सच्चा प्रेम
श्री मद भागवत के अजातपक्षाइव श्लोक में एक चिड़िया के बच्चे का
उदहारण दिया गया है
जिसमे बच्चे के पंख नहीं है
और गिद्द की दृष्टि उस पर पड़ जाती है वह माँ- माँ पुकार रहा है
इसमें माँ को याद करने का उद्देश्य अपने जीवन की रक्षा की चाह है .
दूसरा उदहारण है बछड़े का. उसे घास दो
नहीं ले रहा कुछ भी खाने को दो नहीं खा रहा. वह तो केवल माँ माँ पुकार रहा है.
लेकिन इसमें भी अपनी भूक मिटने हेतु माँ माँ करना है
तीसरा उदहारण है नवविवाहिता नारी का,
जो है तो पीयर में लेकिन अपने प्रियतम की स्मृति में छीर्ण हुई जा रही है
और चाहती है की में अपने पति के पास जाऊ और उनकी यथोचित सेवा करू.
मेरे बिना वह कष्ट पा रहे होंगे.
यह भाव स्वामी सेवा के लिए उपयुक्त है इसमें अपने सुख की कामना नहीं है.
एक साधक की, या एक प्रेमी की यही भावना ही सच्चा प्रेम है
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