Friday, 8 June 2018

Kaaran Ya Bhav | कारण या भाव

कारण या भाव

🌀 कारण या भाव 🌀

🌀 किसी भी कार्य के करने में हमारा भाव
ही महत्वपूर्ण है फल का निर्धारण भी
भाव के अनुसार होता है ।
हम भजन को ही ले भजन करते हुए
हम पहचान चाहते हैं तो पहचान
मिलेगी, भगवान नहीं ।
अनेक बार बाहर से एक सी क्रिया
होने पर भी फल भाव के अनुसार
अलग दीखता है ।

🌀 मन्दिर का एक पेड पुजारी
तनखाह के लिए काम करता है ।
उसका सुंदर श्रृंगार करना
उसकी एक्सपर्टता है, भाव नहीं ।
इसलिए वह हजार रुपये अधिक मिलने
पर दूसरे मन्दिर में चला जाता है ।
अतः हमें भी सदा अपने को टटोलते
रहना चाहिए । हम जो कर रहे हैं
वह मूल उद्देश्य के लिए है
जो दिख रहा है या दिल में कोई
छिपा उद्देश्य भी है ।
छिपा उद्देश्य यदि है
तो यह कपट है ।
और कपट चाहे लोक में हो
या भजन में हो कभी भी
सफलता नहीं मिलेगी ।

🌀 अतः शुद्ध मन से कपट
रहित होकर भजन में लगना चाहिए ।
भजन में लगने का कारण
भजन अर्थात श्रीकृष्ण-सुख ही
होना चाहिए । यहाँ तक कि अपने
दुखों की मुक्ति-मोक्ष
को भी कपट ही कहा गया है ।

🙏 समस्त वैष्णव वृन्द को मेरा सादर प्रणाम

🐚 ।। जय श्री राधे ।। 🐚
🐚 ।। जय  निताई ।। 🐚

🖋लेखक
दासाभास डॉ गिरिराज
LBW - Lives Born Works at Vrindabn

धन्यवाद!!
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