Tuesday, 9 April 2013

282.khak me moti







रूठे हैं अगर श्याम तो उनको मनाये कौन ?
अपनी जो बनी शान है उसको घटाए कौन ?

ग़र क़द्र करें वो तो ये दृग "बिंदु" नज़र हैं ,
वरना फ़िज़ूल ख़ाक में मोती मिलाये कौन ?

कुछ उनका भला होता तो करते भी खुशामद
अपनी गरज के वास्ते अहसान उठाये कौन ?

अब तक तो रहे दोस्त, बराबर का था दावा ,
अब फ़र्जे ज़िन्दगी की शरायत उठाये कौन ?

माना की जान उनकी है, लेंगे वही आखिर,
पर बन के खतावार ये गर्दन झुकाए कौन ? 



JAI SHRI RADHE

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