भक्ति अर्थात भिक्षा
जो देश के लिए समर्पित हो जाये
वह देश भक्त
जो पिता के लिए समर्पित हो जाये
वह पितृ भक्त
जो माता के लिए समर्पित हो जाये
वह माता भक्त
जिसका भक्त , जिसकी भक्ति
उसके लिए पूर्ण समर्पण
अपने सुख दुःख की कोई बात नहीं
यही बात भगवान की भक्ति में होनी चाहिए
उनके लिए पूर्ण समर्पण
अपने सुख दुःख की कोई बात नहि।
क्या हम ऐसा करते हैं ? शायद नहीं
हम भगवान् के लिए नहीं , अपने दुःख सुख के लिए
भगवान् की भक्ति करते हैं
ये भक्ति नहीं, भिक्षा है
निश्चित हो की हम भक्त हैं या भिखारी ?
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
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