नव रात्र
इन नौ दिनों में शुद्ध वैष्णव नवविधा भक्ति का अनुष्ठान करते हैं
1 । श्रवण ।
पाठ । गुण । लीला सुनना
2 । कीर्तन ।
कीर्तन । भजन करना
3 । स्मरण ।
मानसिक रूप में कृष्ण कृपा का
4 । पाद सेवन ।
चरण में विशेष तुलसी चढ़ाना
5 । अर्चन ।
ठाकुर की विशेस सेवा । श्रृंगार
6 । वंदन ।
विशेष स्तोत्र आदि द्वारा वंदना
7 । सख्य ।
हमारे सबसे अधिक हितेषी भगवान ही हैं । और कोई नहीं । ये भाव पुष्ट करते हुए चिंतन
8 । दास्य ।
में कृष्ण का दास हूँ । उनकी सेवा सुख ही मेरा कर्तव्य है
9 । आत्म निवेदन ।
ये सब कुछ प्रभु का ही है । ये भाव दृढ करते हुए भजन चिंतन
इन नौ दिनों में शुद्ध वैष्णव नवविधा भक्ति का अनुष्ठान करते हैं
1 । श्रवण ।
पाठ । गुण । लीला सुनना
2 । कीर्तन ।
कीर्तन । भजन करना
3 । स्मरण ।
मानसिक रूप में कृष्ण कृपा का
4 । पाद सेवन ।
चरण में विशेष तुलसी चढ़ाना
5 । अर्चन ।
ठाकुर की विशेस सेवा । श्रृंगार
6 । वंदन ।
विशेष स्तोत्र आदि द्वारा वंदना
7 । सख्य ।
हमारे सबसे अधिक हितेषी भगवान ही हैं । और कोई नहीं । ये भाव पुष्ट करते हुए चिंतन
8 । दास्य ।
में कृष्ण का दास हूँ । उनकी सेवा सुख ही मेरा कर्तव्य है
9 । आत्म निवेदन ।
ये सब कुछ प्रभु का ही है । ये भाव दृढ करते हुए भजन चिंतन
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