कार्य सिद्धि कैसे हो ?
१. परिश्रम
२. भाग्य
३. कृपा (दैव)
तीनो उतरोतर बलवान है.अर्थात सबसे पहले परिश्रम तो करना ही है
परिश्रम करने पर भाग्य के अनुसार फल मिलता है
भाग्य का पता फल मिलने के बाद ही चलता है की भाग्य अच्छा था या बुरा
क्युकी भाग्य का किसी को कुछ पता नहीं,
इसलिए परिश्रम तो करना ही चाहिए, करना ही है,
तीसरी है कृपा
कृपा संत की हो, बुज़ुर्ग की हो, गुरु की हो, किसी की हो,
कृपा से भी कार्य सिद्ध होता है, लेकिन कृपा उनकी प्रसन्नता से प्राप्त होती है
उनके आदेश पालन से प्राप्त होती है.
अतः किसी भी कार्य हेतु बस लग जाना ही
प्राथमिक उपाय है
JAI SHRI RADHE
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