ष ' राधे-राधे' कैसे बोलते हैं यह बात समझ आ जाती है
🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐🎐
🌿गन्दी बातें🌿
💣 गंदी बातों की प्रशंसा करो या विरोध -दोनों स्थितियों में नेगेटिव वाइब्रेशन प्रचारित होती हैं। भ्रष्टाचार का विरोध तो जो हुआ, सो हुआ, इससे भ्रष्टाचार का प्रचार अधिक हुआ है। जिन्हें पता नहीं था, उन्हें भी पता चल गया और शायद वह भी अब बिना डरे भ्रष्टाचार का आश्रय लेंगे ।
अतः केवल व् केवल अच्छी बातों के बारे में ही बात होनी चाहिए ।
📼 गंदी बातें सदा से थी, सदा रहेंगी इन्हे दफनाते रहना चाहिए।
🙌🏻जय श्री राधे।जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[22:31, 2/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💧💧💧💧💧💧💧💧
पूज्य बाबा
पंडित श्री गया प्रसाद जी के
📘सार वचन उपदेश
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
🍁 2⃣0⃣🌺 इष्ट के स्वरुप कौ निश्चय🌺 🍁
🍒१.सबकी यही मान्यता है कि श्री भगवान् स्वयं ही कृपा करकें साधक के ह्रदय में प्रकट होय हैं।
🍓तथापि साधक कौ हू कर्तव्य तौ है ही कि-वह श्री प्राणवल्लभ की चाह करै ।
🍒२.पूर्व जन्मार्जित भक्ति संस्कार एवं सद्गुरु कृपा सों प्राप्त साधन के द्वारा अन्तः करण की निर्मलता सम्पन्न हैवे पै स्वयं ही ह्रदय में इष्ट के स्वरुप कौ अविभार्व होय है।
🍓जब निर्मल एवं द्रवित चित्त में इनके स्वरुप की छाप पर जाय है वह आमिट होय है। तबी वाकी विस्मृति नहीं होय है।
🍒३.इष्ट चिन्तन में जब प्रगाढ़ता बन जाय है तब प्रेम प्राप्ति के अभीप्सु साधक के ह्रदय में श्री जीवन धन की ओर सों एक भाव (सम्बन्ध) की प्राप्ति होय है।
🍓४.पूर्व जन्मन की साधना के परिणामस्वरूप बाल्यकाल सों ही अथवा काहू समय विशेष में;
🍒महापुरषन के जीवन में ये बातें स्वतः प्रकट है जाय हैं। या के लिये जीवन में काहू विशेष साधना की अपेक्षा नहीं रहै है।
💎प्रस्तुति 📖श्री दुबे
📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[22:31, 2/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
राधेश्याम जी 🙏
श्री नित्यानन्द प्रभु त्रयोदशी आविर्भाव महोत्सव,
पंचामृत अभिषेक, भोग, तिलक व आरती 20 फ़रवरी
सभी वैष्णव जनों का व्रत रहेगा।
व्रत का पारण अगले दिन 7से10 बजे तक । अभिषेक के बाद भी पारण हो सकता ह ।
[22:31, 2/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
🔻जयगौर🔻
📘 श्रीचैतन्य-भक्तगाथा 📘
🌷श्रीपाद केशवभारती गोस्वामी🌷
✏क्रमश से आगे.....3⃣1⃣
🌿🌷श्रीअद्वैताचार्य अपने पाँच वर्ष के शिशु से श्रीमन्महाप्रभु का तत्व सुनकर विस्मित हो उठे और आनन्द विभोर भी, नेत्रों से आनन्द के आँसू झरने लगे, अच्युत को गोद में उठाकर बार-बार चुम्बन किया। रोते-रोते बोले-अच्युत ! तुम मेरे पिता हो आज से और मैं तुम्हारा पुत्र, श्रीमन्महाप्रभु की तत्व शिक्षा देने के लिए ही तुम मेरे पुत्र रूप में आविभूर्त हुए हो। हे वत्स ! तुम मुझे क्षमा कर दो, आज के बाद फिर मैं ऐसी बात कभी न कहूँगा।" संन्यासी महोदय बाप-बेटा के कथोनपकथन को सुन रहे थे, उनके मुख से और कोई बात न निकली। उन्होंने उठकर श्रीअच्युत के चरण पकड़ लिये और प्रणाम करते हुए इतना कह पाये-"मैं तो आया था श्रीअद्वैतप्रभु की महिमा देखने, यहाँ तो पिता-पुत्र एक दूसरे से बढ़कर निकले।" एकमात्र ईश्वरकृपा का चमत्कार जान कर वह संन्यासी वहाँ से विदा होकर चला गया।
🌿🌷एक दिन श्रीमहाप्रभु जी ने अपने गुरूदेव श्रीकेशव भारती जी से पूछा-"गुरूदेव ! यह बताईये, भक्ति और ज्ञान में क्या श्रेष्ठ हैं ?" श्रीभारती जी ने कहा-"कृष्णचैतन्य।" मैं मन में खूब विचार करके कहता हूँ कि ज्ञान से भक्ति अति श्रेष्ठ है।" प्रभु ने पूछा-"ज्ञान से भक्ति श्रेष्ठ कैसे ? संन्यासीगण तो ज्ञान को भक्ति से बड़ा या श्रेष्ठ मानते है ?" श्रीभारती जी बोले-"ऐसा कहने वाले विचारपूर्वक नहीं कहते, केवल गुरू-परम्परा से ऐसा मानते-कहते आ रहे है, वस्तुतः भक्ति ज्ञान से अति श्रेष्ठ है। ब्रह्म, शिव, नारद, प्रहलाद, व्यास, शुकदेव, सनकादिक, श्रीनन्द, युधिष्ठिर, ध्रुव, अक्रूर एवं उद्घव आदि जितने महापुरुष हुए है, वे सदा श्रीभगवान् की भक्ति की प्रार्थना करते है, वे मुक्ति देने पर भी उसे स्वीकार नहीं करते। एक मात्र श्रीभगवान् के चरणकमलों की सेवा की ही प्रार्थना करते रहते है। चैतन्य ! ब्रह्म जी के इन वचनों को ही मैं सार वचन मानता हुँ।
🌿🌷हे भगवान् ! मुझे तो ऐसा महान् सौभाग्य प्रदान कीजिये कि चाहे इस ब्रह्म-जन्म में हो अथवा किसी और जन्म में, यहाँ तक कि पशु-वृक्ष आदि तिर्यक योनि में जन्म लेकर भी आप के भक्तों में एक क्षुद्र सेवक बनकर आपके चरणकमलों की सेवा प्राप्त कर सकूँ।
🌿🌷श्रीभारती जी के मुख से भक्ति का महत्व सुनकर प्रभु 'हरि-हरि' बोलकर नाचने लगे, और बोले प्रभो ! यदि आप ज्ञान को भक्ति से श्रेष्ठ बताते तो मैं आज ही समुद्र में कूद पड़ता। आपने परम सत्य वचन कहे है।" श्रीभारती जी ने श्रीमहाप्रभु को आलिंगन किया। दोनों आनन्द में विभोर हो गये। ऐसे अद्भुत चरित्र हैं श्रीपाद भारतीजी के।
🌷🙌🏻श्री चैतन्यमहाप्रभु की जय..!!
🌷🙏🏾श्रीपाद केशव भारतीजी की जय..!!
✏क्रमश......3⃣2⃣
📕स्त्रोत एवम् संकलन
〽व्रजविभूति श्रीश्यामदासजी
🏡श्री हरिनाम प्रैस वृन्दावन द्वारा
📝लिखित-व्रज के सन्त ग्रन्थ से
🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹
▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
जय श्री राधे । जय निताई
🍀🍃गोपी गीत भावार्थ सहित
💫💫क्रम 5⃣💫💫
श्लोक 0⃣3⃣
विषजलाप्ययाद् व्यालराक्षसाद्वर्षमारुताद् वैद्युतानलात्।
वृषमयात्मजाद् विश्वतोभया दृषभ ते वयं रक्षिता मुहुः॥
भावार्थ:- हे पुरुष शिरोमणि! यमुना जी के विषैले जल से होने वाली मृत्यु, अज़गर के रूप में खाने वाला अधासुर, इन्द्र की बर्षा, आकाशीय बिजली, आँधी रूप त्रिणावर्त, दावानल अग्नि, वृषभासुर और व्योमासुर आदि से अलग-अलग समय पर सब प्रकार भयों से तुमने बार-बार हमारी रक्षा की है।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
क्रमशः6⃣
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
"चैन से जीने के लिए चार रोटी और दो कपड़े काफ़ी हैं l
पर बेचैनी से जीने के लिए चार मोटर, दो बंगले और तीन प्लॉट भी कम हैं !!
आदमी सुनता है मन भर'.
सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर;
और खुद ग्रहण नही करता कण भर"...!!
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
आज श्री नित्यानंद प्रभु जयंती है श्री नित्यानन्द प्रभु अभिषेक के दर्शन 💦💦💦
🍁केसर दुग्ध
🍁सादा दूध
🍁दही से
🍁मधु । (शहद से )
🍁घी से
🍁चन्दन से
🍁कुमकुम से
🍁 अर्घ्य से
🍁 तिल और जौ
🍁हल्दी से
🍁 राधाकुण्ड जल गंगाजल से
🍁 चरण दर्शन
🍁 श्रृंगार दर्शन
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
अर्घ्य क्या ह
Ek kalash mein Tirtho ka jal yatha Gangajal yamuna jal aur Radhakund jal k sath jau (Barley), Chaval (Rice), Haldi, Chandan, kesar, Kusha, Durba, Gau mutra, Pushpa, Gulab jal, tulsi aur anya Sughandhit Darvyo ko eksath milakar taiyar kiya tha panchamrit abhishek ke uprant ubtan aur is jal se sri thakur ji ka snan
[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
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2⃣0⃣*2⃣*1⃣6⃣
शनिवार माघ
शुक्लपक्ष त्रयोदशी
🌹श्री वृन्दाबन के मन्दिर🌹
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8⃣
❗श्री गोकुलानंद मन्दिर❗
🌸 श्री गोकुलानंद जी श्री विश्वनाथ चक्रवर्ती जी के सेवित विग्रह है l श्री गोकुल की बाल्य लीलाओं ने इनके चित्त को ऐसा मुग्ध किया कि हर पल एक मधुरतम आर्त ध्वनि उनके मुख से मुखरित होती l हे गोकुलानंद कहाँ पाऊँ आपके चरण कमल ❓
🌸 एक दिन राधा कुण्ड में स्नान करते समय आपके हाथ में एक श्री विग्रह पड़ा उसे देखते ही आप बेसुध होकर आलिंगन करके पड़े रहे l चेतना आने पर आपने जान लिया कि श्री गोकुलानंद ने दास का मनोभीष्ट पूर्ण किया l इन्ही की सेवा करते रहे l लीला में प्रविष्टि होने पर श्री गोकुलानंद विग्रह इसी मन्दिर में प्रतिष्ठित और सेवित रहा l
🌸 श्री पाद विश्वनाथ चक्रवर्ती ने पच्चीस से भी अधिक मूल ग्रन्थ एवम् टीकाओं की रचना की l वे जिस खुले स्थान पर बैठकर लिखते थे उस समय मूसलाधार वर्षा आ जाने पर भी इनके हस्त लिखित पृष्ठों पर एक बूँद पानी न पड़ता l ऐसे महासिद्ध आचार्य थे आप l यहाँ अब उनकी प्रतिभू श्री विग्रह है lमूल श्री विग्रह यवनों के आक्रमण के समय जयपुर में ले जाया गया था l जो आज भी वहाँ विराजमान है l
🌸 उपरोक्त सार
व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के श्री हरिनाम प्रेस के ग्रंथ ब्रज दर्शन से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः.........
✍🏻 मालिनी
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•☘सुप्रभात☘•
•🌸श्रीकृष्णायसमर्पणं🌸•
•☘जैश्रीराधेश्याम☘•
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[19:51, 2/20/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
श्री नित्यानंद त्रयोदशी --
गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के अनेक आचार्यों में से एक श्रील नरोत्तम दास ठाकुर भगवान की स्तुति में लिखते हैं कि जब कोई भगवान श्री नित्यानंद प्रभु के चरणकमलों का आश्रय लेता है तो उसे सहस्त्र चंद्रमाओं की शीतलता का आभास होता है । यदि कोई वास्तव में राधा-कृष्ण की नृत्य-मंडली में प्रवेश करना चाहता है तो उसे दृढ़ता से उनके(नित्यानंद प्रभु के) चरण-कमलों को पकड़ लेना चाहिए ।
कलियुग में भगवान श्री कृष्ण इस भौतिक जगत में श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में अवतरित होते हैं और उनके साथ बलराम जी, श्री नित्यानंद प्रभु के रूप में आते हैं । भगवान नित्यानंद, निताई, नित्यानंद प्रभु और नित्यानंद राम के नाम से भी पुकारे जाते हैं । उन्होंने श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रधान पार्षद की भूमिका में भगवान श्री कृष्ण के पवित्र-नाम को हरिनाम-संकीर्तन द्वारा प्रचार करने का उत्तरदायित्व उठाया था ।
उन्होंने सामूहिक रूप से भगवान के पवित्र-नाम का कीर्तन करके भौतिक जगत के पतित एवं बद्ध जीवों के मध्य भगवान श्री कृष्ण की कृपा को वितरित किया । हमारे पूर्वाचार्यों की शिक्षाओं के अनुसार ब्रह्माण्ड के आदि (मूल) गुरु, श्री नित्यानद प्रभु का आश्रय लिए बिना श्री चैतन्य महाप्रभु तक पहुँचना या उन्हें समझना असंभव है । वे श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके भक्तों के बीच एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं । वे भगवान का प्रथम विस्तार हैं, जो श्री कृष्ण के संग बलराम, श्री राम के संग लक्ष्मण एवं श्री चैतन्य महाप्रभु के सं नित्यानंद प्रभु के रूप में प्रकट होते हैं ।
वे भगवान कृष्ण की सेवा के लिए पांच अन्य रूप लेते हैं । वे स्वयं भगवान कृष्ण की लीलाओं में सहायता करते हैं तथा वासुदेव, संकर्षण, अनिरुद्ध और प्रद्युम्न के चतुर्व्यूह रूप में सृष्टि के सृजन में सहायता करते हैं । वे अनंत-शेष के रूप में भगवान की अन्य कई सेवाएं करते हैं । हर रूप में वे भगवान कृष्ण की सेवा का दिव्य-आनंद का अनुभव करते हैं ।