Wednesday, 1 August 2012

232. SACHCHAA PREM



सच्चा प्रेम 

श्री मद भागवत के अजातपक्षाइव श्लोक में एक चिड़िया के बच्चे का 
उदहारण  दिया गया है 
जिसमे बच्चे के पंख नहीं है 
और गिद्द की दृष्टि उस पर पड़ जाती है वह माँ- माँ पुकार रहा है 

इसमें  माँ को याद करने का उद्देश्य अपने जीवन की रक्षा की चाह है .

दूसरा उदहारण  है बछड़े का. उसे घास दो
 नहीं ले रहा कुछ भी खाने को दो नहीं खा रहा. वह तो केवल माँ माँ पुकार रहा है.

लेकिन इसमें भी अपनी भूक मिटने हेतु माँ माँ करना है 

तीसरा उदहारण  है नवविवाहिता नारी का, 
जो है तो पीयर में लेकिन अपने प्रियतम की स्मृति में छीर्ण  हुई जा रही है 
और चाहती है की में अपने पति के पास जाऊ और उनकी यथोचित सेवा करू. 
मेरे बिना वह कष्ट पा रहे होंगे. 
यह भाव स्वामी सेवा के लिए उपयुक्त है इसमें अपने सुख की कामना नहीं है.

एक साधक की, या एक प्रेमी की यही भावना ही सच्चा प्रेम है
अन्यथा स्वार्थ ही है.
JAI SHRI RADHE

SACHCHAA PREM

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